भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड से हरियाणा का प्रतिनिधित्व हटाना केंद्र सरकार की एक बड़ी साजिश- एडवोकेट खोवाल

February 26, 2022

भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड से हरियाणा का प्रतिनिधित्व हटाना केंद्र सरकार की एक बड़ी साजिश- एडवोकेट खोवाल

-बीबीएमबी में नहीं होगा हरियाणा कैडर का सदस्य, केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन- खोवाल

कांग्रेस ने उठाए सवाल, प्रदेश के हितों पर सीधे तौर पर होगा कुठाराघात

हिसार, 26 फरवरी रवि पथ :

हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा कैडर के एक सदस्य का पद केंद्र सरकार द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में लिए जाने पर हरियाणा के हितों पर एक बड़ा कुठाराघात करार दिया है। डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने इस बाबत केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी नोटिफिकेशन पर सवालिया निशान खड़े करते हुए प्रदेश सरकार की चुप्पी पर गठबंधन सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है।

एडवोकेट खोवाल बताते हैं कि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हरियाणा पंजाब, राजस्थान और हिमाचल 4 स्टेट आते हैं। इसके अलावा चंडीगढ़ यूटी व दिल्ली दोनों सर्विस स्टेट में आते हैं। जिन्हें इस बांध से पानी सप्लाई किया जाता है। जबकि इनके मेंबर नहीं होते है। इस बांध के निर्माण के समय 80 प्रतिशत शेयर संयुक्त पंजाब (हरियाणा और पंजाब) ने वहन किया था। इसी वजह से इसमें एक सदस्य सिंचाई, हरियाणा कैडर से आता है तथा एक सदस्य पावर, पंजाब से आता है। ये पद इसलिए बनाए गए थे ताकि हरियाणा पंजाब के हित सुरक्षित रह सके। इसके अलावा बोर्ड में एक पद चेयरमैन का होता है, जो कहीं से भी हो सकता है। वहीं चेयरमैन के सेवानिवृत्त होने पर या पद खाली होने पर मेंबर सिंचाई (हरियाणा कैडर) को कार्यवाहक चेयरमैन बनाया जाता है। ऐसा कई बार हो चुका है। लेकिन लगभग एक साल छह माह से यह पद खाली पड़ा है, जिसे जानबूझकर भरा नहीं गया।

बाबा साहेब व देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल के सपनों का कत्ल

एडवोकेट खोवाल बताते हैं कि केंद्र सरकार ने अभी हाल ही में 23 फरवरी को नया नोटिफिकेशन जारी करके हरियाणा कैडर के सदस्य सिंचाई का पद अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है। ऐसे में बीबीएमबी में हरियाणा के हकों की सुरक्षा के लिए हरियाणा से कोई प्रतिनिधि नहीं होगा। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस परियोजना का उद्घाटन किया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू व बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने बीबीएमबी में यह प्रावधान इसलिए किया था कि संयुक्त पंजाब के हित सुरक्षित रहे और किसी विवाद की स्थिति पैदा न हो। केंद्र सरकार का यह फैसला सीधे तौर पर उनके सपनों का कत्ल है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सारे प्रकरण को देखते हुए हरियाणा सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह की भूमिका भी संदिग्ध रही है। वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री ने चुप्पी साधी हुई है।

धीरे धीरे केंद्रीयकरण की तरफ बढ़ रही है मोदी सरकार

एडवोकेट खोवाल ने कहा कि प्रदेश कैडर को खत्म करना सीधे तौर पर सत्ता का केंद्रीयकरण करने की तरफ इशारा करता है। उन्होंने कहा कि यह फेडरल स्ट्रक्चर को ध्वस्त करने तथा पावर को सेंट्रलाइज करने का प्लान है। इसके अलावा 50 पैसे प्रति यूनिट के खर्च में पैदा होने वाली बिजली कॉरपोरेट के हाथों में देने का प्लान भी हो सकता है, क्योंकि जब से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई है एक-एक करके सरकारी एजेंसियों को प्राइवेट हाथों में देकर बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तरह से आरएसएस के एजेंडे पर चल रही है, जिसका मकसद ही पूरी सत्ता को अपने हाथों में लेना है।

प्रदेश के मंत्रियों की चुप्पी एक बड़ा विश्वासघात

एडवोकेट खोवाल ने कहा कि इस पूरे मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री व अन्य केंद्रीय मंत्रियों की चुप्पी प्रदेश के साथ एक बड़ा विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि जब बीबीएमबी में प्रदेश का कोई सदस्य ही नहीं होगा तो प्रदेश की आवाज कौन उठाएगा। ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश की जनता को ही उठाना पड़ेगा। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार इस नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से वापस ले, अन्यथा कांग्रेस जनता के हित में प्रदेश स्तर पर आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएगी।