रणदीप सुरजेवाला किसान भवन पर कार्यकर्ताओं से हुए रूबरू

July 4, 2021

रणदीप सुरजेवाला किसान भवन पर कार्यकर्ताओं से हुए रूबरू

सुरजेवाला ने बोला भाजपा पर हमला, मोदी सरकार पर राफेल एयरक्राफ्ट सौदे में भ्रष्टाचार साबित होने के दिए प्रमाण

कैथल, 04 जुलाई 2021  रवि पथ :

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला आज कैथल में किसान भवन पर कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए और उनका कुशलक्षेम जान उनकी समस्याएं भी सुनी।

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी सरकार व भाजपा पर प्रथम दृष्टि से राफेल एयरक्राफ्ट सौदे में भ्रष्टाचार साबित होने का प्रमाण दिया। सुरजेवाला ने कहा कि जो कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी कहते रहे हैं, वो प्रथम दृष्टि से साबित हो गया।

अलग अलग पहलुओं के माध्यम से मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए सुरजेवाला ने कहा कि 14 जून, 2021 को फ्रांस के पब्लिक प्रॉसिक्यूशन सर्विस पीएनएफ ने राफेल कागजात में भ्रष्टाचार, क्रोनी कैपिटलिज्म, नाजायज तौर से प्रभाव डालने और नाजायज तौर से लोगों को कैंडिडेट बनाने राफेल एयरक्राफ्ट की मैन्युफैक्चरिंग का, उसको लेकर एक भ्रष्टाचार की जांच शुरु कर दी है। ये भी बताया गया है कि भ्रष्टाचार की उस जांच में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति, जिनके समय में राफेल एयरक्राफ्ट की डील मोदी जी ने साइन की थी – ओलांद, उनकी भूमिका की भी जांच होगी। फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की भी जांच होगी और उनके साथ-साथ उस समय के फ्रांस के रक्षा मंत्री, जो आज विदेश मंत्री हैं तथा अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस भी जांच के घेरे में है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार और स्वीटहर्ट डील भी अब सामने आ गई है। फ्रेंच वेबसाइट मीडिया पार्ट ने अब एक समझौता जो दसॉल्ट एविएशन और रिलायंस के बीच में हुआ था, उसके तथ्य सामने रख दिए हैं, कागजात सहित। याद करिए कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने बाकायदा एक इंटरव्यू में कहा था कि दसॉल्ट के पार्टनर रिलायंस अनिल अंबानी की कंपनी को बनाने का निर्णय में उनकी कोई च्वाइस नहीं थी, क्योंकि ये भारत सरकार के प्रभाव में किया गया निर्णय था।

सुरजेवाला ने कहा कि अब चार या पांच तथ्य अब उन कागजात से सामने आ गए हैं :-
• जो डीआरएएल कंपनी बनाई गई, दसॉल्ट रिलायंस एरो स्पेस लिमिटेड उसमें रिलायंस 51 प्रतिशत मालिक है और जो दसॉल्ट है, वो 49 प्रतिशत मालिक है। इस कंपनी में दोनों भागीदारों द्वारा रिलायंस और दसॉल्ट द्वारा 169 मिलियन यूरो इनवेस्टमेंट अधिक से अधिक करने का निर्णय किया गया। परंतु दसॉल्ट जो 49 प्रतिशत हिस्सेदार है, वो 169 मिलियन यूरो में से 159 मिलियन यूरो लाने के लिए बाध्य होगी और 51 प्रतिशत की मालिक रिलायंस केवल 10 मिलियन यूरो लाएगी।

• क्लोज 4.4.1 जो इस समझौते का है, दसॉल्ट और रिलायंस के बीच, उसमें जहाज बनाने की सारी तकनीक, सारी विशेषज्ञता तो दसॉल्ट एविएशन लाएगी, तो फिर रिलायंस क्या लाएगी। उन्होंने कहा कि रिलायंस लाएगी मार्केटिंग फार प्रोग्राम एंड सर्विसेस विद गवर्मेंट ऑफ इंडिया। ये कौन सी सर्विस विद गवर्मेंट ऑफ इंडिया असर के अलावा जो रिलायंस लेकर आ रही थी?

• स्वाभाविक तौर से इस समझौते के बाद भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एरोनाटिक लिमिटेड जो जहाज बनाती आई है, उसको राफेल सौदे से बाहर कर दिया गया।

• 25 मार्च, 2015 को दसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर बैंगलोर आते हैं और भारतीय वायु सेना के प्रमुख एवं एचएएल के प्रमुख की मौजूदगी में दसॉल्ट और एचएएल के समझौते की पुष्टि करते हैं। पर 24 घंटे में ही 26 मार्च, 2015 को दसॉल्ट एविएशन अनिल अंबानी जी की कंपनी रिलायंस इन्फ्रा से अपना नया एग्रीमेंट एमओयू साइन कर लेती है। ये 15 दिन पहले है, 10 अप्रैल, 2015 से, जब मोदी जी यकायक फ्रांस गए और बगैर किसी को बताए 7.8 बिलियन डॉलर के 36 राफेल एयरक्राफ्ट खरीदने का निर्णय कर दिया।

उन्होंने कहा कि हमारे डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसिजर में मेंडेटरी शर्त है कि किसी रक्षा सौदे में ना कोई बिचौलिया हो सकता, ना भ्रष्टाचार हो सकता, ना कमीशन दिया जा सकता और जब 36 एयरक्राफ्ट का सौदा हुआ, तो हमारे रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ये एंटी करप्शन क्लोज रखना अनिवार्य है। परंतु फ्रेंच सरकार और दसॉल्ट ने कहा कि हम ये एंटी करप्शन क्लॉज नहीं रखेंगे। और सितंबर, 2016 में भारत सरकार, मोदी सरकार ने ये मान लिया।
अब इन सारे खुलासों के बाद इन भ्रष्टाचार विरोधी क्लोज को हटा देना और ज्यादा पूरे मामले को संदेह के घेरे में लेकर ले आता है।

सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करते हुए कहा कि अब भ्रष्टाचार की परतें खुल चुकी हैं। प्रथम दृष्टि से राफेल स्कैम सामने है। राफेल में भ्रष्टाचार सामने है। सरकारी खजाने को चूना लगाना सामने है और देशहित का विरोध करना या देशद्रोह सामने है। ऐसे में क्या प्रधानमंत्री मोदी सामने आकर अब राफेल घोटाले की जेपीसी जांच करवाएंगे?