एकबार फिर टीकरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा

January 12, 2021

एकबार फिर टीकरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा

शहीद किसानों को दी विनम्र श्रद्धांजलि, कबड्डी प्रतियोगिता में भी की शिरकत

लोकतांत्रिक तरीक़े से चल रहा है आंदोलन, टकराव के रास्ते पर चल रही है सरकारः हुड्डा

आंदोलनरत किसानों पर दर्ज़ केस वापिस ले सरकार, कटुता को ख़त्म करके भाईचारे का माहौल बनाए सरकार : हुड्डा
बदले की भावना से ना करे काम : हुड्डा

कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी की ग़लत नीतियां और 3 क़ानून हैं किसान आंदोलन की वजह- हुड्डा

12 जनवरी, बहादुरगढ़ रवि पथ :

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर टीकरी बॉर्डर पर धरनारत किसानों के बीच पहुंचे। यहां उन्होंने आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही, उन्होंने आंदोलनरत किसानों से चर्चा की। उन्होंने यहां किसानों के समर्थन में आयोजित कबड्डी प्रतियोगिता में भी शिरकत की। यहां खिलाड़ियों से मुलाक़ात करते हुए हुड्डा ने कहा कि कुश्ती और कबड्डी जैसे खेल हमेशा किसानी से जुड़े रहे हैं। कुश्ती, कबड्डी और किसानी एक ही बात है। इस मौक़े पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए हुड्डा ने कहा कि देश का अन्नदाता डेढ़ महीने से अपना घर छोड़कर सड़कों पर बैठा है। लेकिन सरकार उसकी मांगें मानने की बजाए, उसे तारीख़ों के फेर में उलझा रही है। किसान पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित तरीक़े से इतने बड़े आंदोलन को चला रहे हैं, जो अपने आप में भारत में ही नहीं दुनिया में एक मिसाल है। किसानों के संयम की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी, कि 60 से ज्यादा किसानों की शहादत के बावजूद आन्दोलनकारी किसानों ने अपना धैर्य नहीं छोड़ा। हुड्डा ने कहा कि वो लगातार टीकरी बॉर्डर समेत प्रदेश के अलग-अलग इलाक़ों में धरने पर बैठे किसानों के बीच गये हैं। उनसे बातचीत से स्पष्ट है कि वो सरकार से किसी तरह का टकराव नहीं चाहते। इसके उलट, सरकार समाधान की बजाए टकराव के रास्ते पर चल रही है। सरकार इसको नाक की लड़ाई न बनाए, जनता की जायज मांगों को स्वीकार करना सरकार का फर्ज है। सरकार इसको जीत-हार के नज़रिए से न देखे। सरकार का पहला फर्ज है कि जनता खुश और प्रसन्न रहे।

हुड्डा ने मुख्यमंत्री की तरफ से आयोजित की गई किसान पंचायत के बारे में कहा कि ऐसे आयोजनों का मक़सद सिर्फ टकराव की स्थिति पैदा करना है। मुख्यमंत्री को ऐसे आयोजन करने की बजाए केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए और उसे तीनों कृषि क़ानून वापिस लेने के लिए मनाना चाहिए। मुख्यमंत्री जनता के प्रतिनिधि हैं और उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए किसानों का साथ देना चाहिए। मुख्यमंत्री द्वारा आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ बताने वाले सवाल का जवाब देते हुए हुड्डा ने कहा कि आंदोलन के लिए कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी की ग़लत नीतियां ज़िम्मेदार हैं। उसने ही किसानों पर उनकी सहमति के बिना तीन कृषि क़ानून थोपे हैं। सरकार की ग़लत नीतियां बार-बार किसानों को गहरे घाव दे रही है। उनपर मरहम लगाने की बजाए मुख्यमंत्री उन्हें कुरेदने का काम कर रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश सरकार की तरफ से बड़ी तादाद में किसानों पर दर्ज़ किए गए मुक़दमे वापिस लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि कटुता को ख़त्म करके भाईचारे का माहौल बनाए सरकार। लोकतंत्र में जनभावनाओं और अहिंसक आंदोलनों को इस तरह से दबाया नहीं जा सकता। शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों पर बार-बार वाटर कैनन और आंसू गैसे के गोलों का इस्तेमाल करना अलोकतांत्रिक तरीक़ा है। सरकार को किसानों के प्रति द्वेष भावना या बदले की नीयत से कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दोहराया कि किसानों की मांगे पूरी तरह जायज़ हैं। आखिर किसानों की मांग ही क्या है कि सरकार ने जो तीन काले क़ानून बनाए हैं उन्हें वापस ले। इससे सरकार के खजाने पर एक पैसे का बोझ नहीं पड़ेगा। इसलिए वो पहले दिन से उनकी मांगों का समर्थन कर रहे हैं। किसानों के हक़ के लिए वो हर तरह की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर विधानसभा में सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। वो लगातार राज्यपाल से मुलाक़ात के लिए वक्त मांग रहे हैं लेकिन अबतक उन्होंने वक्त नहीं दिया है। 15 तारीख़ को कांग्रेस किसानों की मांगों को लेकर राजभवन का घेराव भी करने जा रही है।