पीएम से समय लेकर, किसान आंदोलन का समाधान निकलवाने का नेतृत्व करें सीएम खट्टर: दौलतपुरिया
रवि पथ न्यूज़ :
-बलवान दौलतपुरिया ने हरियाणा सीएम व डिप्टी सीएम को लिखे पत्र में उठाई मांग, आंदोलन प्रदेश की धरती पर ऐसे में पंजाब, यूपी, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार व राजस्थान के मुख्यमंत्रियों एकजुट कर पीएम से मिले हरियाणा सीएम
-विधायक, मंत्रियों के बाॅयकाट निंदा प्रस्ताव पर बोले: 300 से अधिक किसान मारे गए, उन पर शोक प्रस्ताव कब लाएगी सरकार
फतेहाबाद: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को 100 से भी कहीं ज्यादा दिनों का समय बीत चुका है, लेकिन आंदोलन को खत्म करवाने के प्रति अब केंद्र सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही। सरकार की इस अनदेखी को लेकर पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया एक बार फिर सक्रिय हुए हैं। इस कड़ी में उन्होंने प्रदेश के सीएम मनोहर लाल व डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला को पत्र लिखकर उनसे किसान आंदोलन के समाधान में आगे आकर मोर्चा संभालने की मांग की है। उन्होंने मांग उठाई कि सीएम मनोहर लाल व डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला को समाधान की पहल का नेतृत्व करते हुए विभिन्न प्रदेशों के सीएम को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बातचीत करनी चाहिए। क्योंकि देश का अन्नदाता करीब 4 माह से हरियाणा की धरती पर ही अपना हक पाने की लड़ाई लड़ रहा है, जो पूरे देश के लिए चिंता व दुख का विषय है।
बलवान दौलतपुरिया ने कहा कि भाजपा सरकार को हठधर्मिता छोड़कर यह समझना चाहिए कि जिस किसान के लिए वह कृषि कानूनों को फायदेमंद बता रही है, वहीं किसान इन कानूनों को रद्द करवाने की लड़ाई में लगातार अपनी शहादत तक देने से पीछे नहीं हट रहा। पहले हाड कंपा देने वाली सर्दी में भी वह दिल्ली के बाॅर्डरों की सड़कों पर दिन-रात बिताने को मजबूर हुआ। अब जब उसकी गेंहू की फसल कटाई का समय आ गया है, तब भी वह तपती गर्मी में अपने परिवार संग लगातार आंदोलनरत है। किसानों का कृषि कानूनों के खिलाफ यह संघर्ष, प्रमाणित करता है कि ये कानून किसान हित में बिल्कुल नहीं है, बल्कि यह केवल मात्र सरकार द्वारा किसानों पर जबरदस्ती थोपा गया निर्णय है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनावी फायदा लेने के लिए देश के पीएम व गृह मंत्री अपने 130 कार्यकर्ताओं की मौत का जिक्र करते नहीं थकते। किसान आंदोलन में दिल्ली में 300 से अधिक किसान मारे गए, उन पर अब तक देश के पीएम व गृह मंत्री या किसी भी बड़े नेता ने हमदर्दी का एक शब्द तक नहीं बोला। हरियाणा विधानसभा में विधायकों, मंत्रियों के कार्यक्रमों का बाॅयाकाट करने वालों का निंदा प्रस्ताव लाने पर भी उन्होंने सरकार पर कटाक्ष किया। दौलतपुरिया ने कहा कि आंदोलन में 300 से अधिक किसान मारे जा चुके हैं, उनकी मौत पर शोक प्रस्ताव क्यों नहीं ला पाई सरकार। किसानों की मौत व आंदोलन पर देश के मुखिया नेताओं की यह चुप्पी सीधे तौर पर अन्नदाता का अपमान है। ऐसे में जिन किसानों की बदौलत हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी, उत्तराखंड व बिहार के मुख्यमंत्रियों ने अपनी सरकारें बनाई है। उनका नैतिक कर्तव्य बनता है कि वे एकजुट होकर देश के पीएम से मिलें। इस आंदोलन का समाधान निकलवाएं। इसके लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व डिप्टी सीएम दुष्यंत चैटाला को आगे आकर नेतृत्व करना चाहिए, क्योंकि देश भर के किसान हरियाणा की धरती पर ही अपने आंदोलन को लगातार मजबूत बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक न होकर, सीधे तौर पर देश के उस अन्नदाता से जुड़ा है, जिसकी मेहनत के बिना हम अपना पेट भरने की कल्पना भी नहीं कर सकते। उन्होंने उम्मीद जताई कि दलगत सोच से उपर उठकर हरियाणा के सीएम व डिप्टी सीएम उनकी मांग पर गंभीरता से विचार करेंगे।