नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत पाठ्यक्रम में बदलाव विद्यार्थियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करेंगेः प्रो. आर.सी. कुहाड़

July 19, 2021

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत पाठ्यक्रम में बदलाव विद्यार्थियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करेंगेः प्रो. आर.सी. कुहाड़

 रवि पथ न्यूज़ :

हकेवि में पाठ्यक्रम निर्माण हेतु ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित

अंतःविषयी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान पीठ ने किया आयोजन
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन की दिशा में हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ योजनाबद्ध ढ़ंग से आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय शिक्षा नीति के सफलतम क्रियान्वयन हेतु देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों की अपेक्षा उल्लेखनीय ढ़ंग से प्रयासरत है। इसी के परिणाम स्वरूप विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर विशेषज्ञ व्याख्यानों, कार्यशालाओं व चर्चाओं का आयोजन किया जा रहा है। अवश्य ही विश्वविद्यालय के ये प्रयास नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के लक्ष्य को पाने में मददगार सिद्ध होंगे। यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने अंतःविषयी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान पीठ के द्वारा नई शिक्षा नीति पर आधारित पाठ्यक्रम निर्माण हेतु आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर विशेषज्ञ वक्ता के रूप में हैदराबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रो. अप्पा राव पोडले, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. वी.के. चौधरी, प्रो. जे.एस. विर्दी और डॉ. अमिता गुप्ता उपस्थित रहे। अंतःविषयी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष व शोध अधिष्ठाता प्रो. नीलम सांगवान ने सभी आमन्त्रित विषय विशेषज्ञों और कुलपति महोदय का स्वागत किया।
विश्वविद्यालय की अंतःविषयी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान पीठ द्वारा आयोजित इस कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रतिभागियों को बताया कि किस तरह से विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हेतु प्रयासरत है। कुलपति ने बताया कि इस दिशा में निरंतर चर्चा, विमर्श, कार्यशालाओं व वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है और इनमें शामिल होने वाले विशेषज्ञों के उल्लेखनीय सुझावों को पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया में समाहित किया जा रहा है। कुलपति ने इस अवसर पर पाठ्यक्रम निर्माण के विभिन्न तकनीकी पक्षों का उल्लेख करते हुए विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए मूल्य-आधारित पक्षों को महत्त्व देने, इनोवेशन पर जोर देने के साथ-साथ विद्यार्थियों को ब्लेंडिड लर्निंग का विकल्प उपलब्ध कराने की अनिवार्यता व्यक्त की।

विशेषज्ञ वक्ता प्रो. अप्पा राव पोडले ने विश्वविद्यालय के द्वारा नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु जारी प्रयासों की सराहना की और नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा व्यवस्था के विकास पर जोर दिया। उन्होंने ऑनलाइन एजुकेशन के प्रभाव पर भी चर्चा की और इसके लिए विशेष रूप से प्रयास करने की जरूरत बताई। दूसरे विशेषज्ञ वक्ता प्रो. वी.के. चौधरी ने संयुक्त अध्ययन व अध्यापन की व्यवस्था को विकसित करने पर जोर दिया और कहा कि इसके माध्यम से आपसी सहयोग से उपलब्ध ज्ञान का अधिकतम प्रचार-प्रसार व विस्तार संभव हो सकेगा। इसलिए नई शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत विशेष रूप से प्रयास करने होंगे। इसी तरह प्रो. जे.एस. विर्दी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति व लर्निंग आउटकम बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क (एलओसीएफ) के अंतर्गत तैयार होने वाले पाठ्यक्रमों में विषय आधारित नैतिक पक्षों के साथ-साथ विद्यार्थियों को जीवन पर्यन्त काम आने वाले नैतिक मूल्यों से भी अवगत कराने पर जोर दिया। उन्होंने अपने संबोधन में स्नातक व स्नातकोत्तर अध्ययन के स्तर पर इनोवेशन के प्रति विद्यार्थियों का रूझान विकसित करने की दिशा में भी ठोस प्रयास करने की आवश्यकता बताई। अन्य विशेषज्ञ डॉ. अमिता गुप्ता ने अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति के आने के बाद शिक्षकों द्वारा शिक्षण के स्तर पर विस्तृत बदलाव की आवश्यता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मौलिक व प्रोफेशनल पाठ्यक्रम के बीच के अंतर को खत्म कर दिया है और हमें इस बदलाव को देखते हुए ही पाठ्यक्रम निर्माण और शिक्षण तकनीकों का विकास करना होगा। उन्होंने विभिन्न पाठ्यक्रमों में इलेक्टिव कोर्स के महत्त्व पर भी जोर दिया।
विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अधिष्ठाता डॉ. संजीव कुमार ने इस अवसर पर अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति को केंद्र में रखते हुए पाठ्यक्रम निर्माण के आधारभूत पक्षों को प्रस्तुत किया और उनकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की संयोजक प्रो. नीलम सांगवान ने अपने संबोधन में विशेषज्ञों के द्वारा प्रस्तुत सुझावों को महत्त्वपूर्ण बताया कि अवश्य ही इनके माध्यम से नई शिक्षा नीति के अंतर्गत निर्धारित मानकों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने वाले पाठ्यक्रम के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। विश्वविद्यालय के अंतःविषयी एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान पीठ के द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में बायोकेमेस्ट्री, बायोटेक्नोलॉजी, न्यूट्रिशन बायोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फार्मासुटिल साइंसेज, पर्यावरण अध्ययन, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान तथा योग विभाग ने नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप तैयार पाठ्यक्रमों के प्रारूप भी प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन पोषण जीवविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. तेजपाल ढेवा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. दिनेश गुप्ता ने प्रस्तुत किया। साथ ही सहभागी शिक्षकों की भागीदारी के लिए उनका आभार व्यक्त किया। प्रो. नीलम सांगवान, प्रो. दिनेश गुप्ता, डॉ. बिजेन्दर सिंह, डॉ. गुंजन गोयल, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. अजय पाल, डॉ. अश्वनी कुमार, डॉ. मनोज कुमार ने अपने विभाग के विषयों को प्रस्तुत किया।