केेंद्र सरकार के लिए कृषि क्षेत्र प्राथमिकता का क्षेत्र और किसानों के हित सर्वोपरि : कैप्टन भूपेंद्र

December 15, 2020

केेंद्र सरकार के लिए कृषि क्षेत्र प्राथमिकता का क्षेत्र और किसानों के हित सर्वोपरि : कैप्टन भूपेंद्र

नए कानून में पूराने विकल्पों के साथ किसानों को उपलब्ध होंगे अतिरिक्त विकल्प

किसानों के उपर लगी पाबंधियां हटेंगी

हिसार, 15 दिसंबर रवि पथ :


केेंद्र सरकार के लिए कृषि क्षेत्र प्राथमिकता का क्षेत्र है और किसानों का हित सरकार के लिए सर्वोपरि है। भाजपा जिलाध्यक्ष कैप्टन भूपेन्द्र ने आज यहां बुलाई गई पत्रकारवार्ता के दौरान यह बात कही। उन्होंंने कहा कि देश में नए कृषि कानूनों को लागू करने का मकसद किसानों के उपर लगी पाबंधियों को हटाना है। इसके साथ ही उन्हें पूराने विकल्पों के साथ-साथ नए विकल्प उपलब्ध करवाए गए हंै ताकि उन्हें अपनी फसलों के अधिक दाम मिल सके। जैसे अन्य उत्पादकों को अपने उत्पाद को बेचने का अधिकार है, वैसा ही अधिकार किसानों को भी उपलब्ध करवाया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर फसलों का उत्पादन पूरे विश्व के निर्यात बाजार खोल सकता है, जिससे हमारे किसानों को और अधिक आमदनी हो सकती है।
भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि कृषि कानूनों पर विपक्षी दल किसानों को भ्रमित कर राजनीतिक स्वार्थसिद्घि करने में लगे हैं, जबकि वास्तविकता ये है कि स्वयं काग्रेंस पार्टी अपनी सरकार के कार्यकाल के दौरान इन कानूनों को लागू करने के हक में थी। उन्होंने कहा कि सरकार खुले मन से पूरी संवेदना के साथ किसानों के हक में खड़ी है और जल्द ही आंदोलन का समाधान भी हो जाएगा।
अभी तक हुई वार्ता में सरकार ने बिना किसी पूर्वाग्रह से किसान प्रतिनिधियों से बातचीत कर मुद्दों के समाधान का प्रयास किया है। कृषि कानूनों को लेकर जितनी भी शंकाएं थी, उन्हें दूर करने की दिशा में सरकार सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रही है, लेकिन किसानों के मुद्दों पर राजनीतिक रोटियां सेक रही विपक्षी पार्टियां आए रोज नए मुद्दों को जोडक़र इस मसले का जटिल बना रही हैं। विपक्षी दल यह भ्रम फैला रहे हैं कि नए कानून से किसान भूमिहीन हो जाएंगे, जबकि नए कृषि कानून में किसान की भूमि को बंधक करने, बिक्री अथवा गिरवी करने जैसी चीजों को लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं।


कैप्टन भूपेंद्र ने कहा कि हरित क्रांति में पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का योगदान उल्लेखनीय है जबकि पहले भारत खाद्यान की कमी से जूझता था। बावजूद इसके किसानों के आर्थिक हालात में आशाजनक सुधार नहीं हो सका। इसी दिशा में वर्तमान सरकार सरप्लस फसलों की बिक्री तथा किसान को उच्चें दाम दिलाने के लिए प्रयासरत है। किसानों की आमदनी बढ़े, इस हेतु फसलों का विविधीकरण तथा नए बाजारों की उपलब्धता आवश्यक है। सरकार का प्रयास कि कृषि क्षेत्र में एक ऐसा इको सिस्टम बनाया जाए जहां अच्छी गुणवत्ता के उन्नत बीज, प्रामाणिक खाद उपलब्ध हो, कृषि में आधुनिक तकनीक का उपयोग हो, फसल क्षति को कम किया जाए, फसलों के प्रबंधन के लिए अवसंरचनाओं का निर्माण हो छोटे एवं लघु किसानों को संगठित किया जाए और बाजार के नए विकल्प उपलब्ध हों।
भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि किसान की आर्थिक बेहतरी के लिए वर्तमान केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखते हुए अनेक योजनाओं को लागू किया है। पीएम किसान सम्मान निधि तथा संस्थागत ऋण व्यवस्था का सरलीकरण एवं विस्तार किया गया है। इसी प्रकार से फसलों के समर्थन मूल्य को लगातार मजबूत किया गया है। आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में कृषि विभाग का बजट रुपये 1,34,399 करोड़ है, जो वर्ष 2013-14 के बजट का छ: गुना है। वर्ष 2015-16 में देश में अनाज का कुल उत्पादन 251.54 मिलियन टन था, जो 2019-20 में बढक़र 296.65 मिलियन टन हो गया है, जो कि एक रिकार्ड है। वर्ष 2018-19 से कृषि उत्पादन की अखिल भारतीय औसत लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत का लाभ जोड़ा गया है। खरीफ 2020-21 में धान की 356.18 लाख मीट्रिक टन की आवक हुई है, जो पिछले वर्ष की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक है।
पीएम किसान योजना के तहत 10.59 करोड़ किसानों को लाभान्वित करते हुए कुल 95979 करोड़ रुपये हस्तान्तरित किए गए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के चार वर्ष के क्रियान्वयन के दौरान किसान से 23 करोड़ आवेदन प्राप्त कर, 7.2 करोड़ आवेदकों को लाभान्वित किया गया है। इस अवधि में किसान द्वारा 17450 करोड़ रुपए का प्रीमियम भुगतान किया गया, जिसके विरुद्ध 87000 करोड़ रुपये का दावा भुगतान किया गया है। कृषि ऋण 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये था जो 2019-20 में बढक़र 13.73 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वर्ष 2020-21 में 15 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
कैप्टन भूपेंद्र ने कहा कि वर्तमान सरकार ने एक लाख करोड़ रुपए के कृषि अवसंरचना कोष की स्थापना की है, जिसके अंतर्गत पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कि भंडारगृह, कोल्ड स्टोर, सोर्टिंग, ग्रेडिंग एवं पैकेजिंग इकाई, ग्रामीण विपणन प्लेटफार्म, ई-मार्केटिंग इकाई इत्यादि हेतु संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं, अब तक 3064 परियोजनाओं में 1565 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी है। किसानों के संगठन बनें जिससे वे स्वयं अपनी फसलों की विपणन व्यवस्था बना सकें, इस हेतु 10 हजार नए एफपीओ गठन की योजना शत-प्रतिशत केंद्र शासन दवारा पोषित कर 6865 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। यह योजना प्रारम्भ कर दी गई है। इस योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक ब्लोक में कम से कम एक एफपीओ का गठन किया जाएगा। किसानों के लिए एक सुलभ और सरल विवाद समाधान तंत्र की व्यवस्था करते हुए दोषियों के विरूद्घ सख्त कार्रवाई के प्रावधान भी नए कानूनों में किए गए हैं।
उन्होंन कहा कि नए कानून के कृषि करार के अनुसार कृषि उत्पादों की कीमत अग्रिम रूप से निर्धारित करने के प्रावधान तथा कीमतों में अन्तर होने की स्थिति में न्यूनतम गारंटीशुदा कीमत का प्रावधान किया गया है। इस पर बोनस की भी व्यवस्था होगी।
इस अवसर पर जिला महामंत्री प्रवीण पोपली, धर्मबीर रतेरिया, भाजपा नेता सीमा गैबीपुर, जिला सचिव रणधीर धीरू, कृष्ण खटाना, संदीप रेवड़ी, कार्यालय प्रभारी हेंमत शर्मा, मीडिया प्रभारी सुरेेश गोयल, जिला पार्षद अरूण शर्मा सहित अन्य नेता व पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित थे।