पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साधा भाजपा सरकार पर निशाना

April 13, 2019

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साधा भाजपा सरकार पर निशाना

रवि पथ ब्यूरो चंडीगढ़; 13 अप्रैल 2019
पूर्व मुख्यमन्त्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसे अनावश्यक रूप से लोगों को परेशान करना रूचिकर लगता है। ताजा उदाहरण आढ़तियों को परेशान करना है। जो कई दिनों से ई-ट्रेडिंग प्रणाली के विरोध में धरने पर बैठे हैं। 25 मार्च को आढ़तियों से बातचीत के बाद मुख्य मन्त्री ने उनकी मागों को स्वीकार किया था पर तीन दिन बाद 28 मार्च को ही सरकारी आदेश सहमति के उल्ट जारी कर दिए गए, जिससे आढ़तियों का आक्रोशित होना स्वाभाविक था। आढ़तियों की हड़ताल-स्वरूप गेहूँ की खरीद प्रभावित हुई है, जिससे किसान सकते में हैं। सरकार को नहीं मालूम कि आढ़तियों का मुद्दा न सुलझने से किसानों को कितनी दिक्कत हो रही है व उसका कितना नुकसान हो रहा है।


हुड्डा ने कहा कि मुख्यमन्त्री रोड़ शो बेशक करें पर वो किसानों की परेशानियों को नजरन्दाज न करें। किसान पहले ही सरसों खरीद की शर्तों व गन्ने के बकाया से संकट में थे व अब गेहूँ खरीद में आये अवरोध से उनकी परेशानी और बढ गई है। सरकार को मामले की गम्भीरता समझते हुए इसे हल करने की पहल करनी चाहिए वर्ना उसे उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। सरकार पहले भी कहती आई है कि आढ़तियों ने हड़ताल वापिस ले ली है परन्तु अब सरकार अपने निर्णय पर कायम रहे। पहले की तरह पुर्नवृति नहीं होनी चाहिए।


पूर्व मुख्यमन्त्री ने सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि वो केवल हवा में तीर छोड़ना जानती है। धरातल पर क्या हो रहा है या क्या करना है, बिल्कुल नहीं जानती। यह सरकार की अनुभवहीनता है या कोई लाचारी है या उसे लोगों को कष्ट देने में ही आनन्द आता है, यह वही जाने। सरकार को समझना चाहिए कि आढ़तियों की परेशानी ही किसानों की परेशानी है, क्योंकि आढ़ति और किसान एक ही सिक्के के दो पहलु हैं।


हुड्डा ने करनाल में छात्रों पर पुलिस बर्बरता पर अपना आरोप दोहराते हुए कहा कि ऐसी कठोर कारवाई ऊपर के आदेश के बिना नहीं हो सकती। आई.टी.आई करनाल में घुस कर पुलिस द्वारा छात्रों व शिक्षकों की बेहरमी से पिटाई करना असहनीय है। अतः उच्च स्तरीय न्यायिक जाँच जरूरी है ताकि असलियत सामने आ सके। साधारण जाँच तो केवल लीपा-पोती का काम करेगी। एफआईआर विधार्थियों व स्टाफ पर नहीं, जिम्मेवार लोगों व आदेश देने वालों पर होनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी ऐसे जंगल राज पर आखें बन्द नहीं कर सकती। करनाल मामले का शान्तिपूर्ण पटाक्षेप इस लिए भी जरूरी है कि लोक सभा चुनाव शान्तिपूर्ण माहौल में हों। यदि सरकार यह सोचती है कि वो डरा धमका कर या दबाब बनाकर लोगों का दिल जीत लेगी तो वह मुगालते में है।


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