मोदी सरकार में बर्बाद हुआ किसान, आय दोगुनी हुई नहीं, चार गुना बढ़े खर्चे: दौलतपुरिया

June 14, 2021

मोदी सरकार में बर्बाद हुआ किसान, आय दोगुनी हुई नहीं, चार गुना बढ़े खर्चे: दौलतपुरिया

 तीन कृषि कानून रद्द कर एमएसपी की लिखित गारंटी, सीटू लागत पर 50 प्रतिशत का लाभकारी मुल्य देने का हो प्रावधान

फतेहाबाद रवि पथ :

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व विधायक बलवान दौलतपुरिया ने किसान व खेती में केद्र सरकार के रवैये को एक बार फिर पूरी तरह से किसान विरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के 7 साल में किसान वर्ग की आय दोगुनी हुई नहीं, बल्कि मंहगाई जैसी अनेक समस्याओं ने उसे बर्बाद करने का काम जरूर किया है। उन्होंने मांग उठाई कि सरकार अपने किसान विरोधी रवैये को छोड़ अन्नदाता को स्मृद्ध बनाने पर काम करे, क्योंकि खेती और किसान बचेगा तभी देश-प्रदेश खुशहाली के रास्ते पर अग्रसर हो सकेगा। वे अपने अनाज मंडी स्थित कार्यालय में पहुंचे किसानों की समस्याएं सुनने उपरांत उन्हें संबोधित कर रहे थे।
बलवान दौलतपुरिया ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2016 में घोषणा की थी कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी। लेकिन उनके द्वारा किए गए इस तरह के तमाम दावे 7 साल बाद भी चुनावी दावों से आगे कहीं नहीं बढ़ पाए। गेहूं 1600 से 1975 रूपए और धान 1470 से 1940 रूपए प्रति क्विंटल ही हुआ है। बात डीजल की करें तो यह 56 रूपए प्रति लीटर से बढ़कर इन सात साल में 100 पर पहुंचने को है। फसलों का समर्थन मुल्य भाजपा सरकार के 7 साल में मात्र 20 प्रतिशत ही बढ़ा है, लेकिन इसके विपरित तेल की कीमत बढ़ने से किसान के लिए बुआई, ट्रांसपोर्ट, कढ़ाई, कटाई व मजदूरी बेहद महंगी हो गई है। इसी प्रकार भाजपा सरकार ने खाद पर 5 प्रतिशत, खेती यंत्रों पर 12 प्रतिशत, कीटनाशक दवाइयों पर 18 प्रतिशत टैक्स लगाकर किसान वर्ग को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब रही सही कसर उसने किसानों पर तीन कृषि कानूनों का चाबूक चला के पूरी कर दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के 6 साल में किसानों की आय बेशक दोगुनी न हो सकी हो, मगर किसानों का खर्चा चार गुना जरूर बढ़ गया है।


दौलतपुरिया ने कहा कि जिन कृषि कानूनों को भाजपा सरकार व उसके सहयोगी दल किसान हितकारी बताते नहीं थकते यदि उन कानूनों की वास्तविकता पर गौर करें तो ये कानून किसान वर्ग के लिए कब्रगाह से कम नहीं। इन काले कानूनों में न किसान के हकों का जिक्र और न खेती का, इनमें तो केवल और केवल व्यापार व वाणिज्य पर फोकस किया गया है। जिसका सीधा सम्बन्ध बड़े व्यापारियों से है। अपने चहेते उद्योगपतियों की जेबें भरने और छोटे किसानों की जमीन छीनने के लिए ही ये 3 काले कानून किसानों पर जबरदस्ती थोप दिए गए हैं। पूर्व विधायक ने कहा कि सरकार के पास किसान वर्ग का भला करने के लिए न कोई नीति है न नीयत। देश-प्रदेश का किसान वर्ग अपना अस्तीत्व बचाने के लिए सरकार से ज्यादा कुछ नहीं मांगता। उसकी मांग सिर्फ इन 3 कृषि कानूनों को खत्म करने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करते हुए एमएसपी को दोगुना करके इसकी लिखित गारंटी ही है। इसके साथ-साथ सरकार यह प्रावधान भी करे कि हर साल बढ़ती महंगाई दर के अनुपात में किसानों को उनकी फसल का दाम मिलें और एमएसपी में सीटू लागत पर 50 प्रतिशत का लाभकारी मुल्य देने का प्रावधान होना चाहिए। लेकिन भाजपा सरकार जिस प्रकार से आए दिन किसानों की इन मांगों पर विचार करने की बजाय कमर तोड़ मंहगाई को बढ़ाने में लगी है, उससे स्पष्ट होता है कि अच्छे दिनों के नाम पर भाजपा सरकार केवल मात्र किसान, मजदूर, कर्मचारी व आम जनता को बर्बाद करने मात्र के लिए सत्तासीन हुई है। जनता जाग्रत हो चुकी है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण पश्चिम बंगाल में भाजपा को हार का आइना दिखाकर जनता ने दे दिया है। 2024 तक भाजपा विभिन्न प्रदेशों से लुप्त होती हुई, केंद्र से भी अपनी विदाई का रास्ता तय कर लेगी और एक बार फिर देश-प्रदेश में जनहितकारी सोच रखने वाली कांग्रेस पार्टी सत्तासीन होगी।