बदलते जलवायु परिप्रेक्ष्य में फसलों पर कीटों की नई प्रजातियों का आक्रमण वैज्ञानिकों के लिए चुनौती : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

July 29, 2021

बदलते जलवायु परिप्रेक्ष्य में फसलों पर कीटों की नई प्रजातियों का आक्रमण वैज्ञानिकों के लिए चुनौती : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

कीटों के उचित प्रबंधन के साथ पर्यावरण हितैषी अनुसंधान पर हो अधिक फोक्स

हिसार  रवि पथ :

वैज्ञानिकों को वर्तमान समय की कीट समस्याओं को ध्यान में रखकर ही अनुसंधान कार्य करने चाहिए। साथ ही ऐसे प्रबंधन उपायों की खोज पर भी बल दिया जाना चाहिए जो कीटों की रोकथाम भी करें तथा मनुष्य के स्वास्थ्य व वातावरण के लिए भी सुरक्षित हों। ये विचार चौधरी चरण सिहं हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे कृषि महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के वार्षिक तकनीकी कार्यक्रम में वैज्ञानिकों से ऑनलाइन माध्यम से रूबरू होते हुए उन्हें भविष्य के लिए दिशा-निर्देश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बदलते जलवायु परिप्रेक्ष्य में फसलों पर कीटों की नई प्रजातियों का आक्रमण वैज्ञानिकों के लिए चुनौती है। किसान जागरूकता के अभाव में बिना वैज्ञानिक सलाह के फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों व रसायनों का मिश्रित छिडक़ाव कर रहे हैं जो बहुत ही नुकसानदायक साबित हो रहा है। इससे न केवल पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं बल्कि फसलों पर भी विपरीत असर पड़ रहा है और किसान को आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। इसलिए वैज्ञानिकों को इन सब पहलुओं को ध्यान में रखकर अपने शोध कार्य को आगे बढ़ाना चाहिए।
समय-समय पर किसानों के लिए जारी की जाए सलाह
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ज्यादा से ज्यादा किसान समुह बनाकर किसानों को जागरूक करें और वैज्ञानिक सलाह अनुसार फसलों पर कीटनाशकों व अन्य रसायनों के प्रयोग के लिए जानकारी मुहैया करवाएं। इसके लिए समय-समय पर किसान सलाह भी जारी की जानी चाहिए। साथ ही अपने शोध कार्यों को इस प्रकार से आगे बढ़ाएं कि किसानों को कीटों की समस्या से निजात मिल सके और पर्यावरण पर भी उसका कोई दुष्प्रभाव न हो। प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि किसानों द्वारा वर्तमान में फसल में दिए जाने वाले रसायनों व उर्वरकों का अगली फसल में पडऩे वाले प्रभावों व फसल प्रणाली के अनुसार अनुसंधान किया जाना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र व अनुसंधान केंद्र विश्वविद्यालय का आइना होते हैं।

इसलिए वे किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जाने वाली उन्नत किस्मों व तकनीकों के बारे में ज्यादा से ज्यादा अवगत कराएं ताकि अधिकाधिक किसान फायदा ले सकें। वैज्ञानिक किसानों को मधुमक्खी पालन के प्रति जागरूक करें और उन्हें मधुमक्खी पालन द्वारा फसलों की पैदावार में होने वाली वृद्वि से अवगत कराएं। साथ ही विभाग द्वारा किसानों की सहायता के लिए जरूरी तकनीकी विशेषांक उपलब्ध करवाएं। अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के.सहरावत ने इस क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान कार्यों की चर्चा की। कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेश कुमार ने पिछले वर्ष के अनुसंधान कार्यों की प्रगति रिपोर्ट एवं आगामी वर्ष में किए जाने वाले अनुसंधान कार्यों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के निदेशक व विभागाध्यक्ष सहित वैज्ञानिक मौजूद रहे जिन्होंने शोध के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए भविष्य के लिए बहुमूल्य सुझाव दिए।