उचित अवसर मिलें तो देश के विकास का परिदृश्य बदल सकती हैं महिलाएं : प्रोफेसर समर सिंह

December 5, 2020

उचित अवसर मिलें तो देश के विकास का परिदृश्य बदल सकती हैं महिलाएं : प्रोफेसर समर सिंह

देश की दूसरी हरित क्रांति में महिलाओं की सहभागिता जरूरी : प्रोफेसर समर सिंह

एचएयू के होम साइंस कॉलेज में महिला किसान दिवस के अवसर पर व्यक्त किए विचार

हिसार : 5 दिसंबर  रवि पथ :

अगर हम देश में दूसरी हरित क्रांति लाना चाहते हैं तो कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका व उनकी सहभागिता को सुनिश्चित करना होगा। इसके लिए महिला किसानों को प्रोत्साहन व वित्तिय सुविधा प्रदान करना जरूरी है। उक्त विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने कहे। वे विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान महाविद्यालय में आयोजित महिला किसान दिवस के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. बिमला ढांडा ने की। कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से किया गया। मुख्यातिथि ने कहा कि आज देश की कुल आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है, इसके बावजूद खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अभी भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कुलपति ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान को न केवल सराहा जाना चाहिए बल्कि उन्हें अधिक से अधिक किसानी के लिए आमंत्रित भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कृषि क्षेत्र में महिलाओं को बराबर का दर्जा मिले तो फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सकती है, भूख और कुपोषण को भी रोका जा सकता है। इसके अलावा ग्रामीण आजीविका में सुधार होगा, जिसका लाभ पूरे परिवार व समाज को होगा। सरकार की विभिन्न नीतियां जैसे जैविक खेती, स्वरोजगार योजना, भारतीय कौशल विकास योजना इत्यादि में महिलाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इसी दिशा में ग्रामीण महिलाओं के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने व उन्हें स्वरोजगार स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों, गृह विज्ञान महाविद्यालय व सायना नेहवाल संस्थान की ओर से अनेक प्रशिक्षण प्रदान किए जा रहे हैं। यहां से प्रशिक्षण हासिल कर महिलाएं अपना स्वयं का व्यवसाय भी शुरू कर सकती हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है।


कृषक महिलाओं ने सांझा किए विचार
डॉ. बिमला ढांडा ने बताया कि देश भर के समस्त कृषि विश्वविद्यालयों, संस्थानों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों में महिला किसान दिवस आयोजित करने का उद्देश्य कृषि में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को बढ़ाना है। कार्यक्रम के दौरान फतेहबाद जिले की प्रगतिशील महिला किसान सिमरजीत कौर ने केंचुआ खाद-एक व्यवसाय एवं खाद्य सुरक्षा पर अपन विचार सांझा किए व अन्य महिलाओं को भी जैविक खेती अपनाने पर बल दिया। किसान नरेंद्र ने महिलाओं को विविधिकरण अपनाने की सलाह दी। उन्होंने महिलाओं से विभिन्न सब्जियों की पंजीरी तैयार करने के अनुभव के साथ-साथ कृषि व्यवसाय से अधिक से अधिक मुनाफा हासिल करने को लेकर भी विचार-विमर्श किया।
स्वयं सहायता समूह बनाकर करें काम
गैर सरकारी संगठन से जुड़ी पुष्पा रानी ने महिलाओं से स्वयं सहायता समूहों से जुडक़र काम करने का आह्वान करते हुए कहा कि वे गृह वाटिका, बीज तैयार कर व घरेलू खाद्य उत्पादन से अपनी आय उपार्जित कर सकती हैं। डॉ. वीनू सांगवान ने मोटै अनाज का प्रसंस्करण व पौष्टिकता पर व्याख्यान देते हुए गृह विज्ञान महाविद्यालय द्वारा आयोजित किए जाने वाले विभिन्न प्रशिक्षणों के बारे में जानकारी दी। डॉ. बीना यादव ने सभी वक्ताओं व श्रोताओं का धन्यवाद किया। कार्यक्रमा का संयोजन डॉ. शुष्मा कौशिक व डॉ. राजेश दहिया ने किया। इस कार्यक्रम में प्रदेश की करीब 200 कृषक महिलाएं जिन्होंने इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है, अपने खेती-बाड़ी संबंधी अनुभवों को सांझा किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष के अलावा होम साइंस कॉलेज की शिक्षकों व विभिन्न गांवों की महिलाओं ने ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से हिस्सा लिया।