एचएयू वैज्ञानिकों की सलाह, भूमिहीन भी कर सकते हैं मशरूम का व्यवसाय, कम लागत में देता है अधिक मुनाफा

October 9, 2021

एचएयू वैज्ञानिकों की सलाह, भूमिहीन भी कर सकते हैं मशरूम का व्यवसाय, कम लागत में देता है अधिक मुनाफा

मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर तीन दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण का समापन

हिसार : 09 अक्टूबर   रवि पथ :

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविधालय हिसार के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान द्वारा मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर आयोजित तीन दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संपन्न हो गया। प्रशिक्षण में हरियाणा के अलावा राजस्थान से 5 9 प्रशिक्षणार्थियों ने हिस्सा लिया। यह जानकारी देते हुए संस्थान के सह निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने बताया की कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज के दिशा-निर्देश में इस तरह के प्रशिक्षण लगातार आयोजित किए जा रहे हैं ताकि बेरोजगार युवक-युवतियों को अधिक से अधिक लाभ मिले। उन्होंने बताया कि मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जिसे भूमिहीन, शिक्षित एवं अशिक्षित, युवक व युवतियां इसे स्व-रोजगार के रूप मेंं अपना सकते हैं तथा सारा वर्ष मशरूम की विभिन्न प्रजातियों जैसे सफ़ेद बटन मशरूम (अक्तूबर से फऱवरी), ढींगरी (मार्च से अप्रैल), दूधिया मशरूम/धान के पुवाल की मशरूम (जुलाई से अक्टूबर) को उगाकर सारा साल मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है और स्वावलंबी बना जा सकता है। उन्होंने बताया कि हरियाणा तथा भारत सरकार द्वारा किसानों तथा बेरोजगार युवक व युवतियों को मशरूम उत्पादन को कृषि विविधिकरण के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संस्थान की ओर से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण समय-समय पर आयोजित किए जाते रहते हैं। इसलिए संस्थान से जुडक़र व प्रशिक्षण हासिल कर आत्मनिर्भर बनें। प्रशिक्षण के आयोजक डॉ. सतीश कुमार, डॉ. राकेश चुघ, डॉ. निर्मल कुमार, डॉ. डी. के. शर्मा, डॉ. मनमोहन, डॉ. जगदीप, प्रगतिशील किसान विकास वर्मा ने प्रतिभागियों को खुंब उत्पादन व उससे संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारियां मुहैया करवाई।
पौष्टिकता व औषधीय गुणों से भरपूर है मशरूम
वैज्ञानिकों ने बताया कि हरियाणा प्रदेश खुम्ब उत्पादन मे पंजाब के बाद अपना स्थान बनाए हुए है। हरियाणा में ज़्यादातर किसान सफ़ेद बटन खुम्ब की खेती करते है और 3-4 महीने की इस फसल के समाप्त होते ही मशरूम फार्म को बंद कर देते है। उन्होंने बताया कि ढींगरी व दूधिया मशरूम को लगाने का तरीका बहुत ही सरल है और सफ़ेद बटन मशरूम से उत्पादन भी ज्यादा होने के साथ साथ इनमे स्वादिष्टता, पौष्टिकता और औषधीय गुण भी बटन मशरूम से ज्यादा पाये जाते है। ढींगरी व दूधिया खुम्बों में भी प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण, अमीनो एसिड इत्यादि प्रचुर मात्र मे पाये जाते हैं। इन खुम्बों में भी कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते है जो शरीर मे होने वाले रोगों जैसे ज्यादा रक्तचाप, शुगर, कैंसर, दिल के रोगों इत्यादि से शरीर की रक्षा करने मे सहायक होते हैं। विश्वविद्यालय की पौध रोग विभाग की मशरूम टैक्नॉलोजी प्रयोगशाला में सफ़ेद बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम, दूधिया मशरूम इत्यादि का बीज उपलब्ध रहता है। उन्होंने सलाह दी कि मशरूम व्यवसाय की शुरुआत एक कमरे या शेड से शुरू करनी चाहिए और धीरे-धीरे इस व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहिए। साथ ही बीज खरीदने से पहले अच्छी तरह जांच करनी चाहिए कि इसमें किसी तरह का दूसरा कवक/बैक्टीरिया न हो और बीज ज्यादा पुराना न हो। खुम्ब उत्पादन इकाई के इलावा खाद उत्पादन इकाई, बीज उत्पादन इकाई, खुम्ब परिरक्षण इकाई जैसे डिब्बाबंदी करके, आचार बनाकर, सुखाकर, पाउडर से कई तरह के व्यंजन तैयार करने की इकाईयों को लगाया जा सकता है। खुम्ब से मूल्य संवर्धित उत्पादों जैसे खुम्ब का आचार, बिस्कुट, मुरब्बा, पापड़, वडिय़ां, चटनी, कड़ी, कैंडी तथा मशरूम से दूसरे व्यंजनो मे इस्तेमाल करने कि विधियों पर प्रकाश डाला और प्रशिक्षणार्थियों का विश्वविद्यालय की मशरूम टेक्नोलोजी प्रयोगशाला का भ्रमण भी करवाया।