जो किसानों की कुर्बानी का मजाक उड़ाए उसे एक दिन भी कृषि मंत्री रहने का हक नहीं – दीपेंद्र हुड्डा

February 14, 2021

जो किसानों की कुर्बानी का मजाक उड़ाए उसे एक दिन भी कृषि मंत्री रहने का हक नहीं – दीपेंद्र हुड्डा

 गाँव दुल्हेड़ा की 36 बिरादरी ने दिया किसानों को समर्थन

गाँव छारा के शहीद किसान स्व. बिजेंदर और गाँव गुढा के शहीद किसान स्व. कर्मबीर के घर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी, परिवारजनों को ढांढस बंधाया

 आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवार को मुआवजा, सरकारी नौकरी दी जाए

 कांग्रेस की सरकार बनने पर हर शहीद किसान के परिजन को पंजाब की तर्ज पर मिलेगी एक सरकारी नौकरी

अंग्रेजों के जमाने में काले कानूनों के खिलाफ ऐसे जनांदोलन होते थे, सरकार जिद छोड़े

झज्जर, 14 फरवरी रवि पथ :

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज झज्जर के कई सामजिक कार्यक्रमों में शिरकत की। दीपेंद्र हुड्डा ने आज बेरी हलके के गाँव दुल्हेड़ा में नवनिर्मित चौपाल का उदघाटन किया। इस अवसर पर गाँव दुल्हेड़ा की 36 बिरादरी ने किसानों को अपना समर्थन दिया। इसके बाद सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने शहीद किसान स्व. बिजेंदर के गाँव छारा और स्व. कर्मबीर के गाँव गुढा पहुँचकर श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवारजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी। उनके साथ प्रमुख रूप से बेरी विधायक डॉ. रघुबीर कादयान, विधायक गीता भुक्कल, विधायक कुलदीप वत्स मौजूद रहे।

उन्होंने कहा कि सत्ता के अहंकार में भाजपा सरकार ने सारी मानवीय संवेदनाओं को ताक पर रख दिया है। पिछले 80 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा किसानों ने अपनी कुर्बानी दे दी है। लेकिन, मदद करना तो दूर इस सरकार के मुंह से सांत्वना के दो शब्द तक नहीं निकले। उन्होंने किसान आंदोलन में जान कुर्बान करने वाले किसानों के परिवारों को पर्याप्त आर्थिक मदद व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। सांसद दीपेंद्र ने यह भी बताया कि नेता प्रतिपक्ष चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निर्देश पर कांग्रेस विधायक दल द्वारा अपनी ओर से आंदोलन में जान गंवाने वाले हरियाणा के हर किसान के परिवार को 2 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जा रही है। कांग्रेस की सरकार बनने पर आंदोलन में शहीद हुए हर किसान के परिवार के एक सदस्य को पंजाब की तर्ज पर एक-एक सरकारी नौकरी देंगे।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा के कृषि मंत्री द्वारा शहीद किसानों के बारे में दिये गये बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि जो किसानों की कुर्बानी का मजाक उड़ाए उसे एक दिन भी कृषि मंत्री के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने मांग करी कि ऐसे कृषि मंत्री को तुंरत बर्खास्त किया जाए। दीपेंद्र हुड्डा ने कृषि मंत्री के बयान को शर्मनाक बताते हुए कहा कि अपने जायज हक की लड़ाई लड़ते हुए जो किसान चले गये वो भी तो किसी के लाल थे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में कहा कि बाल विवाह कानून, दहेज कानून, तीन तलाक कानून बिना मांगे दिया, इसी प्रकार कृषि कानूनों को भी बिना मांगे दिया, मांगने पर देना सामंतशाही है। लेकिन सरकार को समझना चाहिए कि जब बाल विवाह क़ानून बना तब बच्चों ने दिल्ली के चारों तरफ इकट्ठा हो कर आन्दोलन नहीं किया कि हम तो शादी करेंगे न ही दहेज़ क़ानून बना, तब महिलाओं ने कभी ये कहा कि हम तो दहेज़ देंगे। लेकिन आज देशभर के किसान बिना मांगे दिये गये इन तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए आन्दोलन कर रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने में कानूनों के खिलाफ ऐसे जनांदोलन होते थे। सरकार को अपनी जिद छोड़कर किसानों की मांग माननी चाहिए और तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हरियाणा का बच्चा-बच्चा जानता है कि बैंक का कर्ज न चुका पाने की स्थिति में किसान की जमीन की नीलामी और किसानों की ग्रिफ्तारी जैसे काले कानूनों को हुड्डा सरकार ने खत्म किया था। अपने शासनकाल में हुड्डा सरकार ने हरियाणा में फसली कर्ज पर ब्याज दर 0 प्रतिशत की। गन्ने का भाव 117 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 310 रुपये प्रति क्विंटल किया। जबकि, पिछले 7 साल में इस सरकार ने मात्र 40 रुपये प्रति क्विंटल की ही बढ़ोत्तरी की। यही नहीं, इनेलो सरकार के समय का गन्ना भुगतान का बकाया किसानों को दिया और जिस दिन उन्होंने सत्ता छोड़ी किसानों का शुगर मिलों पर एक रुपया भी बकाया नहीं था। हुड्डा सरकार ने किसानों के 1600 करोड़ रुपये के बिजली बिल माफ किये। जिसका वादा भाजपा के समर्थन से चल रही इनेलो सरकार ने किया था और इसके बदले में 2001 में कंडेला में बिजली बिलों को लेकर आंदोलनरत किसानों पर गोलियां बरसाकर कई किसानों की जान ले ली थी। उन्होंने आगे कहा कि सारा हरियाणा जानता है हुड््डा सरकार के समय धान 5000 रुपये प्रति क्विंटल से भी अधिक भाव पर बिकता था। किसान कर्ज मुक्त होकर खुशहाल हो गया था। लेकिन पिछले साढ़े 6 साल में किसान दोबारा कर्जवान हो गया है। यही कारण है कि हरियाणा का किसान आज उनके शासनकाल को याद कर रहा है।