किसान के द्वार तक जाकर होगा उनकी समस्याओं का समाधान – प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

July 22, 2021

किसान के द्वार तक जाकर होगा उनकी समस्याओं का समाधान – प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

कपास की फसल में गत वर्ष की भांति न उठानी पड़े किसानों को समस्या, संज्ञान लेते हुए टीम के साथ फील्ड में उतरे एचएयू के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

कपास की फसल में कीट व रोगों का एकीकृत प्रबंधन जरूरी : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

एचएयू के कुलपति किसानों से हुए रूबरू, कृषि वैज्ञानिकों की टीम भी लगातार किसानों को कर रही है जागरूक

हिसार : 22 जुलाई रवि पथ :

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज खुद अपनी वैज्ञानिकों की टीम के साथ फील्ड में उतरे ताकि किसानों को गत वर्ष की भांति कपास की फसल में समस्याओं का सामना न करना पड़े। उन्होंने इस दौरान कपास की खड़ी फसल का भी जायजा लिया। उन्होनें कहा कि अब वैज्ञानिक किसान के द्वार जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करेंगें। इसके उपरांत एचएयू के अनुसंधान निदेशालय, आनुवाशिकी एवं पौद्य प्रजनन विभाग के कपास अनुभाग, कृषि विज्ञान केंद्र भिवानी व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भिवानी के संयुक्त तत्वावधान में गांव ढिगावा में आयोजित एक किसान गोष्ठी को भी बतौर मुख्यातिथि संबोधित किया। किसान गोष्ठी का मुख्य विषय ‘कपास के उत्पादन व बचाव की उन्नत तकनीक’ रखा गया था। गोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार व माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मन्त्री जय प्रकाश दलाल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लगातार इस समस्या को लेकर विचार विमर्श कर रहे है। उन्होनें कहा कि कपास की फसल में बेहतर उत्पादन के लिए कीट व रोगों का एकीकृत प्रबंधन जरूरी है। इसके लिए समय-समय पर वैज्ञानिकों द्वारा फसलों संबंधी जारी हिदायतों व सलाह का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। वे विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि किसान कपास फसल के मुख्य कीट व रोगों की पहचान करने के बाद विश्वविद्यालय द्वारा सिफारिश किए गए कीटनाशकों का ही प्रयोग करें अन्यथा यह छिडक़ाव नुकसानदायक हो सकता है। गत वर्ष कपास की फसल का नष्ट होने में किसानों द्वारा बिना कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिश के फसल पर कीटनाशकों के मिश्रणों का प्रयोग करना एक कारण सामने आया था, जिससे कपास की फसल में नमी एवं पौषण के चलते समस्या बढ़ी थी। यह समस्या ज्यादातर रेतीली जमीन में आई थी, इसलिए विश्वविद्यालय ने इस बात का संज्ञान लेते हुए पहले ही वैज्ञानिकों की टीम गठित कर दी थी जो लगातार इन क्षेत्रों के किसानों को जागरूक कर रही है। समय-समय पर इसके लिए प्रशिक्षिण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और कृषि विभाग के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसानों को कपास की विभिन्न समस्याओं के प्रति जागरूक कर रहे हैं ताकि विपरित परिस्थितियों में भी कपास का अच्छा उत्पादन हासिल किया जा सके।
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह व सिफारिशों का रखें विशेष ध्यान


अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने कहा कि कपास हरियाणा प्रदेश की एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है। इसलिए किसानों को इस फसल में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह व कीटनाशकों को लेकर की गई सिफारिशों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने कृषि वैज्ञानिकों को किसानों के साथ मिलकर समय-समय पर उनकी समस्या के निदान के लिए जुटे रहें। सस्य वैज्ञानिक डॉ. करमल मलिक ने एकीकृत पोषक तत्व प्रबधंन पर अपना व्याख्यान दिया तथा विश्वविद्यालय द्वारा सिफारिश की गई खादों एवं उर्वरकों की मात्रा के अनुसार फसल में डालने के बारे में चर्चा की। कीट वैज्ञानिक डॉ. अनिल जाखड़ ने कपास में आने वाले कीटों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि कपास कि फसल में रस चूसने वाले कीड़ों में सफेद मक्खी, थ्रिप्स व हरा तेला मुख्य हैं जो फसल को नुकसान पहुचाते हैं। उन्होनें बताया कि इनमें सफेद मक्खी सबसे ज्यादा नुकसान पहुचाती है। डॉ. मनमोहन सिंह पौद्य रोग विशेषज्ञों ने कपास फसल की बीमारियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कपास में मुख्य रोग जड़ गलन, पैराविल्ट, पत्ता मरोड़ रोग एवं टिंडा गलन रोग हैं। रेतीली भूमि में पैराविल्ट का प्रकोप ज्यादा होता है।
आने वाला मौसम हो सकता है रस चूसक कीटों के अनुकूल, किसान फसल की करें निगरानी
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि आने वाले मौसम रस चूसक कीटों व बीमारियों के अनुकूल हो सकता है, अगर समय पर आवश्यकतानुसार बारिश नहीं होगी तो इसका प्रकोप और भी बढ़ सकता है। इसलिए किसान अपनी फसलों का विशेष ध्यान रखें और समय-समय पर लक्षण दिखाई देते ही कृषि वैज्ञानिकों से परामर्श करते रहें। गोष्ठी में प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी आयोजित किया गया और मिट्टी-पानी की नि:शुल्क जांच के अलावा मौसम संबंधी जानकारी के लिए नि:शुल्क पंजीकरण किया गया। गोष्ठी में मौजूद किसानों को फलदार पौधे व फसलों की समग्र सिफारिशों संबंधित लिखित सामग्री वितरित की गई। इस दौरान कपास संबंधी आधुनिक तकनीकों व कृषि समस्याओं को लेकर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इसके अलावा मत्स्य विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, ईफको आदि ने भी प्रदर्शनी लगाई। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. उमेश शर्मा, ने मंच संचालन किया। इस कार्यक्रम में डॉ राम कुमार, डॉ सुनील ढांडा व डॉ अत्तर सिहं सहित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों सहित अनेक किसान मौजूद रहे।