कंडेला महापंचायत में उमड़े जनसैलाब ने कहा- सरकार की खैर नहीं

February 3, 2021

कंडेला महापंचायत में उमड़े जनसैलाब ने कहा- सरकार की खैर नहीं

सरकार की इंटरनेट पर पाबंदी बेअसर

हरियाणा में किसान आंदोलन पहुंचा बड़े उफान पर

कंडेला की महापंचायत में पहुंचे हजारों लोग

राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढुनी ने ने ललकार भरते हुए कहा कि कृषि कानून वापस होने तक जारी रहेगा आंदोलन

सरकार के जुल्मों सितम के आगे किसान नहीं टेकेंगे घुटने

 कंडेला (जींद) रवि पथ :

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 72 दिन से चल रहे किसान आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकार ने पिछले 5 दिन से हरियाणा में इंटरनेट बंद किया हुआ है। अभी भी प्रदेश के 7 जिलों में इंटरनेट बंद चल रहा है।
इंटरनेट बंद करके किसान आंदोलन को कमजोर करने के सरकार के मंसूबे पूरी तरह फेल हो चुके हैं। किसानों के समर्थन में आज कंडेला में महापंचायत का आयोजन किया गया।
महापंचायत में हजारों लोगों ने शिरकत की। महापंचायत में भारी संख्या में महिलाओं की मौजूदगी ने यह बता दिया कि किसान आंदोलन हरियाणा के घर घर तक पहुंच चुका है और सरकार के साथ टक्कर लेने के लिए हरियाणा का हर किसान लामबंद हो चुका है।
महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढू ने ललकार भरते हुए कहा कि कृषि कानूनों को रद्द किए बगैर किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार के जुल्मों सितम के आगे किसान घुटने नहीं टेकेंगे और अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ेंगे।
दोनों नेताओं ने कहा कि सरकार ने किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए कई तरह की साजिशें रची, किसानों को बदनाम किया गया, किसानों को आतंकवादी तक कहा गया लेकिन किसान इन साजिशों से टकराते हुए लगातार आंदोलन में डटे हुए हैं और सरकार के हर साजिश का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं।
दोनों नेताओं ने कहा कि जब तक सरकार कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
आज कंडेला में हजारों किसानों की मौजूदगी ऐलान कर गई कि आंदोलन पहले से ज्यादा शक्तिशाली हो चुका है और उसमें आम लोगों की भागीदारी बड़े पैमाने पर साथ जुड़ चुकी है जिसके चलते किसान आंदोलन सरकारी प्रबंध और पाबंदियों पर भारी पड़ रहा है।

  1. कंडेला गांव किसान क्रांति का प्रतीक रहा है आज से 19 साल पहले 2002 में कंडेला में बड़े किसान आंदोलन का आगाज हुआ जिसमें 8 किसानों की जान गई।
    इस आंदोलन के कारण तत्कालीन चौटाला सरकार किसानों में बेहद बदनाम हो गई जिसके चलते 2005 के चुनाव में इनेलो बुरी तरह सत्ता से बेदखल हो गई।
    कंडेला में जिस तरह से आज लोगों का जनसैलाब उमड़ा वह यह बता गया कि किसानों में मौजूदा केंद्र और प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़ा आक्रोश है और किसान आंदोलन को कुचलने के सरकार के मंसूबे सफल नहीं होंगे।
    हरियाणा में हर जगह हो रही महापंचायतों और टोल प्लाजा पर चल रहे धरनों में लोगों की भारी मौजूदगी कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को मिल रहे व्यापक जन समर्थन का प्रतीक है।
    अगर सरकार ने कंडेला की महापंचायत से कोई सबक नहीं लिया तो वह उसकी भारी भूल होगी जो भारी खामियाजा के साथ उसे भूगतनी पड़ेगी।