ऑनलाइन परीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों का हक – दिग्विजय चौटाला

April 7, 2022

ऑनलाइन परीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों का हक – दिग्विजय चौटाला

90 प्रतिशत पढ़ाई ऑनलाइन तो परीक्षा भी हो ऑनलाइन – दिग्विजय

दिग्विजय चौटाला ने डीयू के छात्रों का किया समर्थन

नई दिल्ली, 7 अप्रैल रवि पथ :

जननायक जनता पार्टी के प्रधान महासचिव व इनसो के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जब 90 प्रतिशत पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से हुई है तो निश्चित तौर पर परीक्षाएं भी ऑनलाइन होनी चाहिए। दिग्विजय ने कहा कि देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित की जा रही है तो दिल्ली विश्वविद्यालय को भी छात्रों की मांग को देखते हुए उनके हित में फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम डीयू छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा की मांग को अपना पूर्ण समर्थन देते है और हमारा छात्र संगठन इनसो इस मुद्दे को लेकर लगातार डीयू में संघर्ष कर रहा है। दिग्विजय चौटाला ने कहा कि छात्रों के इस विषय को लेकर इनसो केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी के दखल की मांग करता है। साथ ही उन्होंने ऑनलाइन परीक्षा की मांग कर रहे छात्रों पर मुकद्दमे दर्ज करने पर निंदा की।

दिग्विजय चौटाला ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय देश का अग्रणी शिक्षण संस्थान है और वहां के छात्र राष्ट्र निर्माण में बड़ी भूमिका अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के हर छात्र की मांग है कि जब लगभग सिलेबस ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाया गया है तो परीक्षाओं को भी ऑनलाइन माध्यम से लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्र वर्ग इस देश का भविष्य है और उनके मुद्दों को विश्वविद्यालय प्रशासन को बेहद संवेदनशील तरीके से लेना चाहिए। दिग्विजय ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऑनलाइन परीक्षा की मांग करने वाले छात्रों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पढ़ने लिखने और अच्छा करियर बनाने की उम्मीद में ही छात्र अपनी मांग विश्वविद्यालय प्रशासन से कर रहे है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन मांग मानने की बजाय उन पर ही मुकदमे दर्ज करवाकर छात्रों के हितों से खिलवाड़ कर रहा है। दिग्विजय चौटाला ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांग रख रहे डीयू छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस के रवैये से परेशान हैं और ऐसे में केंद्र सरकार व यूजीसी को जल्द संज्ञान लेते हुए छात्र हित में कदम उठाना चाहिए।