इनेलो विधायक रणबीर गंगवा भाजपा में हुए शामिल

March 21, 2019

 

इनेलो विधायक रणबीर गंगवा भाजपा में हुए शामिल

रवि पथ ब्यूरो चंडीगढ़

भाजपा मुख्यालय में मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रदेश प्रभारी डॉ अनिल जैन, लोकसभा सहप्रभारी विश्वास सारंग, भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला की मौजूदगी में हुए शामिल

गंगवा गांव से हरियाणा की राजनीति में आगे बढ़ने वाले रणबीर गंगवा नलवा हलके से विधायक हैं।

2014 में इनेलो की टिकट पर नलवा से विधायक बने थे।

एक बार सामान्य बातचीत में कहा भी था कि अगर मैंने भी 2014 में समझदारी दिखाई होती तो कृष्ण पंवार की तरह मैं भी मंत्री होता।

हिसार जिले की नलवा विधानसभा से 2014 में रणबीर सिंह गंगवा प्रजापति इनेलो पार्टी से विधायक बने थे।

नलवा विधनासभा 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है।

इस सीट पर पश्चिमी हिसार का हिस्सा, आदमपुर के कुछ गांव व हांसी हलके कुछ गांव आते हैं।

भजनलाल परिवार का घर इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है।

2009 के विधानसभा चुनाव में भजनलाल की पत्नी जसमा देवी कांग्रेस के संपत सिंह से चुनाव हार गई थी, जबकि 1987 में जसमा देवी आदमपुर से विधायक रह चुकी हैं।

2014 में रणबीर सिंह गंगवा हजका के चंद्रमोहन को हराकर विधायक बने थे।

2009 के चुनाव में जसमा देवी की हार दरअसल भजनलाल परिवार के किसी सदस्य की पहली हार है।

2019 के जींद उपचुनाव में जेजेपी के प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला की हार चौटाला परिवार के सदस्यों में पहले चुनाव में पहली हार है।

इससे पहले चौटाला परिवार का कोई भी सदस्य अपना पहला चुनाव नहीं हारा है।

नलवा से 2009 और 2014 दोनों चुनाव में अपनी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रणबीर सिंह गंगवा पर दांव लगाते हुए टिकट दी थी।

2010 में राज्यसभा सदस्य बने रणबीर गंगवा ने विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए संसद से इस्तीफा दे दिया था।

पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक गलियारों में रणबीर सिंह गंगवा प्रजापति के इनेलो छोड़कर चले जाने की चर्चाएं चली हुई थी।

पिछले लंबे अर्से से प्रजापति समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले रणबीर गंगवा को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि वो बीजेपी की तरफ जा सकते हैं, क्योंकि जींद उपचुनाव से एक मैसेज साफ दिख रहा है कि हरियाणा का ओबीसी और एससी समाज कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गया है, जिसे कांग्रेस का कोर वोटर कहा जाता था।

उसने अपनी आस्था बीजेपी में दिखानी जतानी शुरू कर दी है. वैसे भी कांग्रेस के पास फिलहाल ओबीसी और एससी समाज का प्रतिनिधित्व देने वाला एक भी जमीनी नेता नहीं है, जिसकी कीमत कांग्रेस लंबे समय तक चुकाएगी।

बीजेपी इस मामले में दूसरे विपक्षी दलों से कोसों आगे हैं, क्योंकि उसने समाज के विभिन्न तपकों को अपनी पार्टी में प्रतिनिधित्व दिया हुआ है, ऐसे में रणबीर गंगवा का बीजेपी में जाना हैरत करने वाला नहीं होगा।

इनेलो पर वैसे भी साढे साती चढ़ी हुई है, तभी बुरे समय में बसपा ने साथ छोड़ दिया।