बिहार की तर्ज पर पूरे देश में कराई जाए जातीय जनगणना-एडवोकेट खोवाल

June 2, 2022

बिहार की तर्ज पर पूरे देश में कराई जाए जातीय जनगणना-एडवोकेट खोवाल

जातीय जनगणना के अभाव में अदालतों में सैंकड़ों मामले हैं लंबित

आरक्षण को निष्क्रिय कर आरएसएस का एजेंडा लागू करना चाहती है बीजेपी

हिसार, 2 जून रवि पथ :

ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लास फेडरेशन के कानूनी सलाहकार एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने बिहार में सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से जाति आधारित जनगणना कराने के फैसले का स्वागत किया है। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि बिहार की तर्ज पर पूरे देश में जातीय जनगणना कराई जाए ताकि वंचित वर्ग के लोगों को उनका वास्तविक अधिकार मिल सके।
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि जातीय जनगणना न होने का खामियाजा प्रदेश के लोग पिछले लंबे समय से भुगत रहे हैं। विशेष तौर पर अभी हाल ही में माननीय कोर्ट ने भी निकाय चुनावों में पिछड़े वर्ग के आठ प्रतिशत आरक्षण को इसी वजह से देने से मना कर दिया था। अगर प्रदेश सरकार पहले ही बिहार की तरह जातीय जनगणना करा लेती तो कोर्ट में तथ्यों के साथ पिछड़े वर्ग को दिए गए आरक्षण की पैरवी कर सकती थी। लेकिन प्रदेश सरकार की मानसिकता ही पिछड़ा वर्ग विरोधी है और केवल समाज के लोगों को बरगलाने के लिए बिना तथ्य इक्ट्ठा किए आरक्षण दिया गया, जिसे कानूनी तौर पर रद्द होना ही था।
समाज के लोग पूरे देश में कर रहे हैं जातीय जनगणना की मांग
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि पिछड़ा वर्ग के संगठन पूरे भारत में जातीय गणना के लिए धरने प्रदर्शन करके मांग कर रहे हैं।फेडरेशन के राष्ट्रीय चेयरमैन एवं पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वी ऐश्वर्या तथा कार्यकारी अध्यक्ष हंसराज जांगड़ा भी समय-समय पर पूरे देश में आवाज उठाते रहे हैं। इस बारे में फैडरेशन की ओर से देशव्यापी आंदोलन छेड़ा गया है। वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा भी इस बारे में कई बार मांग कर चुकी है। यहां तक की सरकार को भी पत्र लिखा जा चुका है। कुमारी सैलजा ने उदयपुर चिंतन शिविर में भी भारत सरकार से जातीय गणना करवाने बारे मांग की है। खोवाल ने कहा कि जाति आधारित गणना न होने के कारण विभिन्न अदालतों में सैंकड़ों याचिकाएं न्याय पाने के लिए लंबित पड़ी है, क्योंकि केंद्र व प्रदेश सरकार के पास जाति आधारित आंकड़े ही उपलब्ध नहीं है।
कांग्रेस करा चुकी है जातीय जनगणना
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि देश आजाद होने के बाद पहली बार 2012 में कांग्रेस ने जातीय गणना करवाई थी, लेकिन बीजेपी सरकार ने परिस्थितियों का हवाला देकर जातीय गणना ठीक न होने का बहाना बनाया और उसे अब तक उजागर नहीं किया और अब नए सिरे से भी ऐसा करने से आना कानी कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी वंचित वर्गों को न्याय नहीं देना चाहती और आरएसएस का आरक्षण निष्क्रिय करने का फार्मूला लागू करना चाहती हैं। उन्होंने मांग की कि बिहार की तरह हरियाणा में भी सर्वदलीय बैठक बुलाकर जातीय गणना करवाने का फैसला लिया जाना चाहिए ताकि पिछड़ा वर्ग के लोगों को उनका हक मिल सके।