करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर धरनारत किसानों के बीच पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा

January 16, 2021

करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर धरनारत किसानों के बीच पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा

किसानों को उकसाना और झूठे मुक़दमों में फंसाना बंद करे सरकार- हुड्डा

विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों पर दर्ज़ मुक़दमे तुरंत वापिस ले सरकार- हुड्डा

जान की क़ुर्बानी देने वाले किसानों के परिवारों को आर्थिक मदद और नौकरी दे सरकार- हुड्डा

अगर मौजूदा सरकार ऐसा नहीं करती है तो हमारी सरकार बनने के बाद किया जाएगा ये काम- हुड्डा

16 जनवरी, करनाल रवि पथ :

दिल्ली बॉर्डर समेत प्रदेश के अलग-अलग टोल प्लाजा पर धरनारत किसानों के बीच पहुंचकर उन्हें समर्थन दे रहे पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज करनाल स्थित बसताड़ा टोल पर पहुंचे। इस मौक़े पर उन्होंने किसानों से बातचीत की और सरकार के रवैये पर चिंता ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि अन्नदाता कठोर परिस्थितियों का सामना करते हुए देश का सबसे बड़ा आंदोलन चला रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी बातें मानने की बजाए अनदेखी, उकसावे और तानाशाही का रवैया अपनाए हुए है। सरकार किसानों की आवाज़ सुनने की बजाए उससे टकराव के हालात पैदा करने और उन्हें उकसाने में लगी है।

हुड्डा ने मुख्यमंत्री की किसान महापंचायत का विरोध करने वाले किसानों पर दर्ज़ मुक़दमे वापिस लेने की मांग की। उन्होंने बताया कि वो लगातार प्रदेशभर में धरना दे रहे किसानों के बीच जा रहे हैं। किसान सरकार से किसी तरह का टकराव नहीं चाहते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री केंद्र और किसानों के बीच जारी बातचीत के नतीजे का इंतज़ार किए बिना किसान महापंचायत करके किसानों को उकसाने का काम कर रहे हैं। करनाल के कैमला गांव में जो हुआ उसके लिए सरकार ज़िम्मेदार है, ना कि किसान। इसलिए सरकार किसानों को झूठे मुक़दमों में फंसाना बंद करे। सरकार को किसानों के प्रति द्वेष भावना या बदले की नीयत से कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। लोकतंत्र में जनभावना और अहिंसक आंदोलनों को टकराव की कोशिश, उकसावे की कार्रवाई, वाटर कैनन की बौछार, आंसू गैसे के गोले और पुलिस की लाठी के दम पर दबाया नहीं जा सकता। सरकार जनता की आवाज़ को जितना दबाने की कोशिश करेगी, उसकी गूंज उतनी ही ज़ोर से सुनाई देगी।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसान पूरी तरह अनुशासित और शांतिपूर्ण तरीक़े से आंदोलन चला रहे हैं। सरकार की अनदेखी और लेटलतीफ़ी के चलते दिल्ली बॉर्डर से रोज़ शहादतों की ख़बरें आ रही हैं। बावजूद इसके सरकार अन्नदाता की क़ुर्बानियों के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। किसान विरोधी कानून वापिस ले लेने चाहिए। हमारा सरकार से आग्रह हैं कि सरकार आंदोलन में जान की क़ुर्बानी देने वाले किसानों को आर्थिक मदद और परिवार को नौकरी दे। अगर ये सरकार ऐसा नहीं करती है तो हमारी सरकार बनने के बाद ऐसा किया जाएगा। और यदि बीजेपी सरकार ये कानून वापिस नहीं लेती है तो कांग्रेस सरकार बनेगी तो ये किसान विरोधी कानून भी वापिस लिए जाएंगे ।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसानों की मांगें पूरी तरह जायज़ हैं। इसलिए हर वर्ग जाति, धर्म, क्षेत्र और राजनीति से ऊपर उठकर आज इस आंदोलन का समर्थन कर रहा है। वो ख़ुद पहले दिन से आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं। वो अन्नदाता के अनुशासित जज्बे को सलाम करते हैं। इतने बड़े आंदोलन को इतने शांतिपूर्ण तरीक़े से चलाना अपने आप में एक लोकतंत्रिक मिसाल है।