भाजपा के गुंडों द्वारा पुलिस से डंडे छिन कर किसानों पर किया गया हमला : अभय सिंह चौटाला

January 10, 2021

भाजपा के गुंडों द्वारा पुलिस से डंडे छिन कर किसानों पर किया गया हमला : अभय सिंह चौटाला

चंडीगढ़, 10 जनवरी रवि पथ :

इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव एवं विधायक अभय सिंह चौटाला ने रविवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि भाजपा के गुंडो द्वारा पुलिस से डंडे छिन कर किसानों पर हमला करना बेहद निंदनीय है। केंद्र सरकार के गलत निर्णयों के कारण आज किसान अपने हकों के लिए आंदोलन करने पर मजबूर है। आज पूरे देश भर से आए किसान पिछले 46 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर भीषण ठंड और बारिश जैसी विपरीत परिस्थितियों में काले कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं। भाजपा की केंद्र सरकार 8 दौर की वार्ता किसान संगठनों के साथ कर चुकी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है जिससे एक बात बिल्कुल स्पष्ट होती है की सरकार की नियत में खोट है। जहां एक तरफ़ केंद्र सरकार किसान संगठनों से कृषि क़ानूनों पर वार्ता का ढ़ोंग कर रही है वहीं दूसरी तरफ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर हरियाणा की जनता को कृषि क़ानूनों के फ़ायदे बताने के लिए किसान पंचायत कार्यक्रमों का आयोजन कर भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर को बजाय प्रदेश की जनता को गुमराह करने के प्रधानमंत्री से मिलकर किसानों की माँगों को मनवाने के प्रयास करने चाहिए।

इनेलो नेता ने कहा कि आज किसानों द्वारा करनाल जिले के कैमला गाँव में मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित किसान पंचायत का ज़बरदस्त विरोध यह स्पष्ट संकेत है की अब किसानों के विरोध में कोई भी क़ानून बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा की हमेशा से लोगों को धर्म एवं जात-पात में बाँटने की नीति रही है उसी राह पर चलते हुए मुख्यमंत्री खट्टर समाज को बाँटने के लिए हर ओच्छे हथकंडे अपना रहे हैं जिसे क़तई स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा द्वारा हरियाणा प्रदेश में किसानों पर किसी भी तरह की नाइंसाफ़ी की गई और समाज को बाँटने की कौशिश की गई तो इनेलो एक बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होगी।

उन्होंने कहा कि लॉकडाऊन में जब देश की जीडीपी गिर गई थी तब केवलमात्र किसान ही था जिसने जीडीपी को जिंदा रखा और देश को खुशहाल बनाए रखा। इनेलो पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता इस आंदोलन में किसानों के साथ धरने पर कंधे से कंधा मिला कर लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब किसान और ज्यादा मजबूत होकर भारी संख्या में आंदोलन में भाग लेंगे और केंद्र सरकार को लाए गए तीनों काले कानूनों को वापिस लेने पर मजबूर होना पड़ेगा।