जल अमूल्य धरोहर, आने वाली पीढिय़ों के लिए इसका संरक्षण बहुत जरूरी : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

September 20, 2021

जल अमूल्य धरोहर, आने वाली पीढिय़ों के लिए इसका संरक्षण बहुत जरूरी : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

मृदा व जल संरक्षण के लिए तिलहन व दलहन फसलों को भी करना होगा शामिल

हिसार  20 सितंबर  रवि पथ :

जल हमारी बहुत ही अमूल्य धरोहर है। इसका संरक्षण करके हम आने वाली पीढिय़ों के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। इसके लिए हमें फसल विविधिकरण को अपनाना होगा। इससे न केवल किसान की आमदनी बढ़ेगी बल्कि जल व मृदा का भी संरक्षण होगा। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय एवं गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे गांव धोलू में आयोजित बासमत्ती धान में कीटनाशकों का सुरक्षित एवं न्यायपूर्ण प्रयोग विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन विस्तार शिक्षा निदेशालय व एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेसड फूड एक्सपोर्ट डेवलेपमेंट अथॉरटी (एपीडा) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। मुख्यातिथि ने कहा कि किसानों को अपने खेत में बासमत्ती धान में कीटनाशकों व फफूंदनाशकों का प्रयोग वैज्ञानिकों की सलाह से ही करना चाहिए ताकि इसके निर्यात में बाधा उत्पन न हो और किसान को अच्छा भाव मिल सके। उन्होंने कहा कि भूमिगत जलस्तर निरंतर गिरता जा रहा है जो बहुत ही चिंताजनक विषय है। इसके लिए हमें फसल विविधिकरण अपनाना होगा जिसमें तिलहन व दलहन फसलों को भी शामिल किया जाना जरूरी है। इससे न केवल मृदा की उर्वरा शक्ति कायम रहेगी बल्कि जल का संरक्षण भी होगा और किसान का शुद्ध मुनाफा भी बढ़ेगा। उन्होंने सरसों की बिजाई पर भी अधिक जोर देते हुए कहा कि यह कम खर्च में मौजूदा समय में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है।
फसलों में कम खर्च में अधिक आमदनी को लेकर दी जानकारी
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे किसानों के साथ मिलकर समय-समय पर उनकी समस्या के निदान के लिए जुटे रहें। साथ ही किसान अपनी समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिकों से संपर्क बनाए रखें। उन्होंने कम खर्च में अधिक आमदनी को लेकर खेती के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। एपिडा मोदी पूरम से आए डॉ. प्रमोद तोमर ने बासमत्ती धान की कृषि क्रियाओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कम से कम कीटनाशकों के प्रयोग पर जोर दिया। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार ने मुख्यातिथि व अन्य अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. सरदूल मान ने धान में लगने वाले कीट व बिमारियों व सूत्रकृमि के समन्वित प्रबंधन पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। डॉ. विकास हुड्डा ने कपास फसल में कीट प्रबंधन, सरसों व गेहूं की उन्नत किस्मों, बिजाई व खाद प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में सहायक अभियंता डॉ. सुभाष भाम्भू, खंड कृषि अधिकारी डॉ. कृष्ण बुड़ेला, कृषि विकास अधिकारी डॉ. विनय, पूर्व सरपंच राधेश्याम सहित क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।