डेयरी फार्मिंग को सहायक व्यवसाय के रूप में अपनाकर आमदनी में इजाफा कर सकते हैं किसान

October 11, 2021

डेयरी फार्मिंग को सहायक व्यवसाय के रूप में अपनाकर आमदनी में इजाफा कर सकते हैं किसान

एचएयू के सायना नेहवाल संस्थान में डेयरी फार्मिंग विषय पर प्रशिक्षण का समापन

हिसार : 11 अक्टूबर रवि पथ :

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविधालय हिसार के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान द्वारा डेयरी फार्मिंग विषय पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ। प्रशिक्षण में प्रदेशभर के 46 प्रशिक्षणार्थियों ने हिस्सा लिया। संस्थान के सह निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने बताया की कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज के दिशा-निर्देश में इस तरह के प्रशिक्षण लगातार आयोजित किए जा रहे हैं ताकि बेरोजगार युवक-युवतियों को अधिक से अधिक लाभ मिले। उन्होंने बताया कि किसान डेयरी फार्मिंग को कृषि के सहायक व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को दूध के उत्पाद बनाकर मूल्य संवर्धन, पशुओं की सामान्य बीमारियों, चारे वाली फसलों का प्रबंध, साइलेज व हे बनाने के तरीके, मिल्क पाउडर बनाने के तौर तरीके सहित विभिन्न प्रकार की जानकारियों से रूबरू कराया। डॉ.संदीप दूहन ने दूध के उत्पाद बना कर इसका मूल्य सवर्धन करने व अधिक दूध उत्पादन होने पर उसके प्रॉडक्ट बना कर अपनी आय में इजाफा करने के बारे में बताया। डॉ. अमित पुनियां ने पशुपालकों को सामान्य बीमारियों के सन्दर्भ में गाय व भैंस की शारीरिक सरंचना का परिचय देते हुए पशु के बाहरी लक्षण देख कर समय पर निदान करने की जानकारी दी। डॉ. सत्यवान ने चारे वाली फसलों का प्रबंध व साइलेज व हे बनाने के तरीके बताए। ताकि किसान चारे की कमी होने पर उस समय खिला कर चारे की कमी को पूरा किया जा सके। डॉ. रेखा फोगाट ने मिल्क पाउडर बनाने के तरीके, आंवले का मुरब्बा, बाजरे के बिस्किट तथा फलों का जूस में मशीनों का प्रयोग व उसमे आने वाली सामग्री के बारे मे प्रयोगिक कर के दिखाया।
बैंक का मॉडल प्रोजेक्ट तैयार करने का बताया तरीका
प्रशिक्षण में डॉ. सतीश जांगड़ा ने बैंक का मॉडल प्रोजेक्ट तैयार करने का तरीका बताया ताकि डेयरी की यूनिट का आसानी से स्थापित की जा सके और बैंक से आने वाली समस्या का निदान हो सके। डॉ. तजिंद्र ने क्लीन दूध उत्पादन व उसके भंडारण के समय सावधानियों के बारे में बताया ताकि दूध का अधिक समय तक भंडारित किया जा सके। डॉ. भूपेन्द्र ने हरे चारे व पशुओं के दानें मे कीट प्रबंध में होने वाली दवाइयों के बारे में बताया। डॉ. शालिनी ने दूध से दही, लस्सी व श्रीखंड तैयार करने की जानकारी व महत्ता के बारे में बताया। डॉ. नीलेश ने पशुओं की बीमारियो और उनका निदान के बारे में बताया। डॉ. सतीश मेहता ने फसलों व चारे की फसलों में होने वाली बीमारी के लक्षण व उनका उचित प्रबंधन के बारे में बताया। डॉ. नीरज अरोड़ा ने पशुओं के घाव,फोड़े अफ़ारा रक्त गुलम, कुत्ते के काटने पर एवं जलने की स्थिति में प्राथमिक उपचार की जानकारी दी। साथ ही पशुओं में मौसम परिवर्तन होने पर आने वाली बीमारिया एवं मुख्य रोग जैसे भूख न लगना, निमोनिया, खांसी, चिचड़ लगना, मुंह- खुर रोग, गंदगी खाना, थनेला, कटड़ों मे पेशाब रुकने की समस्या से बचाव के देसी नुस्खे बताए। डॉ. नरेंद्र सिंह ने डेयरी पशुओं का आवास प्रबंध के महत्ता के बारे में बताया। डॉ. निर्मल ने दूध व दूध के बने उत्पादों को बेचने, उसकी पेकिंग के अलावा खाने पीने वाली चीजों को बेचने के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया व उसकी महत्ता के बारे में बताया।