कोविड-19 महामारी में जनसामान्य को मनोरोगों से बचाने के लिए मनोवैज्ञानिकों की महती आवश्यकता -प्रो. आर.सी. कुहाड़

कोविड-19 महामारी में जनसामान्य को मनोरोगों से बचाने के लिए मनोवैज्ञानिकों की महती आवश्यकता -प्रो. आर.सी. कुहाड़

हकेवि में मनोविज्ञान एवं समाजशास्त्र विभाग ने आयोजित की ऑनलाइन कार्यशाला

 रवि पथ :

कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के मोर्चे पर उल्लेखनीय प्रयासों के साथ-साथ पारिवारिक व सामाजिक सहयोग के मोर्चे पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा। यह ऐसा कठिन समय है जिसमें प्रत्येक नागरिक व अधिकारी को अपने सामाजिक दायित्वों का पालन करते हुए इस महामारी के प्रति आमजन को जागरूक करना होगा तभी इस संकट से बचाव संभव हो सकता है। यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने मनोविज्ञान एवं समाजशास्त्र विभाग द्वारा कोरोना महामारी से राहत के लिए ‘साइको-सोशल स्किल्स ऑफ ए गुड हेल्प टेक्लिंग द कोविड-19 पेंडमिक’ विषय पर संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की विशेषज्ञा सुश्री कृतिका पुनिया ने शिरकत की।
प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपने धैर्य को नहीं खोना चाहिए, वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कोविड-19 महामारी में हम सबको उतावलेपन से बचना चाहिए। सामान्यजनों को मनो रोगों से बचाने के लिए और उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ व दृढ़ बनाने के लिए मनोवैज्ञानिकों को आगे आना चाहिए। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय ने अपने यहां कोरोना से जंग मनोविज्ञान के संग कार्यक्रम के द्वारा इस आपदा के समय में यह प्रयास किया है और जिसके सुखद परिणाम भी मिल रहे हैं। मुख्य वक्ता कृतिका पुनिया ने अपने क्षेत्र अनुभवों के माध्यम से प्रतिभागियों को बताया कि कोरोना महामारी में प्रत्येक नागरिक को अपने मनोवैज्ञानिक व सामाजिक कौशल का उपयोग करते हुए कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की हर संभव मदद करनी चाहिए। साथ ही कोरोना संक्रमितों संबंधित सूचनाओं मनोभावों व समस्याओं को अपने स्तर पर जानने का प्रयास करना चाहिए। इस महामारी को हराने के लिए एक टीम के साथ में काम करना होगा व सभी को वैक्सीन लगे ये भी सुनिश्चित करना होगा।

मुख्य वक्ता कृतिका पुनिया ने विश्वविद्यालय स्तर पर कोरोना महामारी के खिलाफ किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई और इसके पश्चात् विश्वविद्यालय की प्रगति को प्रदर्शित करने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई।
कार्यशाला के संयोजक व मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वी. एन. यादव ने प्रतिभागियों का स्वागत किया व कार्यशाला की सचिव व मनोविज्ञान विभाग की सह-आचार्य डॉ. पायल चंदेल ने कार्यशाला की उपलब्धियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. प्रदीप कुमार ने मुख्य वक्ता की पृष्ठभूमि व उपलब्धियों से प्रतिभागियों को अवगत करवाया। सहायक आचार्य डॉ. रवि प्रताप पाण्डेय ने कार्यशाला से संबंधित प्रतिभागियों के प्रश्न उत्तर सत्र का संचालन किया। मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विष्णु नारायण ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला के मंच का संचालन कार्यशाला के सचिव व समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ. युद्धवीर जैलदार ने किया। इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी व शोधार्थी ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे।