मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आयुक्त व उपायुक्त के साथ वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से शिवधाम नवीनीकरण, ग्रे वाटर मैनेजमेंट तथा गेहूं खरीद प्रबंधों की समीक्षा की

April 8, 2021

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आयुक्त व उपायुक्त के साथ वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से शिवधाम नवीनीकरण, ग्रे वाटर मैनेजमेंट तथा गेहूं खरीद प्रबंधों की समीक्षा की

हिसार, 08 अप्रैल रवि पथ :

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वीरवार को आयुक्त व उपायुक्त सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से शमशान घाटों के जीर्णोद्घार को लेकर चलाई गई शिवधाम नवीनीकरण योजना, ग्रे-वाटर मैनेजमेंट तथा गेहूं खरीद प्रबंधों की समीक्षा की। वीडियो कान्फ्रेसिंग के दौरान हिसार मंडल आयुक्त चंद्रशेखर तथा उपायुक्त डॉ प्रियंका सोनी ने इन योजनाओं को लेकर जिले में चल रहे कार्यों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस अवसर पर डीआईजी बलवान सिंह राणा भी मौजूद थे।
वीडियो कान्फ्रेसिंग में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि हिसार जिले की विभिन्न अनाज मंडियों व खरीद केन्द्रों पर सभी प्रबंध दुरूस्त हैं और मंडियों में गेट पास, कम्प्यूटर ऑपरेटर, पेयजल और शौचालय जैसी सभी मूलभूत व्यवस्थाएं की गई हैं। अभी तक खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आढ़तियों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखें और यह सुनिश्चित करें कि उन्हें और मंडियों में अपनी फसल लेकर आने वाले किसानों को किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गत वर्ष खरीद सीजन के दौरान जिन आढ़तियों को आढ़त व मजदूरी का देरी से भुगतान हुआ है, उन्हें देरी से हुए भुगतान पर ब्याज की अदायगी की जाएगी। इस संबंध में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं।
शमशान घाटों के जीर्णोद्घार को लेकर चलाई गई शिवधाम नवीनीकरण योजना की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के तहत शमशान घाटों की चारदीवारी, शैड, पक्के रास्ते और पीने के पानी की समूचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

अभी तक प्रदेश के 6943 गांवों में शमशान घाट से संबंधित 8703 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। अभी भी 4579 कार्य ओर किए जाने हैं। गे्र-वाटर मैनेजमेंट योजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य को जरूरतों को देखते हुए जल संरक्षण बेहद जरूरी है। ग्रे-वाटर प्रबंधन से तालाबों में एकत्रित पानी को उपचारित कर उसे गांवों में ही सिंचाई, छोटे-मोटे उद्योग, स्कूल, बागवानी, पार्क व निर्माण कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है। इससे नहरी पानी की भी बचत होगी।