सरकार कारपोरेट के दबाव में किसानों का कर रही है दमन: किरण

September 7, 2021

सरकार कारपोरेट के दबाव में किसानों का कर रही है दमन: किरण

पूरे देश में फसलों के न्यूनतम दामों की मांग पकड़ चुकी है जोर

भिवानी, 7 सितंबर रवि पथ :

पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक नेता श्रीमती किरण चौधरी ने कहा है कि केंद्र व राज्य सरकार कारपोरेट के दबाव में कृषि कानून लागू करवाने के लिए किसानों पर लाठी गोलियां चलवा रहे हैं। सरकार की तानाशाही ज्यादा लम्बा समय चलने वाली नहीं हैं। शंातिपूर्वक किसान आंदोलन सरकार को झूकने पर मजबूर कर देगा।
किसानों पर की जा रही बर्रबर्र कार्यवाही बिल्कुल भी मंजूर नहीं की जा सकती। सरकार जितना किसानों को दबाने का प्रयास करेगी उतना ही पूरे देश में किसानों के प्रति जनसमर्थन बढ़ेगा। यही कारण है कि आज पूरे देश में किसान फसल का न्यनूतम मूल्य मांगने लगे हैं।
श्रीमती चौधरी अपने जनसम्पर्क अभियान के तहत डाडम, सरल, ढाणी सरल, छपार रांगडान, छपार बास, छपार जोगीयान, बिडोला, बादलवाला, थिलोड, आलमपुर, दुल्हेड़ी, झावरी, खरकड़ी माखवान सहित डेढ दर्जन गांवों में सभाओं को सम्बोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि सरकार की बुरी मंशा का इस बात से पता चलता है कि जिन कानूनों को किसान चाहते ही नहीं है। उन्हें जबरन लागू किया जा रहा है। सरकार का देश के अन्नदाता के साथ टकराव सरकार के कफन में आखिरी कील साबित होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को कृषि कानून जबरन लागू करने की बजाये किसानों को ओर अधिक सुविधाये देनी चाहिए ताकि देश में अनाज का और अधिक उत्पादन हो सके। उन्होंने कहा कि आज समुचे भिवानी जिले में नहरी पानी का संकट बना रहता है। बरसात के दिनों को छोडक़र क्षेत्र में 40 प्रतिशत पानी में कटौती की जाती है और न ही किसानों को टयूबवैलों के लिए बिजली मिल रही है।
बेरोजगारी चरम सीमा पर है। युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रही। बेरोजगारों को 9 हजार रूपए भत्ता देने की बात करने वालों के पास झूठ व जुमलों के अलावा कुछ नहीं है।
महंगाई आसमान छू रही है। जिस कारण आमजनता गरीबों व मजदूरों का जीवन मुश्किल हो गया है। उन्हेांने कहा कि सरकार तानाशाही व ओच्छे हथकण्डे अपनाकर किसानों को दबाना चाहती है। पिछले 9 माह के दौरान आंदोलनरत किसानों पर दस बार प्रदेश में लाठीचार्ज हो चुका है। किसान अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं और वे सरकार की तानाशाही के आगे कभी नहीं झूकेंगे। अंत में जीत किसानों की होगी। और सरकार को मुंह की खानी पड़ेगी।