सरकार बिना एक पल की देरी किये तीनों कृषि कानूनों को रद्दकर किसानों की मांगों को स्वीकार करे – भूपेंद्र सिंह हुड्डा

December 3, 2020

सरकार बिना एक पल की देरी किये तीनों कृषि कानूनों को रद्दकर किसानों की मांगों को स्वीकार करे – भूपेंद्र सिंह हुड्डा

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल के भाई की श्रद्धांजलि सभा में पहुंच पुष्पांजलि अर्पित की।

फरीदाबाद, 3 दिसंबर  रवि पथ :

हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल के भाई की श्रद्धांजलि सभा में पुष्प अर्पित करने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा ने विपुल गोयल के भाई के निधन पर शोक व्यक्त किया और परिवारजनों से मिलकर ढांढस बंधाया। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि विनोद गोयल जी एक अच्छे इंसान थे जिनका इस उम्र में जाना गोयल परिवार के लिए एक बड़ी क्षति है। इसके अलावा वे विधायक नीरज शर्मा की ताई के निधन पर शोक व्यक्त करने उनके आवास पर भी गए और यहाँ से लखन सिंगला के चाचा के निधन पर उनके घर पहुँचकर परिवारजनों से मिलकर अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट कीं।

उन्होंने मौजूदा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह सरकार पूरी तरह से फेल है। समाज का कोई भी वर्ग इस सरकार से खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि आज देश का किसान अपनी जायज मांगों को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहा है। सरकार को बिना एक पल की देरी किये तीनों कृषि कानूनों को रद्दकर उनकी सभी मांगों को स्वीकार करना चाहिए।

उन्होंने हरियाणा की गठबंधन सरकार की सहयोगी JJP पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव और सरकार बनते समय चेताया था कि JJP वोट किसी की और सपोर्ट किसी और का करेगी, आज उनकी एक-एक बात सही साबित हुई है। हुड्डा ने कहा कि JJP कुर्सी और किसान में फर्क नहीं कर पा रही है। निजी स्वार्थ और सत्ता के लोभ में वो कुर्सी से चिपकी हुई है जबकि उन्हें किसानों का साथ देना चाहिए। किसान की पीड़ा से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार का रवैया किसानों के प्रति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। संविधान के दायरे में शांतिप्रिय ढंग से चल रहे किसान आन्दोलन को दबाने के लिए हरियाणा में शांतिपूर्ण तरीके से केंद्र सरकार से अपनी बात कहने जा रहे आंदोलनकारी किसानों पर वाटर कैनन, आँसू गैस और लाठियाँ चालाई गईं। किसानो को अपनी जायज मांग के लिए दिल्ली आने से नहीं रोकना चाहिए था। अगर किसानों को पहले ही बिना किसी रोक-टोक के आने दिया होता तो अब तक यहाँ पहुंच कर फैसला भी हो गया होता। उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि सरकार किसानों पर झूठे मुक़दमे दर्ज करा रही है। उन्होंने सरकार को चेताया कि जोर-जबरदस्ती से किसानों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता, उनके अधिकारों को छीना नहीं जा सकता। सरकार का दमनकारी रवैया आने वाले समय में उसे महंगा पड़ेगा।

उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ सरकार बेमन से बातचीत का दिखावा कर रही है और दूसरी तरफ इन तीन किसान विरोधी कानूनों को सही भी ठहरा रही है। यही कारण है कि किसानों को सरकार की बात पर भरोसा नहीं हो रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और एमएसपी से कम पर खरीदने वाले के लिए सजा का कानूनी प्रावधान जब तक नहीं होगा तब तक किसी क़ानून का किसानों के लिए कोई औचित्य नहीं है।