नए लिफाफे में पुरानी मिठाई की कहावत चरितार्थ कर रही है सरकार-खोवाल

November 19, 2021

नए लिफाफे में पुरानी मिठाई की कहावत चरितार्थ कर रही है सरकार-खोवाल

हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट ने क्रीमिलेयर को लेकर जारी नई अधिसूचना पर जताई कड़ी प्रतिक्रिया

 अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में डाली जाएगी याचिकाएं

हिसार, 19 नवंबर  रवि पथ :

हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट ने प्रदेश सरकार द्वारा गत दिवस क्रीमिलेयर को लेकर जारी की गई नई अधिसूचना को केवल सुप्रीम कोर्ट को भ्रमित करने वाला छलावा करार दिया है। डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन एवं ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लास फैडरेशन के राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि यह अधिसूचना केवल पुरानी अधिसूचना का ही प्रतिरूप है, जो सीधे सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना दर्शाता है।
एडवोकेट खोवाल ने आरोप लगया कि प्रदेश सरकार पिछड़े वर्गों के हितों पर कुठाराघात एवं सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए क्रीमीलेयर मानदंड अधिसूचनाएं लाकर हरियाणा में पिछड़ा वर्ग के बच्चों के भविष्य और करियर के साथ खिलवाड़ कर रही है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने गत 24 अगस्त 2021 को हरियाणा सरकार द्वारा जारी क्रीमीलेयर मानदंड को लेकर 17 अगस्त 2016 और 28 अगस्त 2016 को जारी की गई अधिसूचनाओं को असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को संविधान के अनुसार, इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हरियाणा पिछड़ा वर्ग आरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार तीन महीने के भीतर नई अधिसूचना लाने का भी निर्देश दिया था। लेकिन अब प्रदेश सरकार ने हरियाणा में पिछड़े वर्गों की क्रीमी लेयर की पहचान के मानदंड को परिभाषित करते हुए नई अधिसूचना प्रकाशित की है, जो माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द की गई अधिसूचनाओं को नए सिरे से प्रकाशित करने का प्रयास है।
नई अधिसूचना से पिछड़ा वर्ग को नहीं होगा कोई फायदा
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि नई क्रीमीलेयर मानदंड अधिसूचना के अनुसार सभी प्रकार के स्त्रोतों से वार्षिक आय छह लाख रूपए निर्धारित की गई है। इसससे चपरासी, डी श्रेणी के सैनिकों, किसानों और कौशल श्रमिकों के बच्चों के आरक्षण का अधिकार छीन लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह मानदंड न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दिशा-निर्देशों पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों से भी अलग है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 1995 से 2016 तक केंद्र सरकार के क्रीमीलेयर मानदंड का पालन कर रही थी। लेकिन भाजपा सरकार ने वर्ष 2016 में पिछड़े वर्गों को विभाजित करने और पिछड़े वर्गों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने के लिए नई क्रीमी लेयर मानदंड को लेकर नई अधिसूचनाएं लाईं, जो सीधे तौर पर पिछड़ा वर्ग के हितों पर कुठाराघात है।

आरएसएस के एजेंडे को लागू करना चाहती है भाजपा
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि केंद्र सरकार 8 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले लोगों को ईडब्ल्यूएस मान रही है, लेकिन हरियाणा जैसे समृद्ध राज्य में पिछड़े वर्गों के लिए सकल वार्षिक आय केवल 6 लाख रुपये तय की गई है। इसके अलावा इस नई अधिसूचना के तहत वर्तमान ए और बी श्रेणी के अधिकारियों के बच्चों को आरक्षण के अधिकार से वंचित कर दिया गया है, जबकि केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार केवल सीधे नियुक्त ए श्रेणी के अधिकारी या 40 वर्ष की आयु से पहले पदोन्नत अधिकारियों को ही क्रीमीलेयर में माना जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार आरएसएस के एक छिपे हुए एजेंडे के तहत पिछड़े वर्गों को आरक्षण के लाभों से वंचित कर रही है। हरियाणा इस तरह की गैरकानूनी अधिसूचनाएं लाकर और भविष्य में पिछड़े वर्गों, एससी और एसटी आरक्षण को नुकसान पहुंचाने के लिए भाजपा का एक प्रयास है। इस एजेंडे का पालन हरियाणा सरकार द्वारा आरएसएस के दिशा-निर्देशों पर किया जा रहा है, जिसका बाद में भारत के अन्य राज्यों में पालन किया जा सकता है।
कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व करता रहा है विरोध
एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी एवं हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा भाजपा के इस असंवैधानिक फैसले का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस तरह की गैरकानूनी अधिसूचनाएं लाकर हरियाणा के पिछड़े वर्गों को आरक्षण रोकने के भाजपा सरकार के इस तरह के प्रयास का विरोध करती है और मांग करती है कि इंद्रा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा निर्देश के अनुसार हरियाणा के पिछड़े वर्गों को आरक्षण प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि नई अधिसूचना को लेकर माननीय हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगें और किसी भी कीमत पर पिछड़ा वर्ग के हितों से खिलवाड़ नहीं होने देगी।