नारनौल शहर में चौबीस घंटे से बिजली है गुल, लोग हुए बेहाल

July 19, 2021

नारनौल शहर में चौबीस घंटे से बिजली है गुल, लोग हुए बेहाल

अधिकारियों की बोलती बंद, सत्ताधारीदल से जुड़े नेता आपस में भिड़े

नारनौल  रवि पथ ;

भारी बरसात के कारण रविवार साँय पाँच बजे से गायब बिजली चौबीस घंटे बीत जाने के बाद भी सुचारु नहीं हो पाई है। शहर के लोगों का कहना है बिजली विभाग शहर के फीडरों को दुरुस्त करने की बजाय अपने बचाव के लिए बहाने ढूंढ रहा है। वहीं बिजली गुल होने से जुड़ा मामला सोमवार को जिला परिवेदना की मीटिंग में भी उठाया गया था, लेकिन सत्ताधारी दल से जुड़े दो नेताओं की आपसी बहस में उक्त मामला दब कर रह गया।
नारनौल शहर में बीते चौबीस घंटों से लगातार बारिश का सिलसिला जारी है। रविवार साँय पाँच बजे बारिश के कारण शहर की बिजली सप्लाई काट दी गयी थी। वहीं चौबीस घंटे बीत जाने के बाद भी बिजली का गुल रहना लोगों को रास नहीं आया और उक्त मामला जन परिवेदना कमेटी की मासिक बैठक में एक बीजेपी नेता के द्वारा उठाया गया। बीजेपी नेता ने मंत्री जेपी दलाल के सामने ही बिजली विभाग के आला अधिकारियों के उदासीन रवैये का जिक्र किया तो विकास पुरुष के नाम से विख्यात नेता अचानक भड़क गए और अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता को नीचा दिखाने का काम शुरू कर डाला। मीटिंघ में हुई इस बहस को लेकर शहर में तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गरम है। लोगों का कहना है कि एक शहरवासी होने के नाते शहर के प्रमुख मुद्दे को ज़ोर शोर से मंत्री के सामने उठा रहा था तो दूसरे को बीच में बोलने की क्या जरूरत थी। वैसे भी मुद्दा उठाने वाला नेता वरिष्ठता की सूंची में अव्वल है और पार्टी के प्रोटोकाल के मुताबिक वरिष्ठ नेताओं से बहस किसी भी पार्टी कार्यकर्ता या नेता के लिए वाजिब नहीं मनी गयी। शहर के लोगो का कहना है कि एक तरफ शहर के लोग बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है और दूसरी तरफ बीजेबी का ही नेता विभागीय अधिकारियों का निगहबान बना है। वैसे भी उक्त नेता को इस बात का अभिमान है कि उन्होने श्रेष्ठता की सूची में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, लेकिन इसका यह मतलब यह तो नहीं कि श्रेष्ठ व्यक्ति अभिमान से सरोबर होते हुए अपने वरिष्ठ की अवहेलना करने से भी नहीं चूके?
इन हालातों में शहर के लोगों की मूलभूत समस्याओं को किस तरह उठाया जाएगा, यह विचारणीय है। शहर में चर्चा है कि बेशक सत्ताधारी नेता आज राजनीति के शिखर पर है, लेकिन शायद उन्हें यह नहीं मालूम कि भविष्य का फैसला जनता के हाथ में होता है, श्रेष्ठता की लिस्ट बनाने वाले इसमें बदलाव नहीं कर सकते। फिलहाल शहर के लोग अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहें हैं।

उनका विधायक मंत्री तो है, लेकिन शहर की प्रमुख समस्याओं से निजात दिलाने में उनकी भूमिका गौण बनकर रह गयी है। वहीं दूसरी तरफ भी उनके राजनीतिक विरोधी बेशक उन्हीं की पार्टी से संबन्धित है, लेकिन बेवजह शहर के मूलभूत मामलों में टांग अड़ाना शायद उनकी आदत में शुमार हो चुका है। चर्चा है कि बिजली की समस्या से जनता त्रस्त है और नुकसान जनता को सहन करना पड़ रहा है।वहीं नेताओं को शायद मालूम भी है कि इस प्रकार की बहसबंदी से नुकसान सिर्फ तो सिर्फ बीजेपी पार्टी को ही होगा, लेकिन इस प्रकार की बेलगाम बोलचाल पर काबू पाया जाना शायद बीजेपी कर्णधारों के लिए मुश्किल हो रहा है। जनता की समस्या सुलझाने की बजाय आपस में उलझना जन हिट के लिए उचित नहीं माना जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक समूचे हालत की जानकारी जुटाई जा रही है और जल्द ही तमाम हालत मुख्यमंत्री के सामने रखने की योजना को अमली जमा पहनाया जा रहा है।