पर्यावरण प्रदूषण ने कोरोना महामारी के संक

November 5, 2020

पर्यावरण प्रदूषण ने कोरोना महामारी के संकट को और अधिक चुनौतीपूर्ण किया : उपायुक्त

आतिशबाजी के विपरित प्रभाव को लेकर निगम आयुक्त के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक आयोजित

हिसार, 05 नवंबर रवि पथ  :

जिला में बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण ने कोरोना महामारी के संकट को और अधिक चुनौतीपूर्ण कर रहा है। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए प्रदूषण की समस्या बेहद घातक है। इसी के मद्देनजर जिला प्रशासन ने पर्यावरण प्रदूषण के मद्देनजर व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। विशेषकर पटाखों और आतिशबाजी से होने वाले धुएं से मनुष्य जीवन पर पडऩे वाले विपरित प्रभाव को लेकर आमजन को जागरूक करते हुए उनसे सहयोग की अपील की गई है।
इसी कड़ी में वीरवार को उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी तथा हिसार नगर निगम के आयुक्त अशोक कुमार गर्ग ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की। बैठक में जिला के सभी स्कूलों, महाविद्यालयों तथ विश्वविद्यालयों में पढऩे वाले छात्र एवं छात्राओं को आतिशबाजी के दुष्प्रभाव से अवगत करवाने का निर्णय लिया गया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने कहा कि आतिशबाजी से पैदा होने वाले धुएं से विभिन्न धातुओं के महीन कण हवा में फैल जाते हैं। यह कण कोरोना संक्रमितों तथा ह्रïद्य, दमा व अस्थमा के रोगियों के साथ-साथ स्वस्थ आदमी के लिए भी खतरनाक होते हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों तथा प्राचार्यों से अनुरोध किया कि वे इन सब बातों के बारे में छात्र एवं छात्राओं को अवगत करवाएं ताकि वे स्वयं तथा अन्य लोगों को भी आतिशबाजी से परहेज करने के लिए प्रेरित करें।


अपने संबोधन में निगम आयुक्त अशोक कुमार गर्ग ने कहा कि शिक्षक का समाज पर व्यापक प्रभाव होता है। समाज में परिवर्तन के लिए शिक्षकों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। इसलिए शिक्षक जानलेवा प्रदूषण के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता लाने का कार्य करें। बच्चों को प्रदूषण के साथ-साथ मास्क लगाने, बार-बार साबुन से हाथ धोने व कोरोना से संबंधित अन्य सभी सावधानियां अपनाने के लिए कहा जाए। इस संबंध में स्कूलों में पेंटिग, स्लोगन तथा निबंध लेखन जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित करवाई जाएं।
उन्होंने कहा कि पटाखों से चर्म रोग, एलर्जी, आंखों और कानों की विभिन्न बिमारियां तथा अन्य कई प्रकार के मानसिक रोगों के होने की संभावनाएं रहती हैं। इसके अतिरिक्त आतिशबाजी के कारण अनेक दुर्घटनाएं भी होती हैं। इसलिए दीपावली पर सादगी और त्याग की मूर्ति भगवान श्री राम का प्रतिकात्मक स्वागत भी सादगी से होना चाहिए। निगम आयुक्त ने कहा कि सदियों से हम दीपावली पर्व को मनाते आ रहे हैं, लेकिन आतिशबाजी का प्रयोग पिछले कुछ दशकों से ही होना शुरू हुआ है। बारूद की आतिशबाजी का चलन मुगल शासक बाबर के समय से हुआ था। इसलिए दीपावली को आतिशबाजी से जोडऩा प्रासंगिक नहीं है। दीपावली शब्द का अर्थ ही दीप प्रज्जवलन से जुड़ा है। बैठक के दौरान पर्यावरण प्रदूषण को लेकर प्रकाशित करवाई गई प्रचार सामग्री भी शिक्षकों को वितरित की गई। इस अवसर पर ज्वायंट कमिश्रर बेलिना, जिला शिक्षा अधिकारी कुलदीप सिहाग सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।