सरकार ने विधानसभा को मछली बाजार बना दिया : अभय चौटाला

August 26, 2020

सरकार ने विधानसभा को मछली बाजार बना दिया : अभय चौटाला

चंडीगढ़, 26 अगस्तरवि पथ :

इनेलो के प्रधान महासचिव एवं विधायक अभय सिंह चौटाला ने बुधवार को हरियाणा निवास पर प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि विधानसभा को सरकार ने मछली बाजार बना दिया है। लॉकडाउन में नौ बड़े घोटाले किए गए लेकिन आज तक सरकार द्वारा इस पर कोई जवाब नहीं आया। एक हाथ से घोटाले किए और दूसरे हाथ से क्लीन चिट दे दी गई। हमने 12 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए थे जिसमें से दो को मंजूरी दी गई और कांग्रेस की श्रीमती किरण चौधरी की तरफ से एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया गया था लेकिन वह स्वयं सदन में उपस्थित नहीं थी। इससे पता चलता है कि सरकार और मुख्य विपक्षी दल प्रदेश की जनता की समस्याओं के प्रति कितना गंभीर है।


इनेलो नेता ने बताया कि पहले तीन दिन का विधानसभा सत्र रखा गया था फिर इसे दो दिन का कर दिया और आज एक दिन में ही समेट दिया। आज न तो कोई शून्यकाल था और न ही प्रश्नकाल पर कोई चर्चा थी। सरकार की मंशा कोरोना की आड़ में कुछ ऐसे बिल पास करने की थी जिससे वो अपनी पीठ थपथपा सके। हमने जो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए थे वो बहुत ही महत्वपूर्ण थे, जिन पर चर्चा होनी चाहिए थी लेकिन इसलिए मंजूर नहीं किए क्योंकि सरकार को जवाब देना मुश्किल हो जाता। जो दो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव मंजूर किए गए उनमें से एक लॉकडाउन के दौरान ‘शिशु मृत्यु दर’ में बढ़ौतरी पर था। यह बहुत बड़ा मुद्दा था जिस पर स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना था कि इसका जिम्मेदार कौन है? डिप्टी स्पीकर ने कहा कि जो लिख कर दिया गया है उसे ही आपका जवाब मान लिया गया है, जबकि मैं डिप्टी स्पीकर के इस जवाब से सहमत नहीं था। आज डिप्टी स्पीकर की भूमिका दयनीय व निंदनीय थी।


उन्होंने कहा कि चार बिल ऐसे थे जिन पर बहुत बड़ा झूठ बोला गया। एक जो 75 प्रतिशत युवाओं को रोजगार देने का है जिसका सरकार ने बहुत प्रचार किया। इसमें कहा गया है कि जो नए उद्योग प्रदेश में लगेंगे उसके तीन साल बाद 75 प्रतिशत रोजगार का कानून लागू होगा। उससे पहले जो वो भर्ती करेगा उस पर कोई कानून लागू नहीं होगा। तो जब उद्योग में भर्ती पूरी हो जाएगी तो तीन साल बाद प्रदेश के युवाओं को कैसे नौकरी मिलेगी? दूसरा बिल पंचायती राज को लेकर था जिसमें महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का था। 50 प्रतिशत महिलाओं का, 27 प्रतिशत पहले से ही है, सात प्रतिशत पिछड़ा वर्ग को शामिल कर लिया जो कि कुल 85 प्रतिशत हो गया है। 50 प्रतिशत सामान्य वर्ग के लिए है। सरकार खुद मानती है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा रिजर्वेशन नहीं हो सकती तो फिर इस बिल का क्या मतलब था? इसी तरह से तीसरा बिल शहरों में अवैध कॉलोनियों को लेकर था जिसमें एक एकड़ में बनी कॉलोनी को भी वैध किया जाएगा। ये भी लूट का एक साधन है जिसमें अपने लोगों द्वारा छोटी-छोटी कॉलोनियां बनवाकर बेचने का काम करेंगे। चौथा बिल, जिसमें पंचायतों को री-कॉल किया जा सकता है।