बीबी बत्रा व आफताब अहमद ने एचपीएससी चेयरमैन नियुक्ति पर प्रदेश सरकार को घेरा

October 22, 2020

बीबी बत्रा व आफताब अहमद ने एचपीएससी चेयरमैन नियुक्ति पर प्रदेश सरकार को घेरा

चंडीगढ़ 22 अक्टूबर  रवि पथ :

हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के उप नेता चौधरी आफताब अहमद और रोहतक विधायक व एचपीएससी पूर्व चेयरमैन बीबी बत्रा ने हरियाणा सरकार के उस फैसले पर कड़ा विरोध व चिंता व्यक्त की है जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल के एडीसी टूरिज्म, वन व पर्यटन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे आलोक वर्मा को एचपीएससी चेयरमैन नियुक्त किया है।

विधायक बीबी बत्रा ने कहा कि एक तरफ सरकार यह कहती है कि वो हरियाणा में 75% पद हरियाणा वासियों के लिए रखेंगे और एक तरफ एचपीएससी चेयरमैन जैसे संवैधानिक पद हरियाणा से बाहर के लोगों को दे रही है। संघ से जुड़े अधिकारियों के सामने योग्य अफसर साइड लाइन किए जा रहे हैं, ये चिंताजनक है। सरकार पूरी तरह से विफल हो गई है, सिर्फ संघ की अनुशंसा पर सरकार काम कर रही है। हरियाणा प्रदेश से जुड़े अधिकारी या यहां के ही व्यक्ति को चेयरमैन बनाना चाहिए जो सरकार या संघ से प्रभावित नहीं हो।

वहीं कांग्रेस विधायक दल के उप नेता नूह विधायक चौधरी आफताब अहमद ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री को चुप्पी तोड़नी चाहिए कि आखिर क्यों हरियाणा के किसी भी अफसर या व्यक्ति में उन्हें एचपीएससी चेयरमैन बनने की योग्यता नहीं दिखाई दी। आफताब अहमद ने संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि कैसे मुख्यमंत्री के निजी सचिव निष्पक्ष होकर अपनी जिम्मेदारी निभा पाएंगे। संघ से उनके संबंध पर भी लोग उंगली उठा रहे हैं, संवैधानिक पदों की मर्यादाओं को क्यों रोंध रही है बीजेपी जजपा सरकार।

रोहतक विधायक बीबी बत्रा व नूह विधायक आफताब अहमद ने साफ़ संकेत दे दिए हैं कि कांग्रेस मौजूदा सरकार के इस फैसले का खुल कर विरोध करेगी क्योंकि हरियाणा लोक सेवा आयोग में हरियाणा से बाहर के लोगों को चेयरमैन बना रही है, इससे प्रदेश के लोगों के हित व अधिकार प्रभावित होने की पूरी संभावना है। सरकार हरियाणा की जनभावनाओं के अनुरूप नहीं बल्कि संघ की इच्छा अनुरूप चल रही है, जो सही नहीं है, सरकार को नियुक्ति रद्द करनी चाहिए और हरियाणा के अधिकारी या व्यक्ति को ही इस संवैधानिक पद पर नियुक्त करना चाहिए।

दोनों विधायक कहते हैं कि बीजेपी जजपा सरकार दोगली नीति बंद करे और काबिल लोगों को नियुक्ति दे ना कि अपने सचिवों व संघ पृष्टभूमि के लोगों को बढ़ावा दे, ऐसे फैसले सरकार की गलत मानसिकता के परिचायक हैं।