ग्रामीणों की पहल: सरकारी स्कूल को गोद लेे खुद रखे 5 निजी शिक्षक, 15 से 115 हुए विद्यार्थी

October 31, 2020

ग्रामीणों की पहल: सरकारी स्कूल को गोद लेे खुद रखे 5 निजी शिक्षक, 15 से 115 हुए विद्यार्थी

सुरखपुर गांव में चंदा इकट्ठा कर स्कूल में रंग रोगन करवाया, स्कूल को अंग्रेजी माध्यम का बनवाने में भी बढ़ा रुझान

झज्जर रवि पथ :

क्षेत्र के सुरखपुर टप्पा हवेली गांव के मिडिल स्कूल को शिक्षा विभाग बंद करने की पूरी तैयारी में था। इस स्कूल में महज 15 बच्चे रह गए थे। ऐसे में गांव के मौजिज लोग और युवाओं ने गांव के शिक्षा स्तर को ग्रामीणों की मदद से उठाने का बीड़ा लिया और मिडिल स्कूल को एक तरह से गोद लेकर उसका आमूलचूल परिवर्तन कर दिया। अब यह स्कूल न सिर्फ सुरखपुर गांव बल्कि आसपास के गांव में भी एक रोल मॉडल के रूप में चर्चा में है।

गांव का जो स्कूल हिंदी मीडियम था उसे गांव के लोगों ने शिक्षा विभाग से अंग्रेजी माध्यम करवाया। अब विद्यार्थियों की संख्या भी 15 से बढ़कर 115 की हाे गई है। पूरा गांव स्कूल की इस काया पलट से बेहद खुश है और अब इंतजार कर रहा है कि जल्द ही क्लास लग जाएं। चार हजार की आबादी वाले सुरखपुर टप्पा हवेली में 50 साल पुराना सरकारी स्कूल है जो पहले प्राइमरी था। बाद में 1990 में इसे मिडिल स्कूल का दर्जा मिला। अन्य गांव की तरह ही सुरखपुर गांव में भी इस मिडिल स्कूल का ज्यादा सुधार नहीं हो सका अध्यापकों की कमी और संसाधनों का अभाव से ग्रामीणों द्वारा अपने बच्चों को गांव से बाहर प्राइवेट स्कूल में भेजे जाने लगा। ऐसे में इस स्कूल में महज 15 बच्चे रह गए।

सुरखपुर गांव के बुजुर्ग राम नारायण ने बताया तब चौपाल में बैठे हुए लोगों के बीच एक सोच जागृत हुई कि शिक्षा विभाग और सरकार तो स्कूल की दशा सुधारने के लिए कुछ करेगी नहीं हम नागरिकों का भी कर्तव्य बनता है कि वह सरकार की संस्था को बेहतर बनाने में सहयोग दें। कुछ युवाओं से भी चर्चा हुई तब जागरूक ग्राम शिक्षा समिति का गठन हुआ। इसमें लोग जुड़ते गए तो कारवां बनता गया। शिक्षा समिति के प्रधान प्रदीप कुमार ने बताया कि बीते कुछ समय से चंदा इकट्ठा कर स्कूल में रंग रोगन करवाया गया।

स्कूल के मैदान को समतल किया। वहां पौधारोपण करके उसे सौंदर्यीकरण किया गया। साफ सफाई ग्रामीणों ने की। जब गांव के लोगों की इस पहल को देखते हुए स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल रणबीर सुहाग ने भी शिक्षा विभाग से काफी मदद दिलवाकर स्कूल को बेहतर बनाने में कदम उठाया। अब स्कूल की सभी क्लासों को बच्चों की शिक्षा के लिए सुविधा अनुसार बना दिया गया है। इस तरीके से स्कूल को अंग्रेजी माध्यम के लिए नए सत्र में खोल दिया गया है। समिति से जुड़े पवन गोदारा ने बताया कि स्कूल को बेहतर बनाने के लिए समूचे गांव के लोगों का सहयोग रहा। घर घर जाकर लोगों से अपील की गई कि वह अपने बच्चों को बाहर न भेजे गांव के स्कूल में ही प्रवेश दिलाएं। हिंदी की जगह जब उन्हें इंग्लिश मध्यम होने की बात कही गई तो ग्रामीणों ने भी सहयोग दिया। इसी का नतीजा है कि छात्र संख्या 115 हो गई।

समिति ने 5 प्राइवेट शिक्षक रखे

जागरूक ग्राम शिक्षा समिति ने मिडिल स्कूल को अंग्रेजी माध्यम तो बना दिया लेकिन सरकार की ओर से कोई सहयोग न मिलने पर अब समिति ने अपने खुद के खर्चे पर 5 प्राइवेट टीचर रखे है जो साइंस, मैथ, नर्सरी, केजी क्लास के लिए है। जबकि यही निजी शिक्षक बच्चों को जीके और कंप्यूटर की भी स्टडी कराएंगे। मिडिल स्कूल के सरकारी टीचर बच्चों को नैतिक शिक्षा हिंदी और अंग्रेजी विषय के लिए हैं। फिलहाल अभी क्लास तो नहीं लग रही हैं लेकिन बच्चे स्कूल में काउंसलिंग के लिए आ रहे हैं।

ग्रामीणों ने सरकार से की जनरेटर की मांग

गांव के लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा करके सरकारी स्कूल को बेहतर तो बना दिया, लेकिन यहां आने वाले बच्चों को सुविधाजनक माहौल मिल सके पढ़ाई के दौरान कोई बाधा न हो। इसके लिए समिति ने प्रशासन से मांग की है कि यहां सुचारू बिजली के लिए जनरेटर की व्यवस्था की जाए। साफ पानी के लिए आरो प्लांट लगवाने की व्यवस्था करें।