टिकैत ने कोल्हू के सहारे अपना संदेश देने का प्रयास किया

टिकैत ने कोल्हू के सहारे अपना संदेश देने का प्रयास किया

एतिहासिक कोल्हू रविवार को यूपी गेट पर चालू कर दिया गया

1995 में महेंद्र सिंह टिकैत ने लाल किले पर चलाया था यह कोल्हू

गाजियाबाद, 21 फरवरी रवि पथ :

संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में यूपी गेट (गाजीपुर बार्डर) पर चल रहे आंदोलन में रविवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बैलों वाले पुराने कोल्हू को ट्रैक्टर से चलवाकर सरकार को संदेश देने का प्रयास किया है। पालथी मारकर जमीन पर बैठे राकेश टिकैत ने अपने हाथों से कोल्हू में गन्ने लगाए और गन्ने का रस निकालकर आंदोलनकारियों को पिलाया। इस बीच राकेश टिकैत यह कहना भी नहीं भूले कि गन्ने से रस तभी निकलता जब यह लोहे के बड़े-बड़े पिंडों के बीच पेला जाता है। उन्होंने बताया कि मतलब साफ है सरकार पर जब तक जोरदार दबाव नहीं पड़ेगा, वह कुछ देने वाली नहीं है।
राकेश टिकैत ने बताया कि धीरे-धीरे गर्मी का मौसम आने लगा है, आंदोलन में डटे किसानों को गन्ने का जूस पिलाने के लिए यह कोल्हू लगाया गया है। इसके साथ ही यह कोल्हू इस बात का भी प्रतीक है कि सख्ती के बिना कुछ नहीं होता।

यूपी गेट पर कोल्हू से गन्ने का जूस निकाले जाने के दौरान आंदोलनकारियों के साथ ही मीडिया कर्मियों को भारी हुजूम लग गया। कितने ही ऐसे लोग भी वहां मौजूद थे, जिन्होंने पहली बार बैलों से चलने वाला कोल्हू देखा।
राके टिकैत ने बताया कि यूपी गेट पर लगाया गया यह कोल्हू ऐतिहासिक है। सबसे पहले 1995 में बाबा महेंद्र सिंह टिकैत ने इसी कोल्हू को लाल किले पर डब्लूटीओ के खिलाफ आंदोलन के दौरान चलाया था। उसके बाद से जब भी गर्मियों के दिनो में कोई किसान आंदोलन होता है तो किसानों की सेवा के लिए यह कोल्हू अपना काम करता है।