गाजीपुर बार्डर पर मनाया गया युवा किसान दिवस युवा किसानों के हाथ में रही मंच की कमान

February 26, 2021

गाजीपुर बार्डर पर मनाया गया युवा किसान दिवस
युवा किसानों के हाथ में रही मंच की कमान

नए कृषि कानून लागू हुए तो कहीं के नहीं रहेंगे किसान : गौरव टिकैत

गाजियाबाद, 26 फरवरी, 2021 रवि पथ :

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के 93 दिन पूरे होने पर शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से युवा किसान दिवस का आयोजन किया गया। मोर्चा के आव्हान पर भारी संख्या में युवा किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर चल रहे मंच की कमान भी शुक्रवार को युवा किसानों के हाथ में रही। मंच पर चलने वाले क्रमिक अनशन में भी 11 युवा किसान शामिल हुए।
भारतीय किसान यूनियन (युवा) के अध्यक्ष गौरव टिकैत ने मंच से कहा कि सरकार यह भ्रम फैलाने में लगी हुई है कि सरकार द्वारा जो कानून बनाए गए हैं, वह किसानों की आय बढा देंगे, जबकि असलियत कुछ और है, यह कानून लागू हुए तो किसान जिस स्थिति में हैं, उसमें भी न रह पाएंगे। फसलों के मूल्य तो दूर, किसान अपनी जमीन भी ढूंढते रह जाएंगे। कार्पोरेट कंपनियां अपने मनमुताबिक किसान की जमीन का दोहन करेंगे और उसे बुरे हाल में करके छोड़ देंगे। जिस कॉन्टेक्ट फार्मिंग की सरकार बकालत कर रही है, विदेशों में उसका यही हश्र हुआ है। इसलिए जब तक नए कृषि कानूनों कानून रद्द नहीं हो जाते और एमएसपी पर कानून नहीं बन जाता, किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़ने वाले नहीं हैं।
बिहार से गाजीपुर बार्डर पहुंचे कबीर राजपूत ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार द्वारा न केवल आवश्यक वस्तु अधिनियम को कार्पोरेट के मन माफिक बना दिया है, बल्कि तीनों नए कृषि कानून भी कार्पोरेट के हितों को ही ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के बारे में ही सोचती है और किसान, मजदूर, गरीब व मध्यम वर्ग का उत्पीड़न करने पर आमादा है। युवा किसान नेता बब्बन जीत ने कहा कि सरकार पिछले छह वर्षों में भी महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न को रोकने में असफल रही है और सरकार द्वारा ऐसा कोई भी कानून पारित नहीं किया गया है जिससे महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोका जा सके।

पैदल मार्च करते हुए मशाल लेकर पहुंचे हरियाणा के किसान : युवा किसान दिवस के मौके पर शुक्रवार को हरियाणा से पैदल यात्रा करते हुए दर्जनों किसान मशाल लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे। हरियाणा से आए किसानों ने बताया कि वह चारों बॉर्डरों पर चल रहे आंदोलन में पैदल मार्च करते हुए मशाल लेकर शामिल हो चुके हैं। गाजीपुर बार्डर से यह किसान पैदल मार्च करते हुए पलवल जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक वह हाथों में मशाल लेकर इसी तरह सभी बॉर्डर पर किसानों को समर्थन देते रहेंगे।
मशाल यात्रा के साथ आए 82 वर्षीय राजपाल सिंह ने बताया कि यात्रा एक सप्ताह पूर्व हरियाणा के झज्जर गांव से शुरू की गई थी। पूरे सप्ताह लगातार चलते हुए हमने राह में आए विभिन्न गांवों में सभाएं कर लोगों को जागरूक करने का काम किया। मूलतः यह जन जागरण अभियान है और तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती।

होशियारपुर से आए बाबा कर रहे किसानों का उपचार :
पंजाब के होशियारपुर से गाजीपुर बार्डर पहुंचे बाबा अजेब सिंह किसानों का उपचार कर रहे हैं। देशी नुस्खों और एक्यूप्रेशर के सहारे उपचार करने वाले बाबा अजेब सिंह का कहना है कि किसान आंदोलन को समर्थन देने का उनका यही तरीका है। उन्होंने इस दौरान आंदोलनरत किसानों का देसी नुस्खों से इलाज भी किया। बाबा का कहना है कि वह मरीजों की निशुल्क सेवा करते आए हैं। किसान आंदोलन में शरीक हो रहे किसान, मजदूरों और गरीबों की सेवा कर वह आंदोलन को समर्थन देने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने गाजीपुर बार्डर पर बैठे किसानों से डटे रहने का आव्हान किया है। बाबा अजेब सिंह का कहना है कि सरकार को एक दिन किसान-मजदूरों की एकता के आगे झुकना पड़ेगा।

किसान अपनी फसलों को बर्बाद न करें : बाजवा
भारतीय किसान यूनियन (युवा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत और गाजीपुर बार्डर आंदोलन कमेटी के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने शुक्रवार को युवा किसान दिवस के अवसर पर माल्यार्पण कर 11 युवा किसानों को भूख हड़ताल पर बैठाया। बता दें कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर चल रहे मंच पर लगातार क्रमिक अनशन जारी है। रोजाना यहां 11 किसान 24 घंटे के अनशन पर बैठते हैं। बाजवा ने बताया कि शनिवार को आंदोलन का मंच रविदास जयंती, चन्द्रशेखर आजाद के शहादत दिवस व महान बिजौलिया किसान आंदोलन के प्रणेता विजय सिंह पथिक के जन्म दिवस को समर्पित रहेगा। यह दिन किसान-मजदूर दिवस के रूप मनाया जाएगा। इस मौके पर मजदूर संगठनों के समर्थन के साथ मंच पर रागिनी के कार्यक्रम भी होंगे।उन्होंने कहा कि तमाम राज्यों से इस प्रकार की सूचनाएं मिल रही है कि सरकार के अडियल रवैये से क्षुब्ध होकर किसान अपनी फसलों को जोत रहे हैं, किसान आंदोलन की ओर से सभी किसानों से अपील है कि अपनी फसल को बर्बाद न करें।

आपके डोले तुड़वाने को बनाए गए हैं नए कानून : धर्मेंद्र मलिक
खेती को मटियामेट नहीं होने देगा इस देश का युवा किसान
गाजियाबाद। भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक युवा किसान दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि हमने दूसरे देशों में हुई ठेका खेती का हश्र देखा है। सरकार कहती है कि किसान नेता किसानों को यह कहकर बरगला रहे हैं कि नए कानून लागू हुए तो तुम्हारी जमीन छीन ली जाएगी। आज के समय में जब हर आदमी के हाथ में मोबाइल है। एक क्लिक पर वह पूरी जानकारी मोबाइन के स्क्रीन पर हासिल कर सकता है, किसी को बरगलाना संभव है क्या?
रही बात जमीन छिनने की, नए कानून बड़ी-बड़ी कंपनियों से खेती कराने की बात करते हैं। उस स्थिति में कंपनियां आपके छोटे-छोटे खेतों को मिलाकर बड़े-बड़े फार्म बनाएंगी। मतलब साफ है कि सबसे पहला काम तो कंपनियां आपके डोले तोड़ने का करेंगी। फिर जब तक कंपनी को खेती करनी होगी, करेगी और जब छोड़कर जाएगी तो आप यह ढूंढते रह जाओगे कि आपका खेत था कहां। उसका अंजाम यह होगा कि किसान अपने ही भाई से लड़ेगा। तो आज यह जान लेने की जरूरत है कि जमीन तो जाएगी ही, आपको अपनों से लड़ाने का जरिया भी यह ठेका खेती बनेगी।
मलिक ने अपने संबोधन के दौरान किसान आंदोलन में जुड़े युवाओं का भी आभार जताया। उन्होंने कहा कि युवा खेती करना तो नहीं चाहता, लेकिन इस आंदोलन ने इतना भी साफ कर दिया है कि वह खेती को मटियामेट होते भी नहीं देख सकता। जब भी ऐसा करने का प्रयास होगा, इस देश का युवा अपने पिता, अपने ताऊ और अपने बाबा के साथ खड़ा होकर संघर्ष करेगा।