*क्या सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में नहीं है नमुनिया तक का इलाज !*

March 23, 2019

*क्या सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में नहीं है नमुनिया तक का इलाज !*

रवि पथ ब्यूरो हिसार –

जिले के बालसमंद गांव में 48 घंटे बाद बोरवेल से निकाले गए 18 माह के बच्चे नदीम की हालत नाजुक बनी हुई है। नदीम का उपचार हिसार के एक निजी हॉस्पिटल के आईसीयू में किया जा रहा है। इससे पहले इस मासूम को सीधे अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया था लेकिन देर रात्रि तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद हिसार शिफ्ट कर दिया गया।

निजी हॉस्पिटल में नदीम का इलाज कर रहे डॉक्टर विवेक गुप्ता ने बताया कि जब बच्चा लगभग मध्य रात्रि उनके पास आया तब उसकी हालत क्रिटिकल बनी हुई थी और अभी भी नदीम की हालत गंभीर है। डॉ विवेक गुप्ता ने बताया कि लगभग 48 घंटे बाद ही बच्चे के हालात में सुधार होने की संभावना है और उसी के बाद कुछ भी कह पाना संभव होगा। वही डॉक्टर ने कहा कि नदीम को निमोनिया बहुत ज्यादा है। इसके अलावा किडनी व अन्य ऑर्गन लगभग ठीक तरीके से काम कर रहे हैं। डॉक्टर ने कहा कि नदीम अभी बेहोश है और जब होश में आएगा और उसकी स्थिति में थोड़ा सुधार होगा तब जांच की जाएगी कि घटना से उनके मस्तिष्क पर कितना प्रभाव पड़ा है।

वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन इन सब बातों को लेकर मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और लगातार बचाव की मुद्रा में चल रहे है। मीडिया की तरफ से बार-बार कोशिश में किए जाने के बावजूद भी बच्चे नदीम की सेहत को लेकर कोई बयान नहीं दिया जा रहा है और अधिकारी बचते नजर आ रहे हैं। शायद इसकी एक बड़ी वजह यह भी हो सकती है कि बोरवेल से निकाले जाने के बाद बच्चे को अग्रोहा मेडिकल ले जाया गया था लेकिन बाद में प्रशासन की तरफ से उसे हिसार के निजी अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया, जिससे लगातार स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की किरकिरी हो रही है।

लोगों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं कि सरकार के अस्पतालों का स्तर ऐसा भी नहीं है कि इस तरीके के बच्चों का इलाज हो सके तो फिर ढींगे हांकने का क्या फायदा ! मात्र निमोनिया जैसी बीमारियों का इलाज भी जब किसी निजी हॉस्पिटल में करवाना पड़ता है तो फिर मेडिकल कॉलेज क्या केवल एक मात्र ट्रेनिंग सेंटर के रूप में प्रयोग किया जा रहा है ??

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