दामाद की खुंदक रुपयों से खत्म कराने ससुर आया आगे

October 2, 2022

दामाद की खुंदक रुपयों से खत्म कराने ससुर आया आगे

वेटरनरी सर्जन पर दर्ज एफआईआर रद्द कराने को मांगी रकम

बिना अनुमति विदेश यात्रा कराने का आरोप लगाकर कराया था मामला दर्ज

रवि पथ न्यूज़ :

अपने ससुर आजाद अत्री द्वारा रोहतक में खचाखच भरे हॉल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बहसबाजी करने और ऊंगली दिखाने के प्रकरण के बाद ओएसडी भूपेश्वर दयाल भले ही ससुर के साथ अपनी खटपट होने की सफाई देते हुए घूमते हों, लेकिन यह बात तो तय है कि दोनों घी-शक्कर हैं। जब भूपेश्वर दयाल ने महिला वेटरनरी सर्जन को तंग करने की शुरुआत की और बाकायदा उनके खिलाफ पुलिस में झूठा केस भी दर्ज करवा दिया तो ससुर महिला अधिकारी का अपने दामाद से समझौता कराने के लिए आगे भी आ गया था। लेकिन, इसकी एवज में मोटी रकम मांगी गई थी। सर्जन के पास फालतू में देने के लिए इतनी राशि नहीं थी और केस झूठा होने के कारण उन्हें यकीन था कि एक न एक दिन यह खत्म हो ही जाएगा। आखिर केस खत्म भी हुआ।

दरअसल, भूपेश्वर दयाल के दबाव में वेटरनरी सर्जन के खिलाफ सोनीपत पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि महिला अधिकारी ने बिना अनुमति के विदेश यात्राएं की हैं। जबकि, उन्होंने तमाम यात्राएं महकमे को सूचित करते हुए की थी। इस एफआईआर के बाद महकमे में वेटरनरी सर्जन को गलत तरह से फंसाने की चर्चाएं शुरू हो गई थी। इसी बीच मामले का किसी तरह निपटारा हो जाए, यह भी प्रयास हुए, लेकिन इन प्रयासों को उस समय बड़ा धक्का लगा, जब ओएसडी के ससुर आजाद अत्री की मध्यस्थता की बात चली। अत्री ने मामला खत्म कराने और अपने दामाद से समझौता कराने की हामी भर ली, लेकिन इसकी एवज में मोटी धनराशि की मांग कर ली। इससे साफ है कि ओएसडी और दामाद के बीच लेन-देन का भी सिलसिला चल रहा था। यानी, अपने प्रभाव का प्रयोग कर ओएसडी जाल बिछाते और फिर ससुर वसूली करके मामला खत्म करवा देते। खैर, शुरू से ही मामले को झूठा व खुद को सच्चा बताने वाली महिला अधिकारी ने न तो कोई लेन-देन किया और न ही समझौता किया। अंतत: यह मामला अब खत्म भी हो चुका है। लेकिन, इस मामले को खोलने के लिए भूपेश्वर दयाल के दबाव में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की हुई है।

वेटरनरी सर्जन को तंग करने की बात यहीं पर खत्म नहीं होती। भूपेश्वर दयाल ने सीएम विंडो का ओवरऑल इंचार्ज होने की वजह से यहां भी जमकर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। पशुपालन विभाग के अधिकारियों को वेटरनरी सर्जन के खिलाफ मोर्चा खोलने काे तैयार किया। आईबी से उनके पासपोर्ट की डिटेल मंगवाई गई। आईबी ने डिटेल देते वक्त साफ लिखा कि पर्सनल इंफोरमेशन है, इसे किसी से साझा न किया जाए। इसके बावजूद एक आरटीआई लगवा कर वेटरनरी सर्जन की निजी जानकारी लीक की गई। यही नहीं, एक शिकायतकर्ता तैयार कर उससे सीएम विंडो पर शिकायत करवाई गई। आखिरकार शिकायतकर्ता बाद में अपनी शिकायत से मुकर गया और उसने साफ-साफ बता दिया कि उसे किसने और क्यों शिकायत करने के लिए तैयार किया था। यानी, यहां पर सीएम विंडो की शिकायत क्लोज हो जानी चाहिए थी, लेकिन भूपेश्वर दयाल ने इस पर नोटिंग करते हुए बंद न करने का फैसला सुनाया। साथ ही यह भी लिख दिया कि महिला अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ ही आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाए।

देखा जाए तो भूपेश्वर दयाल ने जितनी दिलचस्पी अपनी खुंदक निकालने के लिए वेटरनरी सर्जन के खिलाफ दिखाई, अगर उतनी एनर्जी सीएम विंडो पर लोगों को न्याय दिलाने में लगाते तो मुख्यमंत्री का सपना भी साकार होता। अभी तक प्रदेश के लोगों की तमाम शिकायतें व समस्याएं दूर हो चुकी होती।