उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने प्रिट व इलेक्ट्रोनिक मीडिया से भी पीसीआई व एनबीएसए की गाइडलाइंस के अनुरूप कार्य करने का आह्वान किया

March 24, 2019

सोशल मीडिया प्लेटफार्म के स्वतंत्र व निष्पक्ष उपयोग के लिए चुनाव आयोग व आईएएमएआई ने विकसित किया स्वैच्छिक कोड ऑफ एथिक्स: उपायुक्त
उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने प्रिट व इलेक्ट्रोनिक मीडिया से भी पीसीआई व एनबीएसए की गाइडलाइंस के अनुरूप कार्य करने का आह्वान किया
रवि पथ ब्यूरो हिसार, 24 मार्च।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने कहा कि लोकसभा आम चुनाव-2019 में फेसबुक, वाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रत्याशियों द्वारा किए जाने वाले प्रचार पर नजर रखने तथा आदर्श आचार संहिता की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने आईएएमएआई यानी इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर स्वैच्छिक कोड ऑफ एथिक्स को विकसित किया है। इसके माध्यम से लोकसभा आम चुनाव के दौरान चुनावी प्रक्रिया की अखंडता तथा सोशल मीडिया प्लेटफार्म के स्वतंत्र, निष्पक्ष व नैतिक उपयोग को सुनिश्चित किया जाएगा। उपायुक्त ने प्रिट व इलेक्ट्रोनिक मीडिया से भी पीसीआई व एनबीएसए की गाइडलाइंस के अनुरूप कार्य करने का आह्वान किया है।
उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने कहा कि स्वैच्छिक कोड ऑफ एथिक्स के तहत सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रत्याशियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखते हुए उपयुक्त नीतियों व प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा। इसके साथ ही प्रत्याशियों को चुनाव कानूनों व अन्य निर्देशों सहित जागरूक करने के लिए सूचना, शिक्षा व संचार के लिए चुनाव आयोग द्वारा अभियान चलाया जाएगा। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 के संभावित उल्लंघनों व चुनाव कानूनों की सूचना 3 घंटे के भीतर प्रत्याशी तक पहुंचाने के लिए आयोग ने अधिसूचना तंत्र विकसित किया है। इसके साथ ही विज्ञापनों के पूर्व प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए भी एक तंत्र प्रदान किया जाएगा। इसके माध्यम से राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता आएगी तथा सोशल मीडिया प्लेटफार्म के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार धारा 126 के तहत चुनाव संपन्न होने से 48 घंटे पहले हर प्रकार के चुनाव प्रचार पर रोक लग जाएगी और टेलीविजन व अन्य माध्यमों पर भी प्रचार नहीं किया जा सकेगा। चुनाव को प्रभावित करने के लिए किए जाने वाले प्रचार या विज्ञापन का प्रसारण करने के दोषी व्यक्ति को दो वर्ष की सजा व जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं। इसी प्रकार टीवी, रेडियो चैनल, केबल नेटवर्क, इंटरनेट वेबसाइट व सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दिखाई जाने वाली सामग्री या विचार किसी पार्टी या प्रत्याशी विशेष के पक्ष को समर्थन करता हुआ नहीं होना चाहिए जो चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सके।
उपायुक्त ने निर्वाचन आयोग के हवाले से प्रिंट मीडिया से आह्वान किया है कि वह प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस की अनुपालना करे। प्रेस प्रत्याशी व चुनाव के संबंध मंे निष्पक्ष रिपोर्टिंग करे। समाचार पत्रों से उम्मीद की जाती है कि वे चुनाव में पार्टी व प्रत्याशी के संबंध में बढ़ा-चढ़ाकर तथ्य पेश न करें। चुनाव प्रचार में सांप्रदायिक व जातीय सामग्री का प्रकाशन करना पूर्ण प्रतिबंधित है। किसी प्रत्याशी या पार्टी के पक्ष में प्रचार करने अथवा छवि बनाने के लिए किसी प्रकार का वित्तीय लाभ प्राप्त करना अनैतिक है।
इसी प्रकार इलेक्ट्रोनिक मीडिया को भी एनबीएसए द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस की अनुपालना चुनाव के दौरान करनी चाहिए। जनता के विचार, ओपिनियन पोल अथवा किसी ऐसे सर्वे का प्रसारण भी नहीं किया जा सकता है जो चुनाव को प्रभावित करे। उन्होंने बताया कि चुनाव मशीनरी द्वारा सभी प्रचार माध्यमों की सतत निगरानी की जा रही है। इसलिए सभी प्रकार के प्रचार माध्यम, प्रत्याशी व राजनीतिक दल आचार संहिता के सभी नियमों की अनुपालना करें और शांतिपूर्ण, निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव संपन्न करवाने में सहयोग करें।