भाजपा ने देशप्रेम की भावना को बनाया नुमाइश की चीज-एडवोकेट खोवाल

August 11, 2022

भाजपा ने देशप्रेम की भावना को बनाया नुमाइश की चीज-एडवोकेट खोवाल

हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट ने हर घर तिरंगा अभियान पर उठाए सवाल

प्रधानमंत्री की हर घोषणा व वादा साबित हुआ जुमला

जब सिर पर छत ही नहीं तो किस पर फहराएं तिरंगा

हिसार, 11 अगस्त रवि पथ :

हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट ने आजादी के अमृत महोत्सव के नाम पर गरीब लोगों को राशन डिपुओं पर जबरदस्ती तिरंगा बेचे जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। डिपार्टमेंट के प्रदेश चेयरमैन एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने इसके लिए बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए तिरंगा का मान करने की बजाए अपमान करने का आरोप लगाया है।
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि हर बेटा अपनी मां से प्यार करता है, उसे यह प्यार दिखाने या नुमाइश करने की जरूरत नहीं होती। इसी तरह हर देशवासी के दिल में हिंदुस्तान है और वह देश को अपनी मां की तरह प्यार करता है। लेकिन मोदी सरकार ने देशप्रेम की इस अंदरूणी भावना को भी नुमाइश की चीज बना दिया है। उन्होंने कहा कि तीन वर्ष पूर्व देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि उन्होंने व्रत लिया है और संकल्प किया है कि जब 2022 में देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाएगा, तब तक हिन्दुस्तान में एक भी ऐसा परिवार नहीं होगा जिसका खुद का पक्का घर नहीं होगा। उन्होंनेे अपने भाषण में कहा था कि कांग्रेस जैसा नहीं होगा कि चारदीवारी खड़ी कर दी गई हो, वे ऐसा अपना पक्का घर बनाकर देंगे, जिसकी पक्की छत, घर में नल, नल में जल होगा। लेकिन आज की हकीकत किसी से छिपी नहीं है। आवास के नाम पर केवल लोगों को बरगलाया गया। अब जब सरकार के नुमाइंदे तिरंगा लेकर लोगों के पास पहुंच रहे हैं तो वे उनसे सवाल कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा दिये गये भाषण के वादे के मुताबिक सिर पर छत ही नहीं है तो तिरंगा किस पर फहराएं। एडवोकेट खोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री का कहा गया एक एक शब्द किसी कानून से कम नहीं होता। लेकिन देश के इतिहास में यह पहली बार है कि प्रधानमंत्री की घोषणा या वादे केवल जुमला बन कर रह गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भी बोलते हैं, वह केवल जुमला बनकर रह जाता है।
तिरंगा लेकर बैठे किसानों को बताया था तालिबानी व आंदोलनजीवी
एडवोकेट खोवाल ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जब देश के किसान तिरंगा लेकर आंदोलन कर रहे थे तो उन्हें आतंकवादी, तालिबानी तक कहा गया था। किसानों को आंदोलनजीवी व परजीवी जैसे कई उपनाम देकर उनके हाथ में उठाए तिरंगे का अपमान किया जा रहा था। अब तिरंगे को जबरदस्ती थौंपा जा रहा है। यह तिरंगे का ही नहीं, बल्कि किसानों का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान के नाम पर देश की आन बान शान तिरंगे की जबरदस्त कालाबाजारी हो रही है। कल तक जो तिरंगा पांच से दस रूपए में हर नागरिक को मिल रहा था, अब उसके दाम 50 से 100 रूपए तक हो गए है और आसानी से उपलब्ध होने वाला तिरंगा आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के पीछे एक बहुत बड़ा स्कैम है जो समय आने पर जनता के सामने आएगा।