पारंपरिक यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया किसानों के लिए सस्ता और बेहतरीन विकल्प : डॉ पुष्पेंद्र वर्मा

July 13, 2022

पारंपरिक यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया किसानों के लिए सस्ता और बेहतरीन विकल्प : डॉ पुष्पेंद्र वर्मा

कहा, नैनो डीएपी को भी जल्द लांच किया जाएगा

हिसार   रवि पथ :

भारतीय किसान उर्वरक सहकारी संघ (इफको) के राज्य विपणन प्रबंधक डॉ पुष्पेंद्र वर्मा ने कहा है कि किसानों के लिए नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया के मुकाबले एक सस्ता और बेहतरीन विकल्प है। इसका पर्यावरण पर भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। वे बुधवार को एक पत्रकार वार्ता में पूछे गए सवालों का उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया की तकनीक पूरी दूनिया में केवल इफको के पास है। इसे किसानों के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध करवा दिया गया है। डॉ पुष्पेंद्र ने कहा कि नैनो यूरिया पर भारत के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों सहित बड़े संस्थानों में शोध के साथ-साथ किसानों के खेतों में भी बड़े स्तर पर परीक्षण किए गए हैं। परीक्षण में इसके परिणाम पारंपरिक यूरिया से बेहतर मिले हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल पारंपरिक यूरिया का एक तिहाई हिस्सा देश को विदेशों से आयात करना पड़ता है। इस कारण से अर्थव्यवस्था पर काफी बोझ आता है। डॉ पुष्पेंद्र ने कहा कि नैनो यूरिया को लांच किए जाने के बाद से अब तक लगभग 17 लाख बोतल किसानों को ब्रिकी की जा चुकी है। इस उत्पाद की सफलता को देखते हुए इफको द्वारा आगामी एक वर्ष में नैनो डीएपी लांच किए जाने की पूरी उम्मीद है। इस पर शोध कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करते हुए रासायनिक उर्वरकों की खपत को कम करने और फसल उत्पादकता में वृद्धि के साथ मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने की कल्पना की है। इफको ने इफको एमडी डॉ यूएस अवस्थी के दूरदर्शी नेतृत्व और प्रधानमंत्री के आत्म निर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत विश्व की पहली नैनो यूरिया (लिक्विड) पर शोध और विकास किया।
सहकारिता समिति हिसार के डिप्टी रजिस्ट्रार बंसीलाल ने बताया कि इफको नेनो यूरिया को इफको के वैज्ञानिकों द्वारा नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर कलोल, गुजरात में वर्षों के कठोर शोध के बाद विकसित किया गया है। आईसीएआर-केवीके अनुसंधान संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और भारत के प्रगतिशील किसानों के सहयोग से 11 हजार स्थानों पर 94 से अधिक फसलों पर इसका परीक्षण किया गया है। सफल परीक्षणों के आधार पर भारत सरकार द्वारा इफको नैनो यूरिया को एफसीओ, 1985 में शामिल किया गया है। नैनो यूरिया की 500 एमएल की एक बोतल का प्रयोग पारंपरिक यूरिया के 45 किग्रा के एक बैग के बराबर है जिससे परंपरागत यूरिया की आवश्यकता 50 प्रतिशत या उससे अधिक कम हो जाती है।
इफको के राज्य उप-महाप्रबंधक डॉ ओमकार सिंह ने कहा कि नेनो यूरिया नाइट्रोजन का एक अनूठा स्रोत है। अधिकांश भारतीय मिट्टी में उपलब्ध नाइट्रोजन की कमी पाई जाती है। फसल नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया में 30 प्रतिशत की तुलना में 85 से 90 प्रतिशत दक्षता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यह मिट्टी, हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार लाता है। डॉ पुष्पेंद्र ने कहा कि एक एकड़ खेत के लिए 500 मीली नैनो यूरिया तरल को 125 लीटर पानी में मिलाकर, अंकुरण/रोपाई के 30 से 35 दिन बाद खड़ी फसल में छिडक़ाव करना अति उपयोगी रहता है। इसके अलावा, इफको नैनो यूरिया लिक्विड किसानों की फसल उत्पादकता में 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि और इनपुट लागत में कमी के परिणामस्वरूप भंडारण और अन्य लागत में बचत करता है।
हिसार सहकारी बैंक के महा-प्रबंधक जयप्रकाश सोनी ने बताया कि नैनो यूरिया सभी फसलों के लिए उपयोगी है। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के दिशा-निर्देशों के अनुसार नैनो-यूरिया का जैव सुरक्षा और विषाक्तता के लिए परीक्षण किया गया है और इसे वनस्पतियों और जीवों के लिए सुरक्षित पाया गया है।
पत्रकार वार्ता में क्षेत्र अधिकारी अभय सिंह यादव ने बताया कि किसानों द्वारा इफको किसान सेवा केंद्रों, इफको ई-बाजार के बिक्री केंद्रों एवं सहकारी समितियों से 200 रुपये प्रति बोतल (500 मीली की एक बोतल के लिए अधिकतम बिक्री मूल्य) में प्राप्त किया जा सकता है, जो पारंपरिक यूरिया के अधिकतम बिक्री मूल्य से 10 प्रतिशत कम है। इसे इफको ई-कॉमर्स वेबसाइट www.iffcobazar.in के माध्यम से भी ऑनलाइन ऑर्डर किया जा सकता है। इस अवसर पर सहकारिता समिति हिसार के डिप्टी रजिस्ट्रार बंसीलाल, इफको के राज्य उप-महाप्रबंधक डॉ ओमकार सिंह, हिसार सहकारी बैंक के महा-प्रबंधक जयप्रकाश सोनी, क्षेत्र अधिकारी अभय सिंह यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।