बीजेपी की सत्ता में अदालत व मानवाधिकार आयोग की कोई जरूरत नहीं है -खोवाल

July 10, 2020

बीजेपी की सत्ता में अदालत व मानवाधिकार आयोग की कोई जरूरत नहीं है -खोवाल
– इस तरह एनकाउंटर में मारना निंदनीय, अपराध के आधार पर तय थी दुबे को फांसी की सजा – खोवाल।
10 जुलाई हिसार रवि पथ
हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन एवं वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि जिस तरह का अपराध विकास दुबे ने किया था, इससे यह तय था कि अदालत उसे फांसी की सजा देती, लेकिन इस तरह से एनकाउंटर में उसका मरना मोदी सरकार की कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

एडवोकेट खोवाल ने कहा कि आज अपराधियों के इतने हौसले बुलंद हैं कि उन्होंने आठ निर्दोष पुलिसकर्मियों का मर्डर किया। पूरा देश मृतक परिवारों के साथ न्याय दिलवाने के लिए खड़ा हैं, लेकिन जिन राजनीतिक लोगों ने इतने बड़े बड़े अपराधियों को संरक्षण दिया और जो पुलिस के लोग ऐसे गुंडों के मुखबिर बनकर मुखबिरी करते हैं, बहुत बड़ा नेक्सेस है। दुबे के एनकाउंटर के उपरांत ऐसे लोगों का नाम अब कौन उजागर करेगा। उन्होंने कहा कि अपराधी का अंत होने से बाकी लोगों के नाम कौन बताएगा। गत दिवस सरेंडर के उपरांत दुबे से सही तरीके से पूछताछ होनी चाहिए थी ताकि जो राजनीतिक लोग इस अपराध में संलिप्त है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए थी। खोवाल ने कहा कि इसी तरह पिछले दिनों हैदराबाद में भी एनकाउंटर किया गया था और आज तक इस बात का खुलासा नहीं हो पाया कि उसमें और भी कोई राजनेता था या नहीं था।


एडवोकेट खोवाल ने कहा कि पिछले दिनों गुडग़ांव में एक स्कूल में जिस तरह से एक बच्चे का मर्डर किया गया और मर्डर में बस ड्राइवर को ही जिस तरह से अपराधी मानकर उससे हथियार भी बरामद कर लिया गया था और उसे जेल भेज दिया गया था। लेकिन बाद में तफ्तीश मे पता चला कि ड्राइवर ने कोई मर्डर नहीं किया था, बल्कि किसी दूसरे लड़के ने मर्डर किया था। अगर उस समय भी पुलिस ड्राइवर को एनकाउंटर में दिखा कर मार देती तो सही अपराधी का कदापि पता ना चलता। इसी तरह विकास दुबे का अंत होने से ऐसा प्रतीत होता है कि और भी बहुत से अपराधियों को सरकार ने सजा होने से बचाने का काम किया है। जिनको भी कानून सजा देता। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी कार्य कर रही है, इससे यह पता चलता है कि भाजपा की सरकार में न ही तो अदालतों की जरूरत है और ना ही मानवाधिकार आयोग की जरूरत है और न ही किसी तरह की संवैधानिक संस्था की जरूरत है। आज सरकार के इशारे पर केवल पुलिस ही मुकदमा दर्ज करने से लेकर फांसी की सजा देने तक का कार्य करने लगी है। यह बड़ा गंभीर विषय है। इस पर देश की सर्वोच्च न्यायालय तथा मानवाधिकार आयोग को स्वत संज्ञान लेना चाहिए अन्यथा गुंडों के साथ साथ निर्दोष लोगों को भी इस तरह के एनकाउंटर से गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे और पुलिस व सरकार जो चाहेगी वही अपनी मनमर्जी से करेगी।

एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल
-9416122556