विपक्षी दल अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ फैला रहे हैं भ्रम : सुरेंद्र पुनिया

September 15, 2020

विपक्षी दल अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ फैला रहे हैं भ्रम : सुरेंद्र पुनिया

हिसार  15 सितंबर रवि पथ:

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि अध्यादेशों पूरी तरह से किसानों के हित में हैं। इनको लेकर केवल विपक्ष द्वारा अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए भ्रम फैलाया जा रहा ह। यह बात आज भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेंद्र पुनिया ने एक बयान जारी कर कही। बयान में उन्होंने कहा कि इन अध्यादेशों से किसी तरह की जमा खोरी नहीं बढ़ेगी। सरकार का पूरा नियंत्रण रहेगा किसी भी ऐसी वस्तु की जमाखोरी नहीं करने दी जाएगी जिसकी मांग बाजार में शोर्ट हो गई होगी अगर कोई ऐसा करता है तो इसके पूरे भण्डारण को सरकार अपने अधिकार में ले सकती है।
पूर्व जिलाध्यक्ष ने बताया कि इन अध्यादेशों में कही भी ऐसा कोई जिक्र नहीं है कि किसान के लिए एमएसपी पर फसल नहीं बिकेगी किसान अगर चाहे तो मंडी में जाकर एमएसपी पर अपनी फसल को बेच सकता है। अगर उसको मंडी से बाहर एमएसपी से अधिक मूल्य मिल रहा है तो वह वहाँ बेच सकता है। यह किसान की मर्जी है वह कही भी अपनी फसल को बेच सकता है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने तो अब खरीफ की फसल की खरिद के लिए सारी तैयारी भी कर ली है। हरियाणा में धान की खरिद के लिए 400 खरीद केंद्र, बाजरा के लिए 120 और मूंग के लिए 30 खरीद केन्द्रों का निर्धारण कर भी दिया है, जिन पर जाकर किसान अपनी फसल को एमएसपी पर बेच सकता है।
पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेंद्र पूनियां ने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि किसानों की जमीन पर अनुबंध करने वाली कम्पनियाँ कब्जा कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि किसान की जमीन को किसी भी स्थिति में कोई कंपनी नहीं कब्ज़ा सकती द्य जब तक का अनुबंध किसान चाहेगा करेगा और जिस मूल्य पर चाहेगा उस पर करेगा द्य इसकी धारा 8(ए) में उल्लेख है कि अगर अनुबंध समाप्त होने पर कम्पनी किसान की जमीन पर बनाया स्ट्रक्चर जैसे पोली हाउस आदि नही हटाती तो वो सब किसान का हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि कृषि अध्यादेशों का मकसद है एक देश एक- एक बाजार, जहां मिले ज़्यादा भाव- बेचे और देश में किसी भी जगह बेचने की आजादी। उन्होंने कहा कि अगर किसी की इन अध्यादेश की किसी लाइन पर आपत्ति है तो उसमें क्या सुधार किया जाए या इन अध्यादेशो में किसान के भले के लिए क्या एड किया जाए ये बताया जा सकता था क्योंकि इन पर कानून तो संसद में बनेगा।