किसान आंदोलन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ : कृषि मंत्री

December 2, 2020

किसान आंदोलन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ : कृषि मंत्री

भिवानी रवि पथ :

 प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मंगलवार किसान आंदोलन के समाधान की उम्मीद जताते हुए बड़ा बयान दिया है। जेपी दलाल ने कहा कि किसान आंदोलन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों के हक में सबसे ज्यादा फैसले लिए। इसलिए देश विरोधी कुछ ताकतों को मोदी का चेहरा पसंद नहीं है जो किसानों को आगे कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नीतियां सड़क पर नहीं संसद में बनती हैं।

बता दें कि कृषि मंत्री मंगलवार को अपने भिवानी निवास पर जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुन रहे थे। इस दौरान उन्होंने कृषि कानूनों के विरोध में हो रहे किसानों के आंदोलन को लेकर अपनी राय रखी और इसके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ होने का अंदेशा जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 6 साल में किसानों के लिए अनेक हितकारी काम किए हैं। जिसके चलते देश विरोधी कुछ ताकतों को नरेंद्र मोदी का चेहरा पसंद नहीं है। इसलिए ऐसी विदेशी ताकतें किसानों को आगे कर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों ने देश के खाद्यान्न भंडार भरे हैं, लेकिन फिर भी किसान की हालत नहीं सुधरी। इसलिए पी.एम. मोदी पुराने सिस्टम को बदल कर नए कानून लाए हैं।

नए कानूनों के नतीजों का 2-3 साल करें इंतजार
जे.पी. दलाल ने बताया कि नए कानूनों के परिणाम के लिए किसानों को 2-3 साल इंतजार करना चाहिए था, बिना परिणाम के किसी चीज का विरोध ठीक नहीं। 2-3 साल के बाद कानूनों का विपरित असर पड़ता है तो फिर किसान आंदोलन करें या बदलाव की मांग, उसका सभी समर्थन करेंगे। देश के नीति निर्धारण के फैसले को सड़क की बजाय संसद में होते हैं और संसद में ये फैसले जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि करते हैं। उन्होंने कहा कि संसद में कोई भी गलत फैसला होगा तो जनता को अपने जन प्रतिनिधि बदलने का पूरा अधिकार होता है है।

दिल्ली हमारी राजधानी, कराची या लाहौर नहीं
किसान संगठनों द्वारा अपनी मांग मनवाने के लिए दिल्ली का अनाज और पानी बंद करने पर जे.पी. दलाल ने कहा कि दिल्ली हमारी राजधानी है, कोई लाहौर या कराची नहीं। ऐसे में दिल्ली का अनाज पानी बंद करना ठीक नहीं है। वहीं सोमवार को प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के विरोध पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग मीडिया में बने रहने के लिए ऐसे विरोध करते हैं, लेकिन लोकतंत्र में लठ के बल पर अपनी बात मनवाना ठीक नही