किसान की पगड़ी की तरफ हाथ बढ़ा तो इलाज करेंगे-टिकैत

February 3, 2021

किसान की पगड़ी की तरफ हाथ बढ़ा तो इलाज करेंगे-टिकैत

कंडेला के बाद खटकड़ टोल पर भी पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत

किसानों के डर से किलेबंदी में जुटी सरकार

जींद, 3 फरवरी रवि पथ :-

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अन्य किसान नेताओं के साथ कंडेला के बाद खटकड़ टोल पर भी पहुंचे। यहां भी भारी भीड़ उमड़ी।
जींद-पटियाला मार्ग पर स्थित खटकड़ टोल प्लाजा पर राकेश टिकैत ने सीधे-सीधे केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा कि अगर सरकार ने किसानों की पगड़ी की तरफ हाथ किया तो उनका अच्छे से इलाज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तीनों बिलों की बर्खास्तगी के अलावा किसान मानने वाला नहीं है।
टिकैत ने कहा कि राजा जब डरता है तो किलेबंदी करता है। मोदी सरकार किसानों से डर गई है। हमने संसद घेरने की बात भी कही पर लाल किले की बात तो कभी नहीं कही और न ही किसान वहां कभी गए। लाल किले पर जो लोग गए वो किसान नहीं थे। यह किसानों को बदनाम करने के लिए भाजपा की केंद्र सरकार ने साजिश रची थी। टिकैत ने यह भी आह्वान किया कि अभी किसान दिल्ली कूच न करें, अपनी तैयारी करके रखें, जब जरूरत होगी, तब बुला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उस दिन उन्होंने पानी मांगा, क्योंकि पानी ठंडा होता है, अगर वह उस दिन आग मांग लेते तो दिल्ली और सरकार क्या करती। उन्होंने किसानों से अपील की कि शांतिपूर्वक आंदोलन चलाएं।

-युद्ध में घोड़े नहीं बदले जाते-

राकेश टिकैत ने कहा कि युद्ध में कभी घोड़े नहीं बदले जाते। सरकार से बातचीत के लिए जो 40 किसानों की कमेटी बनाई गई है, उसके सदस्य नहीं बदले जाएंगे। कमेटी भी वही रहेगी और इसके सदस्य भी वही रहेंगे। ऑफिस भी पहले जहां था, वहीं रहेगा। किसानों को भाकियू नेता गुरनाम चढ़ूनी, बलवीर राजेवाला ने भी संबोधित किया।

-आम लोगों का बना किसान आंदोलन-

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरानाम सिंह चढूनी ने कहा कि यह देश में चल रहा किसानों का आंदोलन किसानों का ही नहीं बल्कि आम लोगों का बन गया है। आज देश में जितने भी कानून बन रहे हैं वो देश को लूटने के कानून हैं। आज देश में पूंजीपतियों का राज है। सरकार जो भी कानून बनाती है वो पूंजीपतियों के फायदे के लिए बनाती है। उन्होंने कहा कि आज भारत भुखमरी में 94वें स्थान पर पहुंच गया है। सरकार इसके बावजूद भी किसानों के अनाज को चंद लोगों की तिजोरी में कैद करने के लिए जबरदस्ती तीन कृषि बिल कानून ठोक रही है। किसान इस बिल को किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देंगे। तीन कृषि कानून किसानों के हित में नहीं बल्कि सरकार में पूंजीवाद को बढ़ाने के लिए बनाए हैं। किसान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे उन्होंने
कहा कि यह देश का पहला ऐसा आंदोलन है जिस पर देश की ही नहीं पूरी दुनिया की नजर है। इतनी भीड़ के साथ इतना लंबा आंदोलन चलने वाला यह संतुलित आंदोलन एक मिसाल कायम कर रहा है।