कृषि कानून सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं बल्कि आढ़तियों व छोटे व्यापारियों के लिए भी काला कानून है: मोहित बंसल

December 5, 2020

कृषि कानून सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं बल्कि आढ़तियों व छोटे व्यापारियों के लिए भी काला कानून है: मोहित बंसल

नरवाना, 5 दिसम्बर  रवि पथ :

अग्रवाल वैश्य समाज के प्रदेश संगठन मंत्री मोहित बंसल ने कहा कि कृषि कानून न सिर्फ किसानों के लिए ही नहीं बल्कि ये मजदूर, आढ़तियों व छोटे व्यापारियों के लिए भी काला कानून है। इस कानून को लागू कर मोदी सरकार ने तीनों वर्गों की कमर तोड़ पूंजीवादियों का गुलाम बनाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को अपनी हठधर्मिता छोडक़र तुरंत प्रभाव से इस कानून को वापिस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि परम्परागत रूप से चल रही मंडी व्यवस्था को ध्वस्त करने का परिणाम हम बिहार राज्य में देख चुके हैं वहां के किसान आज दूसरे राज्यों के मजदूर बन चुके हैं और अब केन्द्र सरकार हरियाणा व पंजाब जैसे समृद्ध मंडी सिस्टम को भी इस कानून के जरिए खत्म कर किसानों को उनकी ही जमीन पर पूंजीवादी ताकतों का गुलाम बनाना चाहती है। जिसे किसी भी रूप से स्वीकार्य नहीं किया जाएगा। मोहित बंसल ने कहा कि अगर केन्द्र सरकार किसानों का भला करना चाहती है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य को लिखित रूप से इस कानून में क्यों नहीं जोडऩा चाहती। इतना ही नहीं मंडी के बाहर कम दाम पर फसल खरीद करने वालों को सजा के प्रावधान से अलग करना साफ दर्शाता है कि केन्द्र सरकार ने किसके फायदे के लिए ये कानून लागू किया है। मोहित बंसल ने कहा कि अपने हकों के लिए आवाज उठाना और आंदोलन करना ही लोकतंत्र की बुनियाद है लेकिन ये दु:ख की बात है कि आज शांतिपूर्ण आंदोलनों को भी मोदी सरकार हिंसक तरीकों से रोकना चाहती है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार संघ विचारधारा को छोडक़र लोकतंत्र के रास्ते पर आते हुए जल्द से जल्द अपनी गलती का सुधार और धरतीपुत्रों का मान रखते हुए इस काले कानून को वापिस ले। मोहित बंसल ने भाजपा शासित हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दूसरे राज्यों की फसल अपने राज्य में खरीद न होने देने की बयान को उठाते हुए कहा कि जब भाजपा के लोग ही प्रधानमंत्री मोदी के किसानों द्वारा कही भी फसल बेचे जाने की बात को नकारते हुए नए कृषि कानून को धत्ता बता रहे हैं तो इस कानून के नाम पर किसानों को क्यूं गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़ें और देश का पेट पालने वाले किसानों के हितों में ये काला कानून वापिस लेते हुए अन्नदाताओं को उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मुल्य की लिखित गारंटी दें।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार तानाशाही को छोडक़र जन भावनाओं का सम्मान करना सीखे। उन्होंने कहा की जब नोटबंदी आम आदमी का और जीएसटी व्यापारियों का भला नहीं कर पाई तो ये कृषि कानून कैसे किसानों का भला करेंगे। उन्होंने कहा कि कानून थोपते वक्त कम से कम उस कानून से संबंधित वर्ग से विचार-विमर्श करना सरकार का दायित्य था लेकिन अफसोस केन्द्र सरकार ऐसा नहीं कर रही है। किसानों के साथ दुश्मनों जैसे बर्ताव से सरकार का जन विरोधी चेहरा सामने आया है। मोहित बंसल ने कहा कि ये देश मेहनतकश वर्ग को मुठ्ठीभर राजघरानों की जागीर बनाना सरासर गलत है। ये कानून सीधे रूप से किसान विरोधी है। कृषि को अभी तक कॉरपोरेट घरानों से काफी हद तक मुक्त समझा जा सकता था लेकिन इस कानून के तहत किसानों की जमीन कब्जाने का सीधा प्रयास होगा।