नागालैंड में जीरो मतदान का असली जिम्मेदार कौन ? -अधिवक्ता पूनम आर्या

April 26, 2024

नागालैंड में जीरो मतदान का असली जिम्मेदार कौन ? -अधिवक्ता पूनम आर्या

रवि पथ न्यूज़ :

नागालैंड के छह जिलों में चुनाव बहिष्कार और शून्य प्रतिशत मतदान का प्रभाव एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा बन गया है, जिसे हल करने के लिए सूक्ष्म और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।मुद्दे ने राष्ट्रीय ध्यान अपनी और आकर्षित किया है, जिससे पूर्वी नागालैंड क्षेत्र की लंबे समय से चली आ रही शिकायतें उजागर हुई हैं।
सरकार को विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है तो ये कहना ग़लत नहीं होगा कि
हां, नागालैंड के छह जिलों की स्थिति, जहां पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) एक अलग क्षेत्र की मांग ,बहिष्कार कर रहा है, कई पहलुओं से सरकार ख़ुद जिम्मेदार है
नागालैंड के छह जिलों में शून्य प्रतिशत मतदान हुआ ये जिले हैं:- मोन,तुएनसांग, लोंगलेंग, किफिरे, शामातोरे, नोक्लाक
ईएनपीओ 2010 से एक अलग ‘फ्रंटियर नागालैंड टेरिटरी’ (एफएनटी) के निर्माण की वकालत कर रहा है, दावा किया जाता है कि राज्य के पूर्वी क्षेत्र को लगातार सरकारों से अपर्याप्त ध्यान मिला है।जिसकी वजह से ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) पूर्वी क्षेत्र की उपेक्षा व ‘फ्रंटियर नागालैंड टेरिटरी’ (FNT) की मांग कर रहा है। प्राकृतिक संसाधनों, आर्थिक विकास और राजनीतिक मामलों पर नियंत्रण शामिल है। जिन्हें सरकार पर्याप्त रूप से संबोधित करने में विफल रही है क्षैत्र की उपेक्षा और हाशिए पर जिससे अलगाव और असंतोष की भावना पैदा हुई है। शिकायतें,नजरअंदाज करना ,न्यायेतर हत्याओं,यातनाओं और जबरन गायब से मानवाधिकार का उल्लंघन के आरोप लगे हैं। अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, खराब स्वास्थ्य सेवा,आर्थिक अवसरों की कमी है से सरकारी नीतियों के खिलाफ विरोध ,राज्य विधानसभा में सीमित प्रतिनिधित्व और संसाधनों का अपर्याप्त आवंटन है। अपर्याप्त आर्थिक विकास जिससे जिससे गरीबी, बेरोजगारी और पलायन हुआ है।सांस्कृतिक और पहचान संबंधी चिंताएँ, भूमि अधिकारों सहित उनके अधिकारों की सुरक्षा और शोषण और हाशिए पर जाने से सुरक्षा।ऐतिहासिक शिकायते, जिनमें पूर्वी क्षेत्र की आकांक्षाओं और चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किए बिना नागालैंड राज्य का निर्माण शामिल है। समावेशी निर्णय-निर्माण जो क्षेत्र के लोगों को उनके जीवन और भविष्य को प्रभावित करने वाले है।
इन कारणों से चुनाव बहिष्कार के लिए व्यापक समर्थन मिला।
बहिष्कार का प्रभाव राजनीतिक अस्थिरता से मांगों को पूरा करने का दबाव ,विकास परियोजनाओं में गतिरोध,जिनकी वजह से आर्थिक चुनौतियां बढ़ गई हैं।
तनाव बढ़ने से आगे अशांति और संघर्ष की संभावना है।
बहिष्कार के कारण मताधिकार से वंचित ,लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के उनके अधिकार से वंचित कर दिया गाया।सामाजिक ,अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, जिससे क्षेत्र के भीतर विभाजन और तनाव बढ़ने की संभावना है।
ENPO और क्षेत्र के लोग अपनी लंबे समय से चली आ रही मांगों और शिकायतों का स्थायी समाधान चाहते हैं, और राज्य और केंद्र सरकारों के साथ बातचीत के ज़रिए समाधान की मांग कर रहे हैं।जिसका अभी तक कोई हल ना करके राज्य को नज़रअंदाज़ वि उपेक्षित किया गया जिसकी वजह से
इन मुद्दों को संबोधित करने में सरकार की विफलता ने नागालैंड के छह जिलों में चल रहे संघर्ष और एक अलग क्षेत्र की मांग में योगदान दिया है।

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