अनुसूचित वर्ग के पात्र लाभार्थी ऋण योजनाओं का लाभ उठाएं : उपायुक्त

March 15, 2021

अनुसूचित वर्ग के पात्र लाभार्थी ऋण योजनाओं का लाभ उठाएं : उपायुक्त

स्वरोजगार के लिए 3 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा

हिसार, 15 मार्च रवि  पथ :

उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने अनुसूचित वर्ग के पात्र लाभार्थियों से हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम की विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं का लाभ लेने का आह्वïान किया है। उन्होंने कहा कि आयोग का मुख्य उद्देश्य हरियाणा के अनुसूचित जाति के सदस्यों को स्वयं रोजगार करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस दिशा में विभिन्न बैंकों, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम तथा राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से तीन तरह के लाभ प्रदान किए जाते हैं।
उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 49 हजार रुपये व शहरी क्षेत्रों में 60 हजार रुपये तक की आय वाले अनुसूचित जाति के सदस्य पशुपालन, किरयाना दुकान, झोटा-बुग्गी, खच्चर रेहड़ी व सुअर पालन इत्यादि के लिए बैंकों के माध्यम से 1 लाख 50 हजार रुपये तक का ऋण ले सकते हैं। हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा कुल लागत राशि का 50 प्रतिशत या अधिकतम 10 हजार रुपये तक का अनुदान व 10 प्रतिशत मार्जन मनी 4 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराई जाती है। इसके अतिरिक्त बकाया ऋण बैंकों द्वारा दिया जाता है।


उन्होंने कहा कि इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में 98 हजार रुपये व शहरी क्षेत्रों में 1 लाख 20 हजार रुपये तक की आय वाले अनुसूचित जाति के सदस्य लघु व्यवसाय योजना स्कीम के तहत अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से ऑटो रिक्शा, टैंट हाउस, बुटीक, ब्यूटी पार्लर, किरयाना दुकान, मनियारी दुकान व ई-रिक्शा इत्यादि व्यवसायों के लिए 6 प्रतिशत ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक के ऋण ले सकते हैं। इस स्कीम के अंर्तगत 10 हजार रुपये तक का अनुदान केवल बीपीएल परिवारों को निगम द्वारा दिया जाता है।
उपायुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम के वित्तीय सहयोग से भी सैनीटेशन कार्य में लगे राज्य के सफाई कर्मियों तथा उनके आश्रितों को पशुपालन, व्यापारिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, वाणिज्य वाहन (ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा इत्यादि) आदि व्यवसायों के लिए 4 से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर 60 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाया जाता है तथा इन स्कीमों की कुल लागत का 5 प्रतिशत हिस्सा लाभार्थी द्वारा वहन किया जाता है।