जल एक महत्वपूर्ण संसाधन, उचित प्रबंधन न होने से व्यर्थ बह जाता है 70 प्रतिशत सिंचाई जल : डॉ. त्रिलोचन महापात्र

September 8, 2021

जल एक महत्वपूर्ण संसाधन, उचित प्रबंधन न होने से व्यर्थ बह जाता है 70 प्रतिशत सिंचाई जल : डॉ. त्रिलोचन महापात्र

एचएयु का कृषि मेला (रबी) के शुभारंभ अवसर पर बोले मुख्यातिथि, कहा जल संरक्षण समय की मांग, आधुनिक तकनीकों को अपनाएं किसान

हिसार  8 सितंबर  रवि पथ :

कृषि के लिए जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है। जल का उचित प्रबन्धन न होने से करीब 70 प्रतिशत सिंचाई का जल व्यर्थ बह जाता है। इसलिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीकों और विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों को किसान ज्यादा से ज्यादा व्यवहारिक रूप से अपनाएं। ये विचार कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने कहे। वे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार की ओर से आयोजित कृषि मेला (रबी) के शुभारंभ अवसर पर ऑनलाइन माध्यम से जुडक़र बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम में लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति डॉ. गुरदयाल सिंह विशिष्ट अतिथि जबकि अध्यक्षता एचएयू एवं गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर.काम्बोज ने की। मुख्यातिथि ने कहा कि हरियाणा जैसे प्रदेश में इतनी ज्यादा मात्रा में पानी का बेकार जाना चिंता का विषय है। जल की लगातार बढ़ती खपत के चलते कृषि क्षेत्र के लिए जल की मात्रा घटी है। गेहूं-धान फसल-चक्र वाले क्षेत्रों में भू-जल के अति दोहन के कारण भी जल स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है। इसलिए कृषि के लिए जल की उपलब्धता एक मुख्य समस्या के रूप में उभरकर आ रही है। यदि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इसी तरह जारी रहा तो हरियाणा में आने वाले समय में सिंचाई तो दूर की बात, लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल की भारी कमी हो सकती है तथा इस कारण से कृषि उत्पादन में 30 प्रतिशत कमी की सम्भावना भी है।
बूंद-बूंद की करें बचत, जल संरक्षण समय की मांग : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि पिछले दो वर्षों से कोरोना महामारी के चलते कृषि मेले का ऑफलाइन माध्यम से आयोजन नहीं हो सका। इस बार ऑफलाइन मेला आयोजित कर हमें बहुत खुशी हो रही है, जिसमें किसानों ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि हमें जल की बूंद-बूंद की बचत करनी चाहिए क्योंकि जल संरक्षण समय की मांग है। हमें जल संसाधनों का बेहतर प्रयोग, वाटरशेड विकास, वर्षा जल संचय तथा उन्नत तकनीकों को अपनाकर पानी का उचित प्रबन्ध करने की अति आवश्यकता है। बूंद-बूंद पानी का सदुपयोग करें तथा ऐसा करने के लिए भूमिगत पाइप लाइन, टपका सिंचाई तथा फव्वारा सिंचाई जैसी पद्धतियां अपनाएं। इजरायल जैसे छोटे देश के प्राकृतिक संसाधन कृषि के अनुरूप नहीं हैं फिर भी यह देश विश्व में आधुनिक कृषि तकनीकों के मामलों में सबसे आगे है। पानी के सदुपयोग के लिए हमारे किसानों को भी इजरायल द्वारा विकसित की गई टपका तथा अन्य सिंचाई सम्बन्धी तकनीकों को अपनाना होगा। लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति डॉ. गुरदयाल सिंह ने कहा कि एचएयू की ओर से दो साल बाद फिजिकली रूप से मेले का आयोजन किसान हित के लिए बहुत ही फायदेमंद है। व्यावहारिक रूप से मेले में जो सीखने को मिलता है वह ऑनलाइन माध्यम से संभव नहीं है।
प्रगतिशील किसानों की स्टाल बनी आकर्षण का केंद्र
एचएयू, लुवास, एमएचएयू करनाल व बाहरी कंपनियों की ओर से सैकड़ों स्टाल लगाई गई जिसमें विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों, आधुनिक तकनीकों सहित आधुनिक कृषि यंत्रों की जानकारी किसानों को दी गई। इस दौरान विश्वविद्यालय से जुडक़र कृषि क्षेत्र में अपना नाम रोशन करने वाले प्रगतिशील किसानों की ओर से लगाई गई स्टाल भी मेले के दौरान आकर्षण का केंद्र बनी। किसानों के लिए सवाल-जवाब सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के सवालों के जवाब दिए और उनकी समस्याओं का समाधान किया गया।
प्रत्येक जिले से प्रगतिशील किसानों को किया गया सम्मानित
मेले के दौरान प्रत्येक जिले से एक प्रगतिशील किसान को कृषि क्षेत्र में किए गए बेहतर कार्य के लिए सम्मानित किया गया। इन किसानों को शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
ये भी रहे मौजूद
कार्यक्रम में ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कुलसचिव डॉ. राजवीर सिंह, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा, अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत, गुजवि के कुलसचिव डॉ. अवनीश वर्मा सहित सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता सहित सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवं किसान मौजूद रहे।