मंडियों में किसानों को हो रही परेशानी के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गठबंधन सरकार को ठहराया ज़िम्मेदार

October 7, 2020

मंडियों में किसानों को हो रही परेशानी के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गठबंधन सरकार को ठहराया ज़िम्मेदार

कहा- किसान विरोधी नये क़ानूनों ने असर दिखाना किया शुरू, प्राइवेट एजेंसियों को मिली खुली लूट की छूट

धान, कपास, मक्का और बाजरा MSP से कम रेट पर बेचने को मजबूर हैं किसान- हुड्डा

500-1000 रुपये प्रति क्विंटल हो रहा है किसानों को घाटा, नमी का बहाना बनाकर किसानों को किया जा रहा है परेशान- हुड्डा

सिरसा में आंदोलन कर रहे किसानों की मांग जायज़, कुर्सी और किसान में से एक को चुने जेजेपी- हुड्डा

7 अक्टूबर, चंडीगढ़ रवि पथ :

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंडियों में किसानों को हो रही परेशानी के लिये गठबंधन सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि किसान कई हफ्तों से मंडियों में धान और दूसरी फसलें लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी ख़रीद नहीं हो रही है। फसल की आवक के मुक़ाबले ख़रीद ना के बराबर है। रजिस्ट्रेशन और गेट पास के नाम पर किसानों को परेशान किया जा रहा है। सरकार नमी का बहाना बनाकर फसल ख़रीदने से इंकार कर रही है। जितनी भी ख़रीद हो रही है, उसमें भी किसानों को MSP नहीं मिल पा रहा है। मजबूरी में किसान औने-पौने दामों पर अपनी फसल प्राइवेट एजेंसी को बेच रहे हैं। निजी एजेंसियां किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें लूट रही हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह वही प्राइवेट एजेंसियां है जिनके बारे में सरकार दावा कर रही थी कि 3 नये क़ानून लागू होने के बाद ये एजेंसियां फसल को MSP से भी ऊंचे रेट पर ख़रीदेंगी। लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि प्राइवेट एजंसियां सिर्फ किसानों फसल लूटने में लगी हैं। क्योंकि सरकार किसानों की फसल MSP पर ख़रीदने के लिए तैयार नहीं है। सरकार ने किसानों को इन प्राइवेट एजेंसियों के हवाले करने के लिए ही ये 3 किसान विरोधी क़ानून लागू किए गए हैं। सरकारी अनदेखी के शिकार किसानों को अपनी धान 500 से 1000 रुपए कम रेट पर बेचनी पड़ रही हैं। इसी तरह मक्का किसानों को भी प्रति क्विंटल 1 हज़ार से 12 सौ रुपये कम रेट मिल रहा है। यही हाल बाजरा और कपास का है। हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में किसानों की हर फसल पिट रही है। मंडियां धान और दूसरी फसलों से अटी पड़ी है। किसान अपने पीले सोने को सड़क पर गेरने के लिए मजबूर है और सरकार आंखें बंद किए बैठी है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के दौरान भी मंडियों में किसानों से बात की थी। किसानों ने बताया कि सरकार उनकी कोई सुध नहीं ले रही है। मजबूरी में उन्हें बार-बार आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है। ख़रीद नहीं होने से नाराज़ किसान और आढ़तियों ने अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल समेत कई जिलों में कई बार धरना प्रदर्शन किया और जाम लगाया, फिर सरकार ने उनकी नहीं सुनी। किसानों का कहना है कि सरकार के तीन नये क़ानूनों ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में हालात और बदतर हो जाएंगे। इसलिए वो इन क़ानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सिरसा में सत्ताधारी गठबंधन सहयोगी जेजेपी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के आंदोलन को जायज़ ठहराया। उन्होंने कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में सभी राजनीतिक दलों का फर्ज है कि वो कांग्रेस की तरह किसानों के साथ खड़े हों। इसलिए किसानों के साथ धोखा करने वाली सरकार से जेजेपी को फौरन समर्थन वापस लेना चाहिए। अब वक्त आ गया है जब सभी विधायकों को कुर्सी और किसान में से एक को चुनना पड़ेगा। जो किसान का नहीं है, वह किसी का नहीं हो सकता।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार के आंकड़े ख़ुद इस बात की तस्दीक करते हैं कि मंडी में आवक के मुक़ाबले ख़रीद 5% ही हुई है। ख़ुद बीजेपी के अंबाला शहर से विधायक ख़रीद नहीं होने के चलते सरकार के ख़िलाफ़ धरने पर बैठे हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी सांसद ख़ुद बाजरा ख़रीद में घोटाले के आरोप लगा रहे हैं। इससे ख़ुद सरकार के अधिकारी धान घोटाले के आरोपों की पुष्टि कर चुके हैं। किसान संगठन और विपक्ष लगातार धान, बाजरा, सरसों ख़रीद समेत तमाम घोटालों की जांच की मांग कर रहे हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज ऐसा लग रहा है मानो सरकार किसानों को चौतरफा मार मारने में लगी है। हमारी सरकार में किसानों के लिए बनाई गई मंडी, MSP, बोनस, सब्सिडी जैसी व्यवस्थाओं को मौजूदा सरकार में पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। कर्ज़ माफ़ी करना, बोनस का ऐलान, किसानों को सब्सिडी देना, MSP में वाजिब बढ़ोतरी करना, उचित मुआवज़ा देना तो दूर, यह सरकार तो MSP पर ख़रीद से भी अपने हाथ पीछे खींच रही है। इसीलिए कांग्रेस पंजाब-हरियाणा समेत पूरे देश में किसानों की लड़ाई लड़ने में लगी है। जब तक सरकार किसानों के हक़ में फ़ैसला नहीं लेती, ये लड़ाई जारी रहेगी।