दिल्ली की सीमाओं पर बतौर मजदूर किसान एकता दिवस मनाया गया मई दिवस

May 1, 2021

दिल्ली की सीमाओं पर बतौर मजदूर किसान एकता दिवस मनाया गया मई दिवस

तीन कृषि कानून मजदूरो को और कमजोर करेंगे

लेबर कोड रद्द करने व निजीकरण के खिलाफ मजदूरों ने की आवाज बुलंद

 रवि पथ न्यूज़ :

एसकेएम गाजीपुर ने मई दिवस पर किसान मजदूर एकता दिवस मनाया, सभी ट्रेड युनियनों, व्यापार मण्डलों, किसान संगठनों द्वारा 3 कृषि कानून वापस कराने, एमएसपी कानून बनाने, निजीकरण तथा 4 श्रम कोड का व्यापक संघर्ष करने की अपील की।

मंच से 2 मिनट का मौन रखकर कोरोना से स्वास्थ्य अव्यवस्था के कारण मारे गए 2 लाख भारतवासियों तथा मई दिवस शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

आज सयुंक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सयुंक्त आह्वान पर देशभर ने मई दिवस को “मजदूर किसान एकता दिवस” के तौर पर मनाया गया। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरने पर हज़ारो मजदूरो ने पहुंचकर किसान आंदोलन व मांगो का समर्थन किया। मंच पर भी केंद्रीय ट्रेड यूनियन से लेकर स्थानीय मजदूर नेताओ ने अपने विचार रखे।

किसान नेताओं का कहना है कि कोरोना की आड़ में केंद्र सरकार ने किसानों मजदूरों का आम नागरिकों पर सीधे हमले किये। जिस समय देश महामारी से गुजर रहा है उस समय उस महामारी से लड़ने की बजाय तीन खेती कानून व चार लेबर कोड के जैसे कई महामारियां पैदा करने का काम सरकार ने किया है. वर्तमान किसान आंदोलन पर बोलते हुए नेताओ ने कहा कि किसान मजदूर एकता से डरे हुए भाजपा आ सहयोगी दलों के नेताओ में मजदूरो को किसानों के खिलाफ भड़काने की भी कोशिश की। कई तरीकों से मजदूरो को इस आंदोलन से दूर रखने की कोशिश की गई परंतु मजदूर भी उतने ही पीड़ित है इसलिए वे भी किसानों के साथ पूरी भागीदारी निभा रहे है।

लेबर कोड व खेती कानूनो पर बोलते हुए नेताओ ने कहा कि आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम मजदूरों की रोजी रोटी पर सीधा व तीखा हमला है। निजी क्षेत्र के हाथों में मजदूरो का भविष्य चला जायेगा। वहीं मंडी कानून व ठेकेदारी कानून भी मजदूरो का शोषण बढ़ाएंगे और रोजगार के मौके घटाएंगे. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने आज के हालात पर बात रखते हुए कहा कि आज कोरोना महामारी में जिस तरह सरकारी तंत्र फैल हुआ है वह इस सरकार की नाकामयाबी दिखाती है। नए लेबर कोड मजदूरो के स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा को दरकिनार कर बनाए गए है। मजदूरो व गरीबों के लिए कोरोना काल में वैक्सीनेशन व अन्य मेडिकल सेवाएं उपलब्ध नहीं है। सरकार को निजीकरण व कॉरपोरेटीकरण बंद करना चाहिए व सरकारी संस्थाओं में विनिवेश करना चाहिए।

सयुंक्त किसान मोर्चा सभी मजदूरो, किसानो व आम नागरिकों को आज के “मजदूर किसान एकता दिवस” के सफल आयोजन की बधाई देता है व आने वाले समय मे मिलकर जन संघर्ष लड़ने की उम्मीद करता है।

आज गाजीपुर बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान मजदूर एकता दिवस का आयोजन किया जो लाॅकडाउन की दमघोटू हालातों, जनवादी अधिकारों पर बढ़ते हमलों, महामारी के बढ़ते प्रकोप और अहंकारी शासन की संवेदनहीनता के माहौल में मनाया जा रहा है। ये नये कानून कारपोरेट पक्षधर, विदेशी कम्पनी पक्षधर ‘सुधार’ अमल कर रहे हैं जो औद्योगिक मजदूरों, किसानों व गरीबों के जीने के अधिकारों पर हमला करते हैं।

शिकागो कें 1886 के आंदोलनों को याद करते हुए, वक्ताओं ने 8 घंटे कार्यदिवस की मांग और संगठित होन व संघर्ष करने के अधिकार की चर्चा की। इसमें पुलिस फायरिंग मे कई मजदूर मारे गए और बाद में 7 नेताओं पर फर्जी केस दर्ज करके उन्हें मौत की सजा दी गयी, पर इसके बावजूद आंदोलन जारी रहा।

आज भारत सरकार ने ना केवल 4 लेबर कोड अमल करके मजदूरों द्वारा न्यूनतम वेतन, मानवीय काम के हालातों, औद्योगिक दुर्घटनाओं से रक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा की कल्याणकारी योजनाओं के मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष के हक पर हमला किया है, उसने पर्यावरण की रक्षा के पैमाने कमजोर करके विनाशकारी उद्योगकों को भी छूट दी है। आज बहुत सारे बुद्धिजीवियों को किसानों व मजदूरों के संघर्ष का समर्थन करने के लिए फर्जी केसों में जेल में डाला जा रहा है, जैसा कि 1886 में किया था।

वक्ताओं ने स्वस्थ्य, शिक्षा, एलाआईसी, बैंक, रेल आदि का निजीकरण करने की निन्दा की और कहा कि इससे आम जन की परेशानियां बढ़ जाएंगी. वक्ताओं ने किसानों व मजदूरों से अपील की कि वे बहादुरी के साथ आगे आकर सरकार को उसकी नीन्द से झंकझोर दे और कोरोना महामारी के चिकित्सीय प्रबंध करने के लिए मजबूर करे, यानी अस्पताल चलाए, गांव की सीएचसी चलवाए, आक्सीजन की व्यवस्था कराए, पुलिस जुर्माना बंद कराए और उसे मास्क व सैनिटाईजर बांटने का काम कराए, बिस्तर, आक्सीजन व दवाओं की कालाबाजारी बंद कराए और कालाबाजारी करने वालों को जेल भेजे। जारीकर्ता अभिमन्यु कोहाड़, बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव