जुगलबंदी ने 3 दिन में बदल दिया नजारा मनोहर-दुष्यंत की जोड़ी ने

October 31, 2020

जुगलबंदी ने 3 दिन में बदल दिया नजारा मनोहर-दुष्यंत की जोड़ी ने

बरोदा उपचुनाव में गठबंधन प्रत्याशी को दी बड़ी मजबूती

दोनों नेताओं की हलके के सबसे बड़े 15 गांव में बड़ी जनसभाएं

गोहाना रवि पथ :

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जोड़ी ने तीन ही दिन में बरोदा की चुनावी महाभारत का नजारा बदलने का काम कर दिखाया है। दोनों ही नेताओं के 3 दिन के दौरे ने जहां कांग्रेस में खलबली मचाने का काम किया वहीं दूसरी ओर गठबंधन प्रत्याशी के चुनावी ग्राफ को शिखर पर पहुंचाने का काम अंजाम दिया। भूपेंद्र हुड्डा परिवार के लिए अस्तित्व का सवाल बन चुके और गठबंधन के सरकार के लिए रसूख की बॉर्डर लाइन कहे जा रहे बरोदा उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए दोनों ही टीमों ने सिरधड़ की बाजी लगा रखी है। कांग्रेस की तरफ से अपने प्रत्याशी इंदराज नरवाल भालू को जिताने के लिए भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा 2 सप्ताह से बरोदा हलके के गांवों की खाक छान रहे हैं। बरोदा का चुनाव कांग्रेस की बजाय हुड्डा परिवार का चुनाव बन गया है और यहां पर हारने का रिस्क परिवार नहीं ले सकता। इसलिए पिता-पुत्र की जोड़ी दिन- रात एक करके चुनाव जीतने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है।
दीपेंद्र हुड्डा रात को दो 2 बजे तक प्रचार कर रहे हैं। इतनी देर तक प्रचार करना यह इशारा कर रहा है कि गठबंधन का प्रेशर उनपर भारी पड़ रहा है। दूसरी तरफ बीजेपी गठबंधन ने अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए कारगर रणनीति बनाई है। 10 दिन तक गठबंधन के मंत्रियों, विधायकों और सांसदों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाले रखी। अंतिम दिन में 3 दिन में सीएम और डिप्टी सीएम चुनावी दंगल में उतर गए। मनोहर और दुष्यंत की जोड़ी के मैदान में उतरते ही नजारा पूरी तरह से बदल गया। दोनों ही नेताओं ने हलके के सबसे बड़े 15 गांव में बड़ी जनसभाएं करके जहां कांग्रेस में खलबली मचाने का काम किया वहीं दूसरी तरफ गठबंधन प्रत्याशी की जीत के दावे को मजबूत किया।

पहली बार कमल खिलाने का प्रयास

मनोहर और दुष्यंत के दौरों से चुनावी जंग का रुख ही बदल गया है। बीजेपी-जेजेपी गठबंधन और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर में जीत हासिल करने के लिए दोनों ही खेमें पुरजोर ताकत लगा रहे हैं। कांग्रेस में चुनाव जीतने के लिए बरोदा की बदहाली को मुद्दा बनाया। कांटे की टक्कर में चुनाव फंसे होने के कारण भूपेंद्र हुड्डा ने इसे अपना आखिरी चुनाव बता कर इमोशनल कार्ड भी खेला है। मनोहर और दुष्यंत की जोड़ी विकास और सरकार की हिस्सेदारी को सबसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए बरोदा में पहली बार कमल खिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
3 दिन पहले तक भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के चर्चे ज्यादा चल रहे थे लेकिन 3 दिन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने हालात को पूरी तरह से पलटने का काम किया। बड़ी-बड़ी जनसभाओं के जरिए जुगलबंदी ने गठबंधन प्रत्याशी योगेश्वर दत्त की जीत के लिए माहौल बनाने की पटकथा लिखने का काम किया। मनोहर- दुष्यंत की जुगलबंदी भूपेंद्र हुड्डा और भूपेंद्र हुड्डा की जुगलबंदी को बड़ी परेशानी में डाल दिया है। सीएम और डिप्टी सीएम की जुगलबंदी की यह सफलता चुनाव परिणाम को निर्धारित करने का काम करेगी।