आज सरकार सत्ता में लाने वाले लोगों को अपना जानी दुश्मनी क्यों मान रही है : गौरव संपत

January 10, 2021

आज सरकार सत्ता में लाने वाले लोगों को अपना जानी दुश्मनी क्यों मान रही है : गौरव संपत

हिसार रवि पथ न्यूज़ :

युवा नेता गौरव सम्पत सिंह ने आज गांव आर्य नगर में किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद 20 किसानों पर मुकदमा दर्ज करने की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा इन तीनों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी खरीद पर कानून की गांरटी किसानों के लिये जीवन मरण का सवाल बन चुका है यही कारण है कि उनका शांतिपूर्ण आंदोलन एक जनक्रांति बन चुका है। हर जगह सरकार का विरोध हो रहा है। लाखों किसानों ने दिल्ली को इस कड़कती सर्दी में सपरिवार घेर रखा है और बहुतों ने शहादत दी है। सभी टोल प्लाजो पर धरने और प्रदर्शन करके फ्री करवा रखा है। सरकार के सभी कार्यकर्मो का हर जगह शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया जा रहा है। इसी तरह कल गांव आर्य नगर हल्का नलवा में हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के कार्यक्रम का किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताया। लेकिन सुनियोजित तरीके से किसानों के खिलाफ कत्ल के इरादे जैसे गंभीर मुकदमें दर्ज किये गये। इन किसानों में ज्यादातर गठबंधन सरकार को 2019 के चुनाव में सत्ता लाने में अहम भूमिका निभाई थी। जिसमें अनिल बैनिवाल गौरछी, संदीप धीरणवास, अमित बिसला बाडाॅहेड़ी, सतीश लोरा, राजेश सातरोड़, मनजीत बिश्नोई और अन्य कार्यकर्ताओं का योगदान तो उल्लेखनीय रहा है। आज उन किसानों पर इस तरह के मुकदमें दर्ज करना सरकार की दमनकारी नीतियों को दर्शाता है। लोकतंत्र में जब जनता द्वारा विरोध किया जाता है तो सत्ता के नशे में जिम्मेवार लोग जबरदस्ती गांवों में घुसकरके किसानों के जले पर नमक क्यों छिड़क रहे है। आज सरकार उनको सत्ता में लाने वाले लोगों को अपना जानी दुश्मनी क्यों मान रही है।

उन्होंने आगे कहा कि जहां तक पत्थरबाजी होने का सवाल है इस तरह के शांतिपूर्ण आंदोलन में भी कुछ शरारती लोग घुस जाते है और वो बिना किसी सोच समझ के इस तरह की कार्यवाही को अंजाम दे देते है। परंतु जिन लोगों पर धारा 307 जैसे संगीन मुकदमें दर्ज किये गये हैं वो शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोग है। ऐसे किसानों की वजह से ही कई महिनों से आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का विरोध करते हुए सफलतापूर्ण चला रहे है। देश का पेट भरने वाले मेहनती किसान कभी भी हिंसाकारी नहीं हो सकते।इसीलिये उन्होंने सरकार से अपील की कि सरकार तुरंत प्रभाव से इस मुकदमें को खारीज करें ताकि यह आंदोलन जिस प्रकार शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है वह सुचारू रूप से चलता रहें। अन्यथा वह व्यक्तिगत तौर पर दर्ज किये गये किसानों पर मुकदमें की पैरवी खुद करवायेगें।